आई.एस. ठाकुर।। हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव प्रचार के लिए कांग्रेस की तरफ से जहां अकेले मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने ही मोर्चा संभाला हुआ है, बीजेपी अपनी पूरी ताकत झोंकती हुई नजर आ रही है। प्रेम कुमार धूमल के अलावा केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा तो हिमाचल में डटे ही हुए हैं, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह भी यहां आकर रैली पर रैली किए जा रहे हैं। योगी आदित्यनाथ से लेकर नितिन गडकरी समेत कई नेता हिमाचल आ-जा रहे हैं। जहां वीरभद्र सिंह जनता के बीच जाकर अपनी सरकार की उपलब्धियां गिना रहे हैं और अपने ऊपर चल रहे मामलों के लिए बीजेपी नेताओं को जिम्मेदार बता रहे हैं, वहीं बीजेपी के नेता केंद्र सरकार की उपलब्धियों को गिनाते हुए हिमाचल सरकार और खासकर यहां के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को करप्ट बताने में लगे हुए हैं।
वही घिसे-पिटे डॉयलॉग वाले भाषण
अमित शाह अपने भाषणों में कांग्रेस के कार्यकाल में हुए घोटालों को गिना रहे हैं और वादा कर रहे हैं कि बीजेपी की सरकार आएगी तो जिस तरह के नरेंद्र मोदी सरकार पर घोटाले का एक भी दाग नहीं लगा, वैसे ही हिमाचल में बीजेपी की सरकार ईमानदारी से काम करेगी। कई तरह की बातें उनके भाषणों में हैं और कई तरह के वादे हैं। मगर अमित शाह और बीजेपी नेताओं के भाषणों को नजर डालें तो ये कोई नए भाषण नहीं हैं। पिछले कुछ सालों में पूरे देश में जहां कहीं भी विधानसभा चुनाव हुए हैं, अमित शाह के भाषण का विषय यही रहा है, उसकी सामग्री यही रही है और वादे भी यही रहे हैं। झारखंड, हरियाणा, उत्तराखंड, यूपी… सब जगह यही रणनीति बीजेपी अध्यक्ष और अन्य नेताओं ने अपनाई। बस हर जगह राज्य बदल गया।
अपनी राज्य सरकारों की उपलब्धि ही गिना देते
चंबा में अमित शाह ने कहा कि जैसे महाराष्ट्र, यूपी, उत्तराखंड, झारखंड आदि राज्यों मे ंबीजेपी की सरकार आई है, वैसे ही हिमाचल में बीजेपी की सरकार बनेगी। मगर जनाब, जिन राज्यों में आपकी सरकार बनी है, वहां पर क्या न या हो गया? आपने कौन सी क्रांति ला दी? सरकारी दफ्तरों में करप्शन की स्थिति वही है, सामाजिक मुद्दे जस के तस हैं और रोजगार, शिक्षा स्वास्थ्य के मामले में कोई अभूतपूर्व काम नहीं हुआ। आप अपने भाषणों में उदाहरण ही दे देते कि फ्लां राज्य में पहले ऐसी हालत थी, हमारी सरकार आने के बाद यह हुआ है। मगर आप ऐसा न करके हवा-हवाई जुमलेबाजी वाला भाषण दे रहे हैं। आप ऐसा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि आपके पास उपलब्धियां ही नहीं हैं गिनाने को।
विज़नहीन है आपका विज़न डॉक्युमेंट
इन तमाम राज्यों में सरकारी शिक्षण संस्थानों की हालत, अस्पतालों की हालत, जनसुविधाओं की हालत, सड़कों की हालत… वैसी ही है जैसी पहले की सरकारों में थी। इन प्रदेशों में सिर्फ सत्ता परिवर्तन हुआ है। पहले अन्य पार्टियों की सरकार थी, अब आपकी पार्टी की है। मगर व्यवस्था जस की तस बनी हुई है। आप वादे तो कर रहे हैं कि हिमाचल में हम सुशासन देंगे। मगर आपके विज़न डॉक्युमेंट में कुछ विज़न ही नहीं है। विज़न डॉक्युमेंट के नाम पर आपने सिर्फ जनभावनाएं भुनाने की कोशिश की है। एक होशियार हेल्पलाइन बनाने की बाद कह दी एक गुड़िया हेल्पलाइन बनाने की बात कह दी। अजी हेल्पलाइन बनने से क्या होगा? काम तो जमीन में पुलिस और महकमों को ही करना होगा? कॉल सेंटर खोल देने से समस्याएं हल नहीं होतीं। आप बताते कि आप पुलिस और प्रशासन में क्या रिफॉर्म लाना चाहते हैं जिससे माफिया पर नकेल कसेगी और महिलाएं सुरक्षित होंगी। मगर नहीं, विजन ही नहीं है।
प्लान ऑफ ऐक्शन क्या रहेगा आपका?
तुष्टीकरण यानी लोगों को खुश करने वाली आदत गई नहीं। चार धाम भी अब सरकार करवाएगी? बेहतर होता कि बुजुर्गों के लिए अच्छी स्वास्थ्य सुविधाओं को निशुल्क देने की बात की जाती। आप बताते कि डॉक्टरों के खाली पड़े पद भरे जाएंगे और कहीं कमी नहीं रहेगी। आपके विज़न डॉक्युमेंट में शिक्षा के स्तर को ऊपर उठाने के लिए कोई प्लानिंग नहीं है। नौकरियों में पारदर्शिता लाने के लिए प्लान ऑफ ऐक्शन का जिक्र नहीं। हिमाचल में टूरिज़म का विकास कैसे किया जाएगा, वह आपने बताया नहीं। होम स्टे तो पहले से ही चल रहा है, इसे कैसे और कहां बढ़ावा देंगे आपने बताया नहीं।
आपने यह नहीं बताया कि जो जिले उपेक्षित हैं, वहां के लिए आपकी क्या योजना है। आपने बताया नहीं कि रोजगार के सृजन के लिए आप क्या करेंगे। आपने यह भी नहीं कहा कि हिमाचल के सिर पर बढ़ रहे कर्ज के बोझ को कैसे कम करोगे और कैसे राजस्व बढ़ाओगे। मौजूदा व्यवस्था ठेकेदारों और अधिकारियों को करप्शन के मौके देती है। आपने बताया नहीं कि उसपर कैसे लगाम लगाएंगे। बस आपने हल्के में चार मांगें उठाईं, हवा-हवाई बातें कीं और हो गया विजन डॉक्युमेंट जारी।
विज़न का मतलब है दूरदृष्टि। सत्ता में आते ही घोषणनाएं और योजनाएं चला देना विज़न नहीं है। बल्कि दूर की सोचना विज़न कहलाता है कि लॉन्ग टर्म में किससे क्या फायदा होगा। मगर अफसोस, आपने तो भाषण देने हैं। योगी को बुलाना, गडकरी को बुलाना है, हिमाचलियों के इमोशंस से खेलना है। कभी फौजी भाइयों को अपने पक्ष में करने के लिए डायलॉग मारने हैं तो कभी यह कहना है कि मोदी जी का हिमाचल से नाता रहा है।
हिमाचल को आप समझ नहीं पाए
बीजेपी के नेताओं, आजकल टीवी हर घर में है। आप जो हिमाचल में आकर भाषण दे रहे हैं, आपके वे सारे भाषण पुराने हैं और कभी बिहार से सुन लिए गए हैं तो कभी यूपी से। हिमाचल में भी वही घिसी पिटी बातें सुनाने से काम नहीं चलेगा। यहां के लोग अगर सत्ता परिवर्तन चाहते हैं तो वे दरअसल व्यवस्था परिवर्तन चाहते हैं। और इसमें बात कांग्रेस की ही नहीं, बीजेपी की भी है। हिमाचल की जनता को आज तक न तो कांग्रेस का रूल करने का तरीका पसंद आया है और न ही बीजेपी का। इसीलिए इनमें से किसी की सरकार रिपीट नहीं हुई। आपको अगर लगता है कि मोदी जी के इमोशनल भाषण सुनकर जनता बीजेपी के उम्मीदवारों को वोट दे देगी तो आप मुगालते में हैं। यह हिमाचल है जनाब, लगता है मोदी जी लंबे समय तक यहां रहकर भी इसे नहीं समझ पाए।
लेखक मूलत: हिमाचल प्रदेश के हैं और पिछले कुछ वर्षों से आयरलैंड में रह रहे हैं। उनसे kalamkasipahi @ gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।
(ये लेखक के निजी विचार हैं)