हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 एग्जिट पोल

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इन हिमाचल डेस्क।। गुजरात विधानसभा के लिए आखिरी दौर का मतदान संपन्न होते ही एग्जिट पोल पर लगी रोक भी हट गई है। इससे पहले कि सोमवार को नतीजे आएं, एग्जिट पोल अनुमान लगाएंगे कि कहां पर कौन सी पार्टी कितनी सीटें जीत सकती है और किसकी सरकार बनने जा रही है। ‘In Himachal’ ने हिमाचल प्रदेश में मतदान होते ही एग्जिट पोल तैयार कर लिया था, मगर इसे अब प्रकाशित किया जा रहा है।

क्या होता है एग्ज़िट पोल?
दरअसल मतदान से पहले जो सर्वे होते हैं, उनमें लोगों से बात करके यह पता किया जाता है कि वे किसके पक्ष में हैं। मगर यह संभव है कि जिन लोगों से आपने यह ऑपिनियन पोल किया हो, उन्होंने वोट डाला ही नहीं हो। एग्जिट पोल के नतीजे सटीक होने की संभावना इसलिए होती है क्योंकि पोलिंग बूथ से ‘एग्जिट’ करने वाले यानी वोट डालकर निकलने वाले लोगों से पूछा जाता है कि उन्होंने किसे वोट दिया। यानी एग्ज़िट पोल वोट दे चुके लोगों द्वारा कही गई बात पर आधारित होता है।

जानें, क्या कहते हैं बाकी चैनलों के एक्ज़िट पोल

कितना सटीक होता है एग्जिट पोल?
प्री-पोल सर्वे या ऑपिनियन पोल्स की तुलना में एग्ज़िट पोल ज्यादा सटीक होता है, मगर ध्यान देने की बात यह है कि लोग स्मार्ट हैं और जरूरी नहीं कि उन्होंने जो बताया हो, उन्होंने उसी को वोट दिया हो। मगर सैंपलिंग में बहुत सी बातों का ध्यान रखा जाता है, इसलिए ऑपिनियन पोल्स की तुलना में एग्जिट पोल के नतीजे असल नतीजों के करीब होते हैं।

हिमाचल में मतदान को लेकर कैसा माहौल था?
इससे पहले कि हम संभावित नतीजों पर आएं, बता दें कि हिमाचल प्रदेश में इस बार लोगों में सरकार के प्रति नाराज़गी देखने को नहीं मिली और न ही बीजेपी के पक्ष में ज्यादा उत्साह देखने को मिला। दरअसल इस बार चुनाव किसी लहर के कारण नहीं, बल्कि हमेशा की तरह लोकल लेवल के मुद्दों पर हुआ है। लोगों ने देखा कि उनके विधायक का रवैया कैसा था, उसने काम करवाए या नहीं। यही कारण है कि इस बार कुछ ऐसे दिग्गजों को झटका लगने वाला है, जिनके हारने की कोई उम्मीद भी नहीं कर सकता। और इन दिग्गजों की जगह पर नए चेहरे पहली बार विधानसभा पहुंचने वाले हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि लोगों ने इन दिग्गजों को हराने के लिए वोट दिया है। और इन दिग्गजों की लिस्ट में कांग्रेस और बीजेपी दोनों के नेताओं के नाम शामिल हैं।

कांग्रेस से मजबूत स्थिति में बीजेपी
In Himachal का एग्जिट पोल कहता है कि सत्ताधारी कांग्रेस को वापस सत्ता में लौटने में मुश्किल होने जा रही है। वैसे भी हिमाचल प्रदेश में पिछले काफी समय से कोई भी सरकार रिपीट नहीं हुई। इस बार कांग्रेस को 28 से 36 सीटें मिल सकती हैं और बीजेपी को 30 से 40 सीटें मिल सकती हैं। वहीं दो सीटों पर निर्दलीय/अन्य उम्मीदवार मजबूत स्थिति में हैं। अनुमानित सीटों के आधार पर भी देखें तो न्यूननतम से लेकर अधिकतम सीटों की तुलना में बीजेपी काफी आगे है कांग्रेस से। मगर दोनों ही पार्टियों की संभावित अधिकतम सीटें बहुमत के आंकड़े (35 सीटों) को पार करती दिखाई दे रही है और न्यनतम सीटें इस आंकड़े से कम रह रही हैं। इसका मतलब है कि बीजेपी भले ही मजबूत है, मगर कांग्रेस के सत्ता में आने की संभावनाएं खत्म नहीं हैं।

पार्टी सीटें
बीजेपी 30-40
कांग्रेस 28-36
अन्य 0-2

 

ऐसा क्यों है?
जैसा कि कयास लगाए जा रहे हैं कि कांग्रेस बुरी तरह से हारेगी, इन हिमाचल का एग्जिट पोल कहता है कि ऐसा शायद न हो। क्योंकि 10 से 12 सीटें ऐसी हैं, जिनमें मुकाबला कड़ा है। इन सीटों पर प्रत्याशी क्या, जनता भी अनुमान नहीं लगा पा रही कि कौन जीतेगा। चूंकि किसी तरह की लहर काम नहीं कर रही, इसलिए इन सीटों पर हार-जीत का फैसला बहुत कम अंतराल से होने वाला है। यही सीटें तय करेंगी कि इस बार हिमाचल प्रदेश में किसकी सरकार बनने जा रही है। अगर ये सीटें बीजेपी के पक्ष में गई तो बीजेपी आराम से सरकार बना लेगी और शायद 40 भी पार कर जाए। अगर इनमें से आधी सीटें भी कांग्रेस के पास चली गईं तो भी बीजेपी को घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि ऊपर दी गई सीटों का औसत निकालें तो बीजेपी 35, कांग्रेस 32 और अन्य 1 सीटों पर विजयी होंगे। इस हिसाब से भी बीजेपी स्पष्ट तौर पर बहुमत हासिल करती नजर आ रही है और सरकार बनाने की स्थिति में दिखती है। रही एक निर्दलीय की बात, वह कांग्रेस के पास जाए, तब भी कांग्रेस को फायदा नहीं होगा। ऐसे में बीजेपी बहुमत में आने के बावजूद जरूर निर्दलीय को अपने पास सेफ्टी के लिए रखना चाहेगी।

पार्टी सीटें
बीजेपी 35
कांग्रेस 32
अन्य 1

 

किस स्थिति में बनेगी कांग्रेस की सरकार?
इस बार कांग्रेस के कई बड़े दिग्गज अप्रत्याशित ढंग से हार सकते हैं जिनमें मंत्री भी शामिल हैं। मगर जैसा कि देखने को मिल रहा है, इस बार सरकार के प्रति नाराजगी नहीं थी। मुख्यमंत्री के बयानों का नुकसान उन्हें और उनके बेटे के साथ-साथ उनके करीबी नेताओं को वोटों के नुकसान के तौर पर जरूर हो सकता है, मगर पूरे प्रदेश में ऐंटी-कांग्रेस वेव नहीं बनी है। ऐसे में जिन 12 सीटों पर कड़ा मुकाबला चल रहा है, वहां पर ज्यादातर सीटें कांग्रेस को मिली तो वह गिरते-पड़ते ही सही, सरकार बनाने की स्थिति में आ सकती है। कांग्रेस की सीटें बढ़ने का मतलब है बीजेपी की सीटों में गिरावट। ऐसी स्थिति में कांग्रेस निर्दलीय की मदद भी ले सकती है।

पार्टी सीटें
बीजेपी 30
कांग्रेस 36
अन्य 2

बहरहाल, इन अनुमानों और कयासों पर चर्चा के लिए ज्यादा समय नहीं बचा है। सोमवार को नतीजे आ जाएंगे और पता चल जाएगा कि प्रदेश की जनता ने किसे अगले पांच साल तक अपना नेतृत्व करने के लिए चुना है।