शिमला।। हिमाचल प्रदेश विधानसभा में गुरुवार को जिस समय आवारा पशुओं के आतंक पर चर्चा चल रही थी, उस दौरान हमीरपुर से बीजेपी के विधायक ने ऐसा सुझाव दिया, जो न सिर्फ कुछ समूहों के लिए अपमानजनक है, बल्कि नस्लभेदी भी है। यही नहीं, उन्होंने कुत्ते बंदरों को कम करने के लिए उन्हें खाने के लिए पैरामिलिट्री फोर्स ‘असम राइफल्स’ को बुलाने का भी सुझाव दिया। हैरानी की बात यह है कि ये अपमानजक टिप्पणियां विधानसभा की कार्यवाही से हटाई भी नहीं गईं हैं और वेबसाइट पर अपलोड की गई Unedited फाइल में मौजूद हैं।
पहले तो विधायक ने गोली मारने या फिर जंगलों में सोलर फेंसिंग सिस्टम लगाकर घेरेबंदी करने की सलाह दी। इसके बाद उन्होंने जो कुछ कहा, हम उसे यथावत विधानसभा की कार्यवाही के आधार पर प्रकाशित कर रहे हैं। उन्होंने कहा-
“मेरा एक और सुझाव है। अध्यक्ष महोदय, यह ऊना की बात है जहां पीछे चाइनीज कंपनी वालों ने एनएच का ठेका लिया हुआ था। जिसने दिन वह रहे, उतने दिन ऊना में कोई स्ट्रे डॉग नजर नहीं आया। वे सब खा गए। इसलिए सुझाव है कि जैसे आसाम राइफल्स है या नीग्रो लोगों की कोई कंपनी हो, उन्हें प्रदेश में लाया जाए और उन्हें एक-दो साल का ठेका दिया जाए, तो भी इनको कम करने या खत्म करने में उनकी मदद ली जा सकती है।”
“अध्यक्ष महोदय, जैसा कि हमारे कर्नल साहब ने कहा कि इनको ढूंढने और इधर-उधर से पकड़ने में ही 500 करोड़ रुपये का खर्च हुआ है, अगर ऐसी किसी कंपनी को हम खाने के ऊपर भी बुला लें तो इतना सारा खर्च बच जाएगा।”
चीन के बारे में पूर्वग्रह
पहली बात तो यह है कि विधायक ने चीनी लोगों के बारे में पूर्वग्रह भरी टिप्पणी की है, जिसके समर्थन में उन्होंने कहां से आंकड़े जुटाए, उन्होंने जिक्र नहीं किया। वह कि आधार पर कह सकते हैं कि चीन के लोग ऊना के सभी आवारा कुत्तों को खा गए और क्या उनके जाते ही कुत्ते अचानक फिर से वापस आ गए? और क्या चीन के सभी लोग कुत्ते खाते हैं? यह चीन के लोगों के प्रति बनाए गए पूर्वग्रहों पर आधारित टिप्पणी है।
असम राइफल्स को लेकर अज्ञान
इसके बाद उन्होंने आसाम राइफल्स को भी नहीं बख्शा। उन्होंने इस तरह से आसाम राइफल्स, जो कि देश की सबसे पुरानी पैरामिलिट्री फोर्स है, उसे इस मामले में घसीटा और उसमें शामिल जवानों के प्रति भी पूर्वग्रह भरी टिप्पणी की। गौरतलब है कि असम राइफल में देश के किसी भी हिस्से का जवान शामिल हो सकता है। इससे विधायक के सामान्य ज्ञान का भी पता चलता है। वैसे भी यह हमारे देश के पूर्वोत्तर राज्यों के बारे में पूर्वग्रहों को और मजबूत करने वाला बयान है।
ब्लैक लोगों पर टिप्पणी
तीसरी बात उन्होंने ‘नीग्रो कंपनियों’ का जिक्र किया। नीग्रो दरअसल ब्लैक लोगों के लिए इस्तेमाल की जाने वाली टर्म है जिसे इस्तेमाल अब कम ही किया जाता है। उन्हें भी कुत्ते और बंदर खाने वाला बताकर विधायक ने उनका अपमान किया है और एक तरह से यह नस्लीय टिप्पणी है। वह किस आधार पर कह सकते हैं कि सभी ब्लैक बंदरों या कुत्तों को खाते हैं?
कुल मिलाकर यह उनका यह सुझाव न सिर्फ अव्यावहारिक औऱ हास्यास्पद है, बल्कि अपमानजनक भी है। यह तो बाद की बात है कि अगर कोई ऐसा खान-पान करता भी है, तो विशेष तौर पर उसे हिमाचल इसी काम के लिए बुलाया जाए, क्या यह संभव है?
हैरानी की बात है कि जब वह यह टिप्पणी कर रहे थे, तब किसी ने भी उन्हें नहीं टोका। पहले समाज का कम शिक्षित वर्ग इस तरह की बातें किया करता था, मगर अब प्रदेश की दशा-दिशा तय करने वाले विधायक भी पूर्वग्रह भरी बातें करने लग गए हैं। जंगली और आवारा जानवरों की समस्या से पूरा प्रदेश परेशान है, मगर चर्चा के नाम पर इस तरह के सुझाव आएंगे तो समस्या का निदान होने से रहा।