आशीष नड्डा।। कश्मीर में आतंकवाद के बढ़ने के कारण हिमाचल प्रदेश देश-विदेश के पर्यटकों के लिए पसंदीदा जगह बनकर उभरा है। फिर भी कई सालों से सैलानियों के बीच मनाली, डलहौजी, शिमला और धर्मशाला को छोड़कर औऱ कई जगह पर्यटन स्थल के रूप मे नहीं उभर पाई है।
हिमाचल प्रदेश के चप्पे-चप्पे में पर्यटन की संभावनाएं मौजूद हैं। इसी कड़ी में बाद करें तो हिमाचल प्रदेश में जल क्रीड़ा पर्यटन यानी वॉटर स्पोर्ट्स टूरिज़म की भरपूर संभावनाए हैं। हिमाचल में कई डैम हैं। पौंग डैम, भाखड़ा (गोविंदसागर) डैम और कोल डैम समेत कई झीलें है जो खुद में पर्यटन की अपार संभावनाओं को समेटे हुई है। देखा जाए तो अभी तक इनका सही से दोहन नहीं हुआ है।
गोविन्द सागर में बरसात के बाद जलभराव हो जाने के कारण बिलासपुर सिटी एक नैसर्गिक सुंदरता को प्राप्त हो जाती है। मत्स्य पालन के अलावा गोविन्द सागर के जल और सुंदरता का प्रयोग हम आज तक किसी विशेष कार्य के लिए नहीं कर पाये हैं।
साहसिक खेलों (अडवेंचर स्पोर्ट्स) के रूप में स्टीमर, मोटर बोट और जल सफारी आदि की सुविधाएं दी जाएं तो मनाली या धर्मशाला की तरफ आने-जाने वाले पर्यटकों के बीच एक ठहराव के रूप में गोविन्द सागर और कोल डैम भी पर्यटन केंद्र बन सकते हैं। अपनी थाइलैंड और ऑस्ट्रेलिया यात्रा दौरान मैंने वहां की झीलों में क्रूज शिप तैरते हुए देखे, जिनमें रात के समय भी डिनर और पार्टियों का आयोजन हो रहा था। क्या श्रीनगर की डल लेक जैसे शिकारे हिमाचल के जलाशयों में नहीं चल सकते?
बिलासपुर कीरतपुर फोर लेन हाईवे कम्प्लीट होने के कगार पर है इसके बनने से से मैदानी इलाकों से गोविन्द सागर जलाशय की दूरी और कम हो गई है । साथ ही साथ यह फोरलेन सतलुज के किनारे से होकर जाएगा। इसके आसपास के तटीय क्षेत्र और वन परिक्षेत्र को ट्रैकिंग, साहसिक खेलों तथा जल क्रीड़ा क्षेत्र के रूप में विकसित किया जा सकता है.
ऐसा होगा तो हिमाचल के अंदरूनी इलाकों में घूमने वाले पर्यटक बिलासपुर में उपलब्ध सुविधयों को देख कर यहाँ जरूर रुकने पर बाध्य होंगे। मैदानी इलाकों से वीकेंड पर आने वालों के लिए ऋषिकेश या हरिद्वार की तरह जिला बिलासपुर और ऊना में फैला यह जलाशय भी एक विकल्प बनेगा। इसी तर्ज पर कोल डैम बनी झील को भी विकसित किया जा सकता है।
रोज़गार की अपार संभावनाएं
कितने होटल मैनेजमेंट किए हुए हमारे प्रदेश के छात्र जॉब के लिए चंडीगढ़ दिल्ली का रुख किये हुए हैं। इन जलाशयों में जल प्रयटन परवान चढ़ेगा तो हमारे लोगों को यहीं घर बैठे रोजगार के अवसर मुहैया हो सकते है।
पर्यटन क्षेत्र की सबसे बड़ी खूबसूरती यह होती है की इसमें सरकारों का कार्य सिर्फ प्रोत्साहन रेगुलेशन और योजना निर्माण तक सीमित रहता है। निवेश प्राइवेट सेक्टर से अपने आप आता है। इस दिशा में सही से सरकार अगर सोचे और दुनिया भर के स्थापित मॉडल्स को स्टडी करके ठोस निति और रिपोर्ट तैयार करे तो मुझे पूरी उम्मीद है प्राइवेट फर्म इस क्षेत्र में इन्वेस्टमेंट करने केलिए खुद आकर्षित होंगी।
प्रथम स्टेज में गोविन्द सागर झील में इन संभावनाओं को अमलीजामा पहनाया जा सकता है। हिमाचल के पास अपनी आमदनी के जो स्रोत हैं, उनमें पर्यटन अहम है। सोचिए, अगर लेक टूरिज़म से हिमाचल को कमाई होने लगे तो उस पैसे से सरकार न सिर्फ रोजगार पैदा करेगी बल्कि इस आय से उस कर्ज को भी चुका सकेगी, जो हिमाचल से सिर पर 45 हज़ार करोड़ रुपये हो चुका है।
(लेखक हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर से हैं और वर्ल्ड बैंक में कंसल्टेंट हैं। हिमाचल प्रदेश से जुड़े मसलों पर विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लिखते रहते हैं।)