शिमला।। हिमाचल प्रदेश पुलिस में तैनात मनोज ठाकुर की एक कविता कुछ समय पहले सोसल मीडिया वायरल हुई थी। यह कविता लिखी किसी और ने थी और यूट्यूब पर पहले से मौजूद थी, मगर यह हिट इसलिए हुई थी क्योंकि उस कविता को जवानों से भरी बस में एक वर्दीधारी जवान पढ़कर सुना रहा था। इसके वायरल होने के बाद से मनोज ठाकुर सेलिब्रिटी बन गए और अक्सर वह सोशल मीडिया पर कविताएं सुनाने लगे।
वह कई कार्यक्रमों में शिरकत भी करने लगे हैं। मगर जिस तरह का कॉन्टेंट उनके द्वारा पढ़ी जाने वाली कविताओं में होता है, वह सरकारी कर्मचारी, खासकर पुलिस महकमे के कर्मचारी के लिए उचित नहीं है। देशभक्ति, सरकारी फैसलों के प्रति विरोध अपनी जगह सही है मगर सरकारी ड्यूटी और वह भी पुलिस महकमे में, एक जिम्मेदारी भरा काम है और उसकी अपनी मर्यादाएं होती हैं।
भारत सरकार की नीतियों के विरुद्ध टिप्पणी
देशभक्ति वाली कविताओं को सुनाने वाले मनोज ठाकुर अक्सर ऐसी बातें कहने लगे हैं, जो उनके अधिकार क्षेत्र मे नहीं हैं। उदाहरण के लिए भारत सरकार लगातार प्रयासरत है कि पाकिस्तान के साथ उसके रिश्ते सुधरें। दो देशों के आपसी मामलों पर राजनेता टिप्पणी कर सकते है मगर एक सरकारी कर्मचारी ऐसी टिप्पणी नहीं कर सकता कि वह पड़ोसी मुल्क को नष्ट कर देने की बात करे। इस तरह की कई कविताओं के बाद मनोज ने अब केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय के फैसले पर ही टिप्पणी कर दी है, जो कि उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर है।
दरअसल कश्मीर में लगातार जारी हिंसा का दौर समाप्त करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने फैसला लिया था कि रमजान के महीने में सेना अपनी तरफ से कोई ऑपरेशन नहीं चलाएगी। यह फैसला इसलिए लिया गया था ताकि पाकिस्तान के उकसावे पर जो कश्मीरी गलत राह पर बढ़े हैं, वे इसे एक अच्छी पहल मानते हुए खुद भी शांति की राह पर आएं। यह एक अहम नीतिगत फैसला है और इसमें गृह मंत्रालय के ही तहत आने वाले पुलिसकर्मी सार्वजनिक मंच पर चुनौती नहीं दे सकते।
क्या मनोज ठाकुर को पुलिस विभाग ने अधिकृत किया है?
सोशल मीडिया पर प्रसिद्ध हो चुके मनोज ठाकुर ने केंद्र सरकार के फैसले पर भी सार्वजनिक रूप से सवाल उठा दिए हैं और 20 मिनट का फेसबुक लाइव किया है। उनके इस वीडियो ने मीडिया में भी जगह पाई है।
वर्दी में 20 मिनट तक फेसबुक लाइव
मनोज ठाकुर पुलिस की वर्दी पहनकर वीडियो पोस्ट कर सकते हैं जबकि यह वैध नहीं है। वह ड्यूटी के दौरान ही वर्दी पहन सकते हैं और अगर वह वर्दी पहनकर 20-20 मिनट फेसबुक लाइव कर रहे हैं या वीडियो डाल रहे हैं तो यह तो नियमों का और बड़ा उल्लंघन है। क्या वह हिमाचल प्रदेश पुलिस की तरफ से अधिकृत हैं? क्या फेसबुक पर वर्दी में वह जो कविताएं डालते हैं या बयान देते हैं, क्या उसे हिमाचल पुलिस का आधिकारिक बयान माना जाए? अगर नहीं तो मीडिया में तो यही समझा जा रहा है।
पुलिस महकमे में इस संबंध में रोष देखा जा रहा है और मनोज की देखादेखी में कई पुलिसकर्मी ऑन ड्यूटी वर्दी में फोटो, वीडियो और फेसबुक लाइव करने लगे हैं। पुलिस का अनुशासन भंग होता जा रहा है। देखें, ऑन ड्यूटी (संभवत:) वर्दी में एक और जवान के साथ डाला गया वीडियो, जिसमें राजनीतिक टिप्पणियां की गई हैं।
इससे पता चलता है कि कई तरह के विवादों में फंसी हिमाचल पुलिस के अंदर अनुशासन की हालत कैसी है। जवान केंद्र सरकार के फैसलों के खिलाफ ऑन ड्यूटी वर्दी में बयान दे रहे हैं, राजनीतिक टिप्पणियां कर रहे हैं, वर्दी और ड्यूटी को अपने प्रमोशन में इस्तेमाल कर रहे हैं और आला अधिकारी खामोश हैं। गौरतलब है कि पुलिस के आला अधिकारी हाल ही में इस बात को लेकर आलोचना का सामना कर चुके हैं कि वे अपने स्तर पर खुद अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं करते। उदाहऱण के लिए हाल ही में कसौली जैसी बड़ी घटना होने पर पुलिस महानिदेशक ने खुद कार्रवाई नहीं की थी, बल्कि सरकार को इस संबंध में कदम उठाने पड़े थे।
संभवत: किसी दिन जब कोई सोशल मीडिया पर डाला गया गैरजिम्मेदाराना बयान वाला ऐसा ही वीडियो अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की किरकिरी करवाएगा, तब महकमा होश में आएगा।