पतंजलि को फायदा पहुंचाएगी सरकार, डिपुओं में बिकेंगे उत्पाद

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शिमला।। हिमाचल प्रदेश सरकार ने एक और विवादास्पद और पक्षपात भरा फैसला लिया है। अब सरकारी डिपुओं में बाबा रामदेव के पतंजलि के उत्पाद भी बिकेंगे। मगर इस बात को लेकर सवाल उठने लगे हैं कि सरकार आखिर एक कंपनी विशेष के उत्पाद ही क्यों बेचेगी और किस आधार पर पतंजलि का चयन किया गया है। अगर मामला क्वॉलिटी का है तो पतंजलि के कई उत्पादों की गुणवत्ता पर सवाल उठते रहे हैं और अगर मामला स्वदेशी है तो पतंजलि इकलौती स्वदेशी कंपनी नहीं है। पतंजलि पर गुणवत्ता, भ्रामक विज्ञापन और अन्य जगह बने सामान अपने नाम से बेचने जैसे मामलों पर सवाल उठ चुके हैं और कुछ में कोर्ट से जुर्माना भी लग चुका है (पढ़ें)। पतंजलि के कई उत्पाद, जैसे कि जूस आदि फेल हो चुके हैं।

खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री किशन कपूर ने शुक्रवार को पतंजलि आयुर्वेद सीमित के पदाधिकारियों से बैठक की। उनका कहना था- पतंजलि के उत्पादों में प्रदेश के लोगों की विश्वसनीयता और मांग देखते हुए सरकारी डिपुओं के जरिये इन उत्पादों को जनता को मुहैया करवाया जाएगा। इनमें खाने पीने की चीजें, शर्बत, मसाले, जूस, करियाने का सामान, तेल दालें आदि होंगी ताकि वे लोगों को घर के पास मिलें।

उन्होंने कहा कि चरणबद्ध तरीके से उचित मूल्य की दुकानों में ये उत्पाद मुहैया करवाए जाएंगे। इस संबंध में नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारियों को दिशा निर्देश देते हुए उन्होंने कहा था कि फरवही माह के अंत तक पतंजलि उत्पादों की उपलब्धता को व्यवहार्य बनाने के लिए सबी औपचारिकताएं पूर्ण कर ली जाएं।

मगर कुछ सवालों के जवाब अभी भी सार्वजनिक नहीं हैं कि हिमाचल प्रदेश सरकार को इससे क्या फायदा होने वाला है और इस कंपनी का चयन उसने किस आधार पर किया। क्या उसने निविदाएं या आवेदन मंगवाए थे कि कंपनियां आदेवन करके हमारे डिपुओं के माध्यम से अपने उत्पाद बेच सकती हैं? हिमाचल सरकार की किस संस्था ने पतंजलि के उत्पादों की गुणवत्ता की जांच की और पाया कि ये शानदार हैं। साथ ही वह किस आधार पर डिपुओं में कंपनी विशेष को फायदा पहुंचाने के बारे में निगम को आदेश दे सकते हैं।

किशन कपूर के दोहरे मापदंड?
पाठकों को याद दिलाएं कि पिछली सरकार में जब शहरी विकास मंत्रालय ने धर्मशाला में एक वैकल्पिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम बनाने के लिए बेलारूस की कंपनी से करार किया था, तब ‘इन हिमाचल’ ने इस संबंध में रिपोर्ट छापकर कंपनी को लेकर कुछ सवाल उठाए थे और बाद में ‘इकनॉमिक टाइमस’ ने भी यह मामला उठाया था। आज किशन कपूर तत्कालीन शहरी विकास मंत्री को हराकर ही विधायक बने हैं और मौजूदा सरकार में मंत्री हैं। उस समय इन हिमाचल की रिपोर्ट के आधार पर ही किशन कपूर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके सवाल उठाए थे कि सरकार ने कैसे इस कंपनी (स्काईवे) का चयन किया था। किशन कपूर ने पूछा था- स्मार्ट सिटी धर्मशाला को स्काईवे की भ्रष्ट नींव पर नहीं बनाया जा सकता। मैं गुजारिश करता हूं कि कांग्रेस सरकार यह बताए कि इस स्काईवे प्रॉजेक्ट के लिए स्विस या किसी अन्य कंपनी के बजाय बेलारूस की कंपनी को क्यों चुना गया? (पढ़ें)

ऐसे में सवाल उठता है कि किशन कपूर अब सत्ता में आकर बताएं कि उन्होंने क्यों किसी अन्य कंपनी के बजाय डिपुओं से उत्पाद बेचने को लेकर पतंजलि को ही चुना, किसी अन्य कंपनी को नहीं। कहीं ऐसा तो नहीं कि विपक्ष में उनके सिद्धांत अलग हैं और सत्ता में आने के बाद अलग?