शिमला।। शिमला पुलिस के फेसबुक हैंडल ने हिमाचल दस्तक की एक खबर पर कॉमेंट किया है, जो चर्चा में है। हिमाचल दस्तक ने खबर छापी थी कि हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने शिमला के एसपी संजीव गांधी को बड़ी राहत दी है। खबर में लिखा है- “अदालत ने एक आपराधिक अपील के मामले में हलफनामे की गलती पर उनके माफीनामे को स्वीकार करते हुए उन्हें जारी कारण बताओ नोटिस रद्द कर दिया।”
दरअसल, गांधी ने NDPS एक्ट की धारा का हवाला देकर सज़ा के निलंबन का विरोध किया था, जिसे कोर्ट ने प्रथम दृष्टया भ्रामक पाया था। हालांकि, गांधी ने इस संबंध में जो माफीनामा दिया था, उसके आधार पर कोर्ट ने आगे कोई कार्रवाई नहीं की।
इस पर शिमला पुलिस ने दस्तक की खबर कॉमेंट किया है। शिमला पुलिस यानी एसपी के अधीन काम करने वाली पुलिस। इंग्लिश में किए गए इस कॉमेंट का हिंदी अनुवाद स्क्रीनॉशट के नीचे है-

“हिमाचल दस्तक, शुक्रिया, ड्रग ट्रैफिकर समाज के दुश्मन हैं, यह मामला एक ड्रग तस्कर से जुड़ा है जिसे निचली अदालत ने दोषी ठहराया था। एसपी शिमला ने उसकी ज़मानत का विरोध करते हुए एक कानूनी धारा का उल्लेख गलती से कर दिया, लेकिन यह एक ईमानदार कोशिश थी। बहरहाल, हमें यह स्वीकार करना होगा कि नशा और ड्रग माफिया समाज के दुश्मन हैं और इनके खिलाफ़ पूरी ताकत से लड़ना ज़रूरी है।”
आगे एसएसपी संजीव गांधी की तारीफ करते हुए हैशटैग्स का इस्तेमाल करते हुए शिमला पुलिस ने लिखा है, “#SanjeevGandhiSP इस मुहिम को अच्छे तरीके से आगे बढ़ा रहे हैं। #ShimlaPolice की #MissionClean और #Bharosa जैसी पहलें ड्रग तस्करों के खिलाफ़ मजबूत संदेश दे रही हैं।”
दिलचस्प बात यह है कि शिमला पुलिस अपने एसपी को संबोधित करते हुए उनका मनोबल बढ़ाते हुए आगे कहती है, “एसपी शिमला, परवाह न करें। ड्रग तस्करों के खिलाफ़ लड़ाई में कई चुनौतियां आ रही हैं, लेकिन हम पाप के खिलाफ़ लड़ेंगे और जीतेंगे। ड्रग तस्करों के खिलाफ़ लड़ना हमारा कर्तव्य है। “पाप से लड़ेंगे, जीतेंगे जरूर।”
आखिर में लिखा है- “धन्यवाद दस्तक, शायद शिमला की जनता इस खतरे को सबसे बेहतर तरीके से समझती है।”
एसएसपी संजीव गांधी पिछले दिनों विवादों में रहे थे। एचपीपीसीएल के अधिकारी रहे विमल नेगी की मौत मामले में उनकी रिपोर्ट पर पूर्व डीजीपी ने सवाल उठाए थे, जिसके बाद गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर डीजीपी, सीएस समेत कई अधिकारियों और नेताओं पर आरोप लगाए थे। सरकार ने उन्हें, डीजीपी और एसीएस ओंकार शर्मा को कथित तौर पर छुट्टी पर भेज दिया था। गांधी सीबीआई जांच के खिलाफ हाई कोर्ट भी गए थे। निजी हैसियत से उन्होंने अपनी जांच को सही बताते हुए एक याचिका भी हाई कोर्ट में दायर की थी।
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