सोलन।। अक्सर हिमाचल प्रदेश के अखबारों के पहले पन्ने पर खबर की शक्ल में भ्रामक विज्ञापन देकर अपने समागम में लोगों को बुलाने वाले तथाकथित ब्रह्मऋषि कुमार स्वामी को लेकर बीजेपी नेता मोहिंदर नाथ सोफत ने सवाल उठाए हैं। हाल ही में दोबारा भाजपा में आए वरिष्ठ नेता ने सरकार से कार्रवाई की मांग की है और अखबारों पर भी सवाल उठाए हैं।
सोशल मीडिया पर रोज दिल की बात कहने वाले सोफत ने शनिवार को फेसबुक पर लिखा, “पिछले कल पजांब केसरी के प्रथम पृष्ठ पर ब्रह्मर्षि श्री कुमार स्वामी जी का विज्ञापन देखने को मिला। हिंदी दैनिक समाचार पत्रों मे पजांब केसरी की विज्ञापन दरें सबसे उंची है और इस समाचार पत्र के पाठकों की संख्या भी सबसे अधिक है। इस विज्ञापन की कीमत लाखो रूपये होगी ऐसा मेरा अनुमान है।
स्वामी जी ने इस विज्ञापन द्वारा भयंकर दुखों,कष्टो और असाध्य रोगों का निवारण करने का दावा किया है। उन्होंने यह भी दावा किया है कि मण्डी हिमाचल के समागम मे जो 4-5 मई को होने जा रहा है मे आप देखेंगे हजारो लाखो लोगो की रोगों और दुखों से मुक्ति। उनका दावा है कि जो पाठ/ मंत्र वह आपको इस समागम देंगे उससे बढ़कर न कोई पाठ था न होगा। इस विज्ञापन मे कुछ विदेशी/ अमेरिका के नासा असैबली हाल मे स्वामी जी के स्वागत समारोह मे कथित सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशो को चित्रो सहित दिखाया गया है।
इन चित्रों को विज्ञापन मे इस लिए दिखाया गया है ताकि भोली भाली जनता को गुमराह किया जा सके। बडी हैरानी की बात है कि विज्ञापन मे दो जाने माने डाक्टरो सर्वश्री जगजीत सिंह और बलदेव राज चावला ने भी स्वामी जी के दावो का अनुमोदन किया है। परन्तु मेरे दो प्रश्न है कि स्वामी जी यह समागम यदि सेवा के लिए कर रहे है इस प्रकार विज्ञापन देने की जरूरत नहीं है । यदि सच मे स्वामी जी के पास मंत्रो से असाध्य रोगों के इलाज का इल्म है तो अस्पताल की कोई जरूरत नहीं है।
सरकार कुमार स्वामी के दावो को सच और विज्ञान की कसौटी पर परखे। यदि वह सच बोल रहे हैं तो उनका ज्ञान समाज के काम आना चाहिए। यदि यह सब धोखा है और भोले भाले लोगों को मूर्ख बनाया जा रहा है तो भी सरकार कार्यवाई करे और स्वामी जी ने जो चमत्कार और मंत्रो के नाम की दुकान विज्ञापनो के माध्यम से चला रखी बंद करवाई जाए। कम से कम विज्ञापन पर यह चेतावनी लिखी होनी चाहिए की इस विज्ञापन पर विशवास करने से पहले पाठक इसकी सच्चाई परख लें।”
बता दें कि इन हिमाचल भी लंबे समय से इस संबंध में आवाज उठा रहा मगर न अखबार अपनी जिम्मेदारी निभाने को तैयार हैं न सरकार कार्रवाई करने को आगे आ रही है।