कांगड़ा में जलधाराओं तक सड़कें बनाकर रेत-बजरी निकाल रहा माफिया

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न्यूगल की बीते साल नवंबर की तस्वीर (Courtesy: The Tribune)

इन हिमाचल डेस्क।। प्रदेश भर में अवैध खनन को रोकने के लिए सख्त नियमों के बावजूद कई हिस्सों में नियमों को ताक में रखकर खनन किा जा रहा है। कांगड़ा जिले के बैजनाथ, पालमपुर, सुलह और जयसिंहपुर समेत आसपास के इलाक़ों में इस अवैज्ञानिक खनन के कारण पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंच रहा है। द ट्रिब्यून की ताजा रिपोर्ट में बताया गया है कि न्यूगल, मोल, आवा और बिनवा नदियों में करीब 100 किलोमीटर की पट्टी पर होने वाले अवैध खनन के कारण हालात ज्यादा गंभीर हैं। ये सभी खड्डें ब्यास नदी की सहायक जलधाराएं हैं।

रिपोर्ट बताती है कि खनन गतिविधियों के कारण सरकारी भूमि पर ग्रीन कवर भी कम हुआ है क्योंकि यहीं से रास्ते बनाकर नदी तक पहुंचा जा रहा है। खनन माफिया ने पेड़ों को काटकर जंगल की जमीन से होते हुए नदियों और खड्डों तक रास्ते बना दिए हैं जिससे हालात गंभीर हो गए हैं।

ट्रिब्यून की रिपोर्ट कहती है कि सरकार की खनन नीति के बावजूद बेधड़क रेत और बजरी निकाली जा रही है। माफिया ने ट्रैक्टर, टिप्पर और भारी भरकम मशीनें (अर्थमूवर) इस काम में लगाई हुई हैं जो दिन-रात चल रही हैं। जब कभी खनन विभाग या पुलिस विभाग छापे मारता है तो कुछ समय के लिए ये काम रोक दिया जाता है मगर बाद में फिर चालू कर दिया जाता है।

हाल के एक वाकये का जिक्र करते हुए बताया गया है कि थुरल में सरकारी कॉलेज के पास खड्ड तक जाने वाली अस्थायी सड़कों को प्रशासन ने नष्ट कर दिया था, मगर इन्हें फिर से बना दिया गया है। भारी हलचल के कारण नदी के किनारे भी प्रभावित हुए हैं। प्रशासन को नाकाम होता देख आसपास के गांवों के लोगों ने कमेटी बनाई है ताकि अवैध गतिविधियों पर रोक लगाई जा सके।

ट्रिब्यून के अनुसार, पालमपुर के डीएफओ संजीव शर्मा ने कहा है कि अवैध माइनिंग पर नजर रखने के लिए टीमें तैनात की गई हैं। खासकर बैजनाथ, जयसिंहपुर और धीरा के लिए ऐसे इंतजाम किए गए हैं। उनका कहना है कि पिछले तीन महीनों में वन विभाग ने जलधारा तक जाने वाली ज्यादातर अवैध सड़कों को नष्ट कर दिया है। वहीं बैजनाथ के डीएसपी अनिल शर्मा ने कहा है कि पुलिस इस मसले पर गंभीर है और दर्जनों लोगों पर आईपीसी की धाराओं के तहत मामले दर्ज किए गए हैं और आगे भी नजर रखी जाएगी।