कुल्लू।। देश-दुनिया में प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा में इस बार सभी देवी-देवता शिरकत करेंगे। 15 अक्तूबर से कुल्लू का दशहरा महोत्सव शुरू हो रहा है। इस बार दशहरे में रघुनाथ भगवान की भव्य रथ यात्रा के साथ नरसिंह देव की जलेबी भी निकलेगी। इसके अलावा इस बार सभी 300 देवी-देवता कुल्लू दशहरा में आएंगे। हालांकि, देवलुओं की संख्या कम हो सकती है।
दशहरा उत्सव में इस बार भी परंपराएं ही निभाई जाएंगी, लेकिन इस बार सभी देवी-देवता मौजूद रहेंगे। पिछले साल मात्र सात देवी-देवताओं को ही निमंत्रण दिया गया था, जबकि एक दर्जन पहुंचे थे। इस बार कुछ शर्तों के साथ सभी देवी-देवताओं को दशहरे के लिए निमंत्रण दिया जाएगा। देवरथों के साथ मुख्य कारकून और बजंतरी ही शामिल होंगे।
डीसी कुल्लू एवं दशहरा उत्सव समिति कुल्लू के उपाध्यक्ष आशुतोष गर्ग ने बताया कि इस बार भी लाल चंद प्रार्थी कलाकेंद्र में सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं होंगे। न ही व्यापारियों के लिए मेला सजेगा। इस हफ्ते समिति की बैठक होगी, जिसमें सब फाइनल हो जाएगा।
पिछले साल दशहरा उत्सव में दशहरा उत्सव कमेटी ने मात्र सात देवी-देवताओं को निमंत्रण दिया था। इसके बावजूद उत्सव में भगवान रघुनाथ, बिजली महादेव, देवी हिडिंबा सहित एक दर्जन से अधिक देवी-देवता शामिल हुए थे। पिछले साल कोरोना की पहली लहर चरम पर थी, जिस कारण मात्र कुछ ही देवी-देवताओं को निमंत्रण दिया गया था।
कोरोना काल में पिछले साल देवता शृंगा ऋषि, देवता खुडीजल और ब्यास ऋषि समेत आनी, बंजार और निरमंड घाटी के सौ से ज्यादा देवता शामिल नहीं हो पाए थे। इस दौरान उत्सव में देवी-देवताओं को न बुलाने पर दशहरे में आई देवी हिडिंबा के साथ देवता हलाण के धूमल नाग, सोयल की माता कोटली, डमचीण के वीरनाथ और फलाणी नारायण ने कड़ी नाराजगी जताई थी। इसके बाद भगवान रघुनाथ के दरबार में छोटी और नग्गर में बड़ी जगती का आयोजन किया गया था। देवी-देवताओं को न बुलाने पर कुल्लू का देव समाज भी दो धड़ों में बंट गया था।