शिमला।। हिमाचल प्रदेश में बीजेपी की सरकार आने के बाद पुलिस विभाग के मुखिया यानी डीजीपी बनाए गए सीताराम मरडी के बारे में ख़बर सामने आई है कि उन्होंने गुड़िया केस में हवालात में कैदी की मौद के मामले में बंद शिमला के पूर्व एसपी डीडब्ल्यू नेगी से मुलाकात की है। बताया जा रहा है कि इस मुलाकात को प्रशासन ने गुप्त रखा लेकिन अब चर्चा चल रही है कि डीजीपी उनसे मिलने गए क्यों।
बता दें कि नेगी के खिलाफ हाल ही में सीबीआई कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की है। एक अन्य मामले में नेगी पर उनके करीबी रिश्तेदार ने आत्महत्या से पहले लिखे सुसाइड नोट में परेशान किए जाने का आरोप भी लगाया था। उन्हें वीरभद्र सिंह का करीबी माना जाता है और पिछली सरकार के दौरान तत्कालीन उन्हें आईपीएस की कैडर पोस्टिंग के नियमों को दरकिनार कर एसपी शिमला के पद तैनाती दी गई थी।
कब हुई मुलाकात
डीजीपी और पूर्व एसपी शिमला की इस मुलाकात के संबंध हिमाचल प्रदेश के अखबारों में भी खबरें आई हैं और लिखा गया है कि ‘इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि इस मुलाकात के माध्यम से पुराना रिश्ता निभाया जा रहा है या कुछ और’ बात है। पंजाब केसरी के मुताबिक यह मुलाकात पंद्रह मिनट तक हुई। मामला 10 फरवरी का बताया जा रहा है।
नियम ताक पर?
अखबार लिखता है कि दस फरवरी को डीजीपी सीताराम मरडी पुलिस लाइन कैथू का निरीक्षण करने पहुंचे थे। उन्होंने वहां चल रहे निर्मा का रुकवाया और डीडब्ल्यू नेगी से जेल सुपरिटेंडेंट के कमरे में अनौपचारिक मुलाकात की। हालांकि अखबार ने मरडी के हवाले से लिखा है कि वह पुलिस लाइन में निर्माण रुकवाने गए थे और जेल के अंदर नहीं गए थे। उन्होंने कहा है कि बाहर बने सुपरिटेंडेंट के कमरे में नेगी से मुलाकात की है। जेल सुपरिटेंडेंट ललित मोहन शर्मा ने भी इस मुलाकात की पुष्टि की है।
ऐसे में इन बयानों को लेकर सवाल उठ रहे हैं क्योंकि जेल में बंद कैदी को अस्पताल या कोर्ट ले जाने के ही जेल से बाहर लाया जा सकता है। और अगर किसी को मिलना हो तो कैदी को अपने रिश्तेदारों और परिचितों की सूची जेल को मुहैया करवानी होती है और तय समय पर मुलाकात घर में ही कैदी से मुलाकात हो सकती है। बताया जा रहा है कि इस मुलाकात में नियमों का पालन नहीं किया गया।