इन हिमाचल डेस्क।। आज 23 मार्च है। वह दिन, जब साल 1931 को भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु इस देश को आजाद करवाने की हसरत लिए फांसी चढ़ गए थे। आज उन मतवालों का असली शहादत दिवस है। असली शहादत दिवस इसलिए लिखना पड़ रहा है क्योंकि बहुत से लोग वैलंटाइन्स डे (14 फरवरी) को ही इनका शहादत दिवस बताने लगते हैं।
जिस उम्र में आज के नौजवान सपने संजोते हैं कि लाइफ में उन्हें क्या करना है, उस उम्र में ये लोग फांसी चढ़ गए थे। इन्हें लगता था कि इनके फांसी चढ़ जाने से गुलाम भारतीयों के दिल में आग जलेगी और वे अपने हकों की मांग करते हुए अंग्रेजों के खिलाफ उठ खड़े होंगे। मगर अफसोस, इन मतवालों का सोचना गलत था। भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु और चंद्रशेखर आजाद जैसे क्रांतिकारियों से इस दुनिया से चले जाने के बाद भी हिंदुस्तानियों के अंदर आग नहीं धधकी थी। देश को आजाद होने में कई साल लग गए।
चलो, जैसे-तैसे बाद में कई लोगों के बलिदान और संघर्ष से देश को आजादी मिल गई। मगर हम भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु समेत उन तमाम लोगों को नहीं भुला सकते, जिन्होंने इस राह में अपनी जान तक की फिक्र नहीं रही। इसलिए आज हम स्वतंत्र भारत के नागरिकों का फर्ज बनता है कि कम से कम आज इन्हें याद करके श्रद्धांजलि दें और यह संकल्प लें कि किसी भी दिन ऐसा काम नहीं करेंगे जो हमारे देश को किसी भी तरह का नुकसान पहुंचाए।
आखिर में देखें ‘शहीद भगत सिंह’ फिल्म का एक सीन, जिसमें भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु फांसी के तख्ते पर चढ़ने जा रहे हैं। यह वीडियो भावुक कर देने वाला है: