शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन कांग्रेस ने फिर किया वॉकआउट

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धर्मशाला।। बजट और मॉनसून सेशन में अधिकतर समय सदन में मुद्दों पर चर्चा करने और सरकार को घेरने के बजाय वॉकाउट करके बाहर गुजारने वाले कांग्रेस विधायकों ने एक बार फिर विंटर सेशन के पहले ही दिन वॉकआउट कर दिया और वह भी प्रश्न काल से ठीक पहले।

सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष ने आरोप लगाया कि सरकार विपक्ष को धमका रही है। इसके साथ ही कानून-व्यवस्था को लेकर सवाल उठाना शुरू कर दिया। लेकिन जब प्रश्नकाल शुरू हुआ तो विपक्षी विधायक सीटों से उठे और कुछ मिनट बाद सदन से वॉकआउट कर दिया।

इसके बाद ये विधायक बाहर आकर गेट नंबर एक के पास सीढ़ियों पर बैठ गए और सरकार के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। विधायकों के हाथ में पेपर थे, जिनमें बड़े अक्षरों में नारे लिखे थे।

यानी साफ है कि कांग्रेस के विधायक वॉकआउट करने के मूड से ही गए थे, इसीलिए पहले से ही ये पर्चे छपवा दिए थे। वरना अगर सदन के अंदर किसी बात से नाराजगी होती और वॉकआउट करना पड़ता तो ये पर्चे कहां से आते?

पुरानी है यह खराब परंपरा
बता दें कि सदन में हाजिर रहने पर विधायकों को अतिरिक्त भत्ते मिलते हैं। इसलिए ऐसे सवाल भी उठते हैं कि विधायक अंदर जाकर हाजिरी दर्ज कराते हैं और फिर वॉकआउट कर देते हैं।

सदन के अंदर जनहित के सवाल करने और सरकार को घेरने के बजाय बाहर मीडिया के सामने फोटो खिंचवाने के मकसद से वॉकआउट कर फोटो खिंचवाए जाते हैं ताकि अगले दिन सुर्खियां लग सकें। अफसोस, अगले दिन सुर्खियां लगती भी हैं।

मगर प्रश्न उठता है कि विपक्षी नेता और विधायक जब विधानसभा सत्र न होने पर आम दिनों में भी मीडिया के सामने सरकार को घेर रहे होते हैं, वॉकआउट करके वे किन नए मुद्दों पर सरकार को घेर लेते हैं?

यह सिलसिला दशकों से चला आ रहा है। आज भारतीय जनता पार्टी सत्ता में है, मगर पहले जब वह विपक्ष में थी, तब वह भी कांग्रेस सरकार के खिलाफ बिना मतलब आए दिन वॉकआउट किया करती थी। भाजपा के तत्कालीन विधायकों को अक्सर वॉकआउट करके मीडिया के कैमरों की ओर चलकर नारेबाजी करते देखा जाता था।

आज भी यह सिलसिला जारी है कि जैसे ही मीडिया के कैमरे डाउन होते हैं, विधायक अपनी-अपनी गाड़ियों में बैठकर चले जाते हैं। यानी यह सब सांकेतिक ड्रिल है। जनता के मुद्दों की किसी को फिक्र नहीं है और न ही इसे लेकर विधायकों को किसी तरह की परेशानी है।

वॉकआउट करने का लोकतांत्रिक अधिकार जन प्रतिनिधियों के पास है मगर वे रोज ही वॉकआउट करेंगे तो उन्हें जनता ने क्या वॉकआउट करने के लिए चुना है?