बी जे पी आलाकमान नहीं चाहता की इस्तीफा दे वीरभद्र !

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सुरेश चंबियाल।।

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के घर में पड़ी सी बी आई रेड हालाँकि देश की राजनीति के इतिहास का  पहला  मौका है की किसी सिटींग सी एम के घर में सी बी आई ने इस तरह से दस्तक दी है।  हिमाचल प्रदेश में इस मुद्दे को भुनाने के लिए जहाँ पूरी बी जे पी ने जोर लगा दिया है वहीँ कांग्रेस भी इसे साज़िश बताते हुए प्रधानमंत्री मोदी के पुतले फूंक रही है।  बी जे पी हिमाचल यूनिट लगातार सी एम वीरभद्र सिंह से इस्तीफे की मांग कर रही है।
परन्तु देखने वाली बात यह है की इतने बड़े मुद्दे को सिर्फ राज्य इशू बना दिया गया है , जहाँ कांग्रेस आलाकमान की तरफ से पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद सीधे वीरभद्र के समर्थन में आये।  उस तरह से  बी जे पी के आलाकमान ने इस मुद्दे को जोर शोर से नहीं उठाया।  बी जे पी की तरफ से सिर्फ केंद्रीय मंत्री जे पी नड्डा ने मीडिया को उस दिन बाइट देते हुए कहा की नैतिकता के आधार पर वीरभद्र का इस्तीफा बनता है।
कांग्रेस को करप्शन के मुद्दे पर विदेशों तक खींचने वाले प्रधानमंत्री मोदी की दिल्ली टीम वीरभद्र मामले में उग्र नहीं है इसके कई कयास लगाये जा रहे हैं।  राजनैतिक पंडितों का मानना है की , बी जे पी आलाकमान इस मुद्दे को ज्यादा तूल  नहीं देना चाहता इसके कुछ कारण हैं।
पहला कारण यह है की मध्य प्रदेश में सी बी आई भी व्यामप घोटाले की जांच कर रही है।  जिसके छींटे शिवराज सिंह चौहान के परिवार के दामन के ऊपर भी लगे हैं।  बी जे पी  पंडितों का सोचना हो सकता है की अगर वीरभद्र सिंह ने इस्तीफा दिया और कल को व्यामप की जांच में कुछ भी शिवराज से सबंधित निकल कर आया तो इन मुद्दों पर पहले से उग्र कांग्रेस शिवराज के पीछे पद जाएगी जिस से जांच पूरी होने से पहले उनपर भी दबाब बढ़ जाएगा।
दुसरा कारण यह माना जा कि कांग्रेस ने अभी अभी ललित गेट के बाद राजस्थान की मुख्यमंत्रीं  वशुन्धरा राजे पर 4500 करोड़  की माइंस हेराफेरी के आरोप  लगाए हैं , साथ ही वसुन्दरा के एक खास  अधिकारी को करोड़ों रुपये के साथ पकड़ा गया है। उन पर भी दबाब बढ़ सकता है।
कुल मिलाकर बी जे पीआलाकमान ने वीरभद्र मामले में इसीलिए चुप्पी साधी है की कहीं वीरभद्र ने दबाब में इस्तीफा दिया तो   नैतिक दबाब उनके  नेतायों पर आ जाएगा।  इसलिए बी जे पी आलाकमान यह चाहता है की प्रदेश बी जे पी यूनिट बेशक इस मामले को उठाती रहे पर इसे राष्ट्रीय पटल पर न लाया जाए।