शिमला।। हिमाचल प्रदेश सरकार के नए हेलिकॉप्टर को लेकर उठे विवाद में नया मोड़ आ गया है। इस चॉपर को लेकर उठे सवालों पर सफाई देते हुए शहरी विकास एवं संसदीय कार्य मंत्री सुरेश भारद्वाज ने दावा किया था कि जो हेलिकॉप्टर आया है, उसकी सीटें ज्यादा हैं मगर किराये की दर पहले वाली ही हैं। मगर अब साफ हुआ है कि भारद्वाज का यह दावा गलत है। यही नहीं, इसका औसत न्यूनतम किराया पांच लाख 10 हजार नहीं बल्कि 6 लाख रुपये प्रति घंटा होगा। वह भी तब, जब निश्चित अवधि तक ही हेलिकॉप्टर की सेवाएं ली जाएंगी।
क्या है मामला
अब तक हिमाचल सरकार पवनहंस कंपनी का हेलिकॉप्टर इस्तेमाल करती रही है जो पुराना होने के साथ-साथ अक्सर खराब भी रहता था। इसीलिए हिमाचल सरकार ने 2018 में ही विकल्प तलाशना शुरू कर दिया था। टेंडर जारी होने के बाद 2019 में स्काई वन कंपनी के साथ करार भी हो गया था जिसे जनवरी 2020 में हेलिकॉप्टर देना था। मगर कंपनी ने कहा कि वह हेलिकॉप्टर देने की स्थिति में नहीं है और 1 अप्रैल 2020 से सेवाएं देगी। मगर उसके बावजूद कंपनी हेलिकॉप्टर डिलीवर नहीं कर पाई और अब वह इस साल ऐसा कर रही है।
हेलिकॉप्टर पहले भी इस्तेमाल होता रहा है लेकिन इस बार विवाद इसलिए खड़ा हुआ क्योंकि इसका किराया पहले से ज्यादा है और सीटें भी ज्यादा हैं। ऊपर से इसकी डिलीवरी ऐसे समय हो रही है, जब प्रदेश कोरोना संकट में है और बेबस दिख रही सरकार को कर्मचारियों और पेंशन लेने वालों का पैसा काटना पड़ रहा है। लेकिन मामला तब और भी गंभीर हो गया जब सरकार का बचाव करने आए सुरेश भारद्वाज ने गलत जानकारी रख दी। उन्होंने कहा-
पुराना हेलिकॉप्टर भी 5.10 लाख रुपये प्रति घंटा मूल्य पर उड़ान भरता था और अब स्काई वन कंपनी का लीज पर लिया गया हेलिकॉप्टर भी 5.10 लाख रुपये प्रति घंटा से उड़ान भरेगा।
-सुरेश भारद्वाज, शहरी विकास मंत्री, हिमाचल प्रदेश
पहले की दर- 3 लाख 90 हजार रुपये घंटा
लेकिन उनके द्वारा दी गई जानकारी बहुत गलत है। पवन हंस कंपनी का जो हेलिकॉप्टर सरकार इस्तेमाल कर रही है, उसके लिए सरकार नई कंपनी से करार करने से पहले तक प्रतिघंटा तीन लाख 30 हजार का भुगतान कर रही थी। 18 फीसदी टैक्स के साथ पवनहंस को सरकार प्रतिघंटा तीन लाख 90 हजार के करीब भुगतान करना पड़ रहा था।
नई दर- लगभग 6 लाख रुपये प्रति घंटा
अब स्काईवन कंपनी से लीज पर लिए जा रहे चॉपर को प्रतिमाह 40 घंटे का न्यूनतम भुगतान करना होगा। इस कारण हिमाचल सरकार को स्काई वन एयरवेज को साल के 480 घंटे के लिए 28 करोड़ 88 लाख रुपये देने ही पड़ेंगे। ध्यान रहे, प्रतिमाह 40 घंटे से ज्यादा सेवा लेने पर कंपनी को छह लाख प्रति घंटा की दर से अतिरिक्त भुगतान भी करना पड़ेगा।
इस संबंध में विधानसभा में 26 फरवरी 2020 को नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने सवाल पूछा था, उसमें मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की ओर से क्या जानकारी दी गई थी, आप नीचे पढ़ सकते हैं-
इस सवाल के जवाब में यह भी बताया गया कि केंद्र सरकार सिर्फ 10 रूटों पर आवश्यक कार्यों (रेस्क्यू आदि) के लिए भरी जाने वाली उड़ानों पर ही 75 फीसदी उड़ानें देंगी। जनजातीय क्षेत्रों के ये रूट हैं- चंबा- किल्लाड- चंबा, भुंतर-किल्लाड- भुंतर, पालमपुर- बड़ा-भंगाल-पालमपुर, भुंतर-उदयपुर-भुंतर, भुंतर-स्टींगरी-भुंतर,भुंतर-तांदी-भुंतर, रामपुर-काजा-रामपुर, रामपुर-पूह-रामपुर, रामपुर-रिकांगपिओ-रामपुर और शिमला-डाेडरा कवार और शिमला।
अफसरों पर कार्रवाई की तैयारी
इस बीच, ऐसी खबर आई है कि इस मामले में ‘सूचना लीक’ करने को लेकर जीएडी के अफसरों पर कार्रवाई की तैयारी की जा रही है। आरोप है कि एक अधिकारी ने कांग्रेस के एक नेता तक ऐसे दस्तावेज पहुंचाए थे। अखबार अमर उजाला के मुताबिक, सीएम कार्यालय ने इस बात पर भी आपत्ति जताई है कि मंत्री को भी यह गलत जानकारी दी गई थी कि हेलिकॉप्टर की लीज का रेट वही है जो साल 2013 में था।
इससे पता चलता है कि हाल ही में सुरेश भारद्वाज ने जो दावा किया था, वह पूरी तरह गलत था। यानी स्काई वन कंपनी से किए गए करार के तहत जो पांच लाख 10 हजार रुपये प्रति घंटे का किराया तय किया गया है, वह पिछली कंपनी से किए गए करार से अधिक है।