इन हिमाचल डेस्क।। हिमाचल प्रदेश में चार बड़े सीमेंट प्लांट हैं- बरमाणा में एसीसी का प्लांट, दाड़लाघाट में अंबुजा का प्लांट, राजबन में सीसीआई का और बागा में अल्ट्राटेक का. तीन निजी कंपनियां हिमाचल में भी सीमेंट बेचती हैं। आपको लगता होगा कि जब इतने खिलाड़ी मार्केट में हैं तो इनमें होड़ रहती होगी कि कौन सस्ता सीमेंट बेचे और मुनाफा कमाए। मगर इसका उल्टा नज़र आता है।
एसीसी, अंबुजा और अल्ट्राटेक (पहले जेपी) सीमेंट कंपनियों पर मनॉपली बनाने के आरोप लगते हैं। इनके सीमेंट के दाम आसपास ही हैं, महज पांच-पांच रुपये का फर्क है। इतनी सी बात होती तो कोई बात नहीं थी। मगर जो सीमेंट हिमाचल प्रदेश की खनिज संपदा से हिमाचल में तैयार होता है, वह पड़ोसी राज्यों मे सस्ता है जबकि हिमाचल में महंगा है। और यह फर्क मामूली नहीं है।
विधायक ने उठाए सवाल
देहरा के विधायक होशियार सिंह ने सवाल उठाया है कि जब दिल्ली में सीमेंट का बैग 230 रुपये में मिल रहा है तो हिमाचल में ही बनने वाले सीमेंट की बोरी यहां 370 में क्यों बेची जा रही है। उन्होंने इस मुद्दे पर सरकार और सीमेंट कंपनियों को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि हिमाचल में पिछले कई सालों से सीमेंट का बड़ा स्कैम चल रहा है।
होशियार सिंह का कहना है कि पंजाब, दिल्ली और हरियाणा की तुलना में हिमाचल में सीमेंट 70 से 80 रुपये मंहगा मिल रहा है जबकि हिमाचल में इसका उत्पादन होता है और इन प्रदेशों में इसकी सप्लाई होती है। उन्होंने यह दावा भी किया कि पंजाब से लगते हिमाचल के इलाकों में पंजाब से लाया जा रहा सस्ता सीमेंट तस्करी करके कम दाम में बेचा जा रहा है जबकि हिमाचल के अन्य हिस्सों में वही सीमेंट महंगा है। उन्होंने इस मामले में उद्योग मंत्री विक्रम सिंह पर भी निशाना साधा।
उद्योग मंत्री के दावे फुस्स
इसी साल 29 मार्च को हिमाचल प्रदेश विधानसभा में यह मुद्दा गूंजा था। विपक्षी पार्टी के विधायकों ही नहीं, बल्कि सत्ताधारी पार्टी बीजेपी के विधायकों ने भी यह मुद्दा उठाया था। वे मांग कर रहे थी सीमेंट कंपनियों को दाम घटाने चाहिए। उस समय उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह ने कहा था कि वह सदस्यों की बात को समझते हैं और जल्द ही सीमेंट कंपनी के प्रतिनिधियों और ट्रक वालों से मीटिंग करके इस मसले पर चर्चा होगी।
उस समय उद्योग मंत्री ने कहा था, “हमारी सरकार अगर-मगर वाली सरकार नहीं है। हम भ्रष्टाचार मुक्त और पूरी तरह पारदर्शी सिस्टम बनाने के लिए जरूरी कदम उठाएंगे। मैं आपकी चिंता को समझता हूं कि हिमाचल के लोगों को यहीं बने सीमेंट के लिए पड़ोसी राज्यों की तुलना में ज्यादा पैसे देने पड़ते हैं।
हिमाचल को भारी नुकसान
उस समय विधायक लखविंदर सिंह राणा ने विधानसभा में कहा था, “हिमाचल के लोग सीमेट फैक्ट्रियों से होने वाला वायु प्रदूषण झेलते हैं, सड़कों की हालत भारी भरकम ट्रकों के कारण खराब हो जाती है लेकिन यहां वही सीमेंट महंगा बेचा जाता है और पड़ोसी राज्यों में सस्ता।”
कंपनियों की मनॉपली के आरोप
राम लाल ठाकुर ने कहा था कि तीन सीमेंट कंपनियों की मनॉपली तोड़नी होगी। उन्होंने कहा था, “हैरानी की बात है ये है कि अगर बरमाणा की सीमेंट फैक्ट्री के बाहर से भी आप सीमेंट उठाते हैं तो 1800 रुपये मालभाड़े के रुपये में चुकाने होते हैं।” अन्य विधायकों ने भी सवाल उठाया था कि बाहरी राज्यों अगर सस्ता सीमेंट खरीदना चाहे कोई तो ट्रकों को हिमाचल में आने नहीं दिया जाता।
हिमाचल और पड़ोसी राज्यों में यह फर्क क्यों है, इस संबंध में In Himachal ने सीमेंट कंपनियों को ईमेल करके सवाल किया है। उनका जवाब आते ही उनका पक्ष भी प्रकाशित किया जाएगा।