शिमला।। हिमाचल प्रदेश सरकार ने वरिष्ठ पत्रकार डॉक्टर रचना गुप्ता को प्रदेश लोक सेवा आयोग (HPPSC) की सदस्य के रूप में नियुक्ति दी है। खबर है कि गोपनीय तरीके से मंत्रिमंडल ने आयोग में दो सदस्यों के पद सृजित करने का निर्णय लिया और मंगलवार को सरकार ने फैसले की अधिसूचना जारी की। इसके बाद मंगलवार को ही दोपहर बाद तीन बजे राजभवन में राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई।
शपथ दिलाए जाने के दौरान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, शहरी विकास मंत्री सरवीण चौधरी, ग्रामीण विकास मंत्री वीरेंद्र कंवर, उद्योग मंत्री विक्रम सिंह, मुख्य सूचना आयुक्त नरेंद्र चौहान, मुख्य सचिव विनीत चौधरी, अतिरिक्त मुख्य सचिव एवं मुख्यमंत्री की प्रधान सचिव मनीषा नंदा, प्रदेश लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष मेजर जनरल डीवीएस राणा, निदेशक सूचना एवं जन संपर्क अनुपम कश्यप समेत प्रदेश सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
बता दें कि डॉ. रचना की नियुक्ति के बाद अब आयोग में अध्यक्ष के अलावा सदस्यों की संख्या चार हो गई है। अब भी एक पद रिक्त है, जिसे भरने के लिए सरकार जल्द फैसला ले सकती है।
दरअसल पिछली वीरभद्र सरकार के दौरान लोक सेवा आयोग में सदस्यों की नियुक्ति पर भी सवाल उठे थे। ‘द वायर’ के मुताबिक हिमाचल प्रदेश के आरटीआई ऐक्टिविस्ट देव आशीष भट्टाचार्य ने आरटीआई से जानकारी जुटाई थी कि चेयरपर्सन नियुक्त किए गए मेजर जनरल धर्म वीर सिंह राणा (रिटायर्ड) और सदस्य नियुक्त मीरा वालिया ने इन पदों के लिए आवेदन ही नहीं किया था। साथ ही इन पदों के लिए अन्य लोगों के नामों पर विचार नहीं किया गया। गौरतलब है कि वालिया रिटायर्ड IAS ऑफिसर सुभाष आहलुवालिया की पत्नी हैं, जो कि पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र के प्रिंसिपल प्राइवेट सेक्रेटरी भी थे।
द वायर के मुताबिक इस मामले में भट्टाचार्य का कहना था कि पता चलता है कि ततकालीन हिमाचल प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सम्मान नहीं किया था। उन्होंने कहा था कि हिमाचल के मुख्यमंत्री और ब्यूरोक्रैट्स को अदालत की अवमानना करने में कोई डर नहीं है। गौरतलब है कि 15 फरवरी 2013 को दिए गए फैसले (State of Punjab vs Salil Sabhlok) में जस्टिस ए.के. पटनायक कऔर जस्टिस मदन बी. लोकुर ने कुछ गाइडलाइन्स तय की थीं। जस्टिस लोकुर ने ऑर्डर में लिखा था कि पंजाब सरकार चेयरपर्सन और सदस्यों के चयन के लिए प्रक्रिया और दिशानिर्देशों को तय करे ताकि पंजाब पब्लिस सर्विस कमिशन में मनमर्जी से नियुक्तियां न की जा सकें।
भट्टाचार्य द्वारा 17 मई 2017 को डाली गई आरटीआई से पता चला था कि राणा और वालिया की नियुक्ति में हिमाचल सरकार ने ऐसा कुछ नहीं किया। उन्होंने कहा था, ‘दोनों की केसों में अडिशनल चीफ सेक्रेटरी (पर्सनल) तरुण श्रीधर के ऑफिस से नोट चला जिसमें मुख्यमंत्री और चीफ सेक्रेटरी से नियुक्तियों पर फैसला लेने के लिए कहा गया था। चीफ सेक्रेटरी ने अप्रूवल दिया और मुख्यमंत्री ने मीरा वालिया और मेजर जनरल धरम वीर सिंह का नाम सुझा दिया। उसी दिन राज्यपाल ने भी साइन कर दिए।’
आरटीआई ऐक्टिविस्ट का कहना था कि यह सिलेक्शन पूरी तरह गैरकानूनी है और सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है। ऐसे में इस बार जिस तरह से डॉक्टर रचना गुप्ता की नियुक्ति हुई है, उसे लेकर भी प्रश्न खड़े हो सकते हैं।