हिमाचल प्रदेश और खासकर बीजेपी समर्थकों को उम्मीद थी कि हमीरपुर के सांसद और बीजेवाईएम प्रमुख अनुराग ठाकुर को नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी। मगर ऐसा हो नहीं पाया। सूत्रों के मुताबिक हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के चीफ के रूप में अनुराग ठाकुर पर लगे करप्शन के आरोप ही उनके दुश्मन बन गए। जिस तरह से उन्हें विजिलेंस जांच का सामना करना पड़ रहा है, वह उनके खिलाफ चला गया। भले ही उनके ऊपर आरोप सिद्ध नहीं हुए हैं, लेकिन बीजेपी किसी तरह का रिस्क नहीं लेना चाहती थी।
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पिछली यूपीए सरकार के मंत्रियों पर आरोप लगने भर पर ही बीजेपी इस्तीफा मांगा करती थी। यहां तक कि हिमाचल के सीएम वीरभद्र जब केंद्रीय मंत्री थे, तब उनपर लगे करप्शन के आरोपों पर बीजेपी ने खूब हंगामा किया था। नतीजा यह रहा था कि वीरभद्र को मंत्री पद छोड़ना पड़ा था। ऐसे में टीम मोदी यह नहीं चाहती कि सुशासन का नारा लेकर बनी सरकार किसी भी तरह से बैकफुट पर आए।
अगर भविष्य में अनुराग पर आरोप लगते हैं या करप्शन का मामला सिद्ध हो जाता है, उस स्थिति में बीजेपी सरकार के लिए फजीहत की स्थिति बन सकती है। मीडिया या विपक्ष को कोई गलत मसाला न मिले, इसीलिए कर्नाटक के सीएम येदियुरप्पा को भी मंत्री पद से दूर रखा गया, जबकि उनके बाद सीएम बने सदानंद गौड़ा मंत्री बना दिए गए।
वीरभद्र सिंह लाख कोशिश करने पर भी अनुराग ठाकुर को लोकसभा में जाने से तो नहीं रोक पाए, लेकिन उनकी सरकार द्वारा एचपीसीए के खिलाफ खोला गया मोर्चा कारगर रहा। विजिलेंस जांच की आंच ने अनुराग ठाकुर के सपनों और पहाड़ की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। उम्मीद जताई जा रही है कि मंत्रिमंडल के विस्तार में उन्हें जगह मिलेगी। वह भी तब, जब वह एचपीचीए केस से बेदाग होकर निकलेंगे।