इन हिमाचल डेस्क ।। हिमाचल प्रदेश में नेता प्रतिपक्ष के लिए पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के नाम पर मुहर लग गई है। बीजेपी ने अपनी पुरानी रिवायत जारी रखी है। जो भी मुख्यमंत्री रहे होते हैं उन्हें नेता प्रतिपक्ष का दर्जा दिया जाता है। नेता प्रतिपक्ष बनने के लिए जयराम ठाकुर के अलावा ऊना से विधायक सतपाल सिंह सत्ती और सुलह से विधायक विपिन परमार के नाम की चर्चा भी थी। अंत में पार्टी ने पूर्व मुख्यमंत्री और छठी बार चुनकर विधानसभा पहुंचे जयराम ठाकुर को यह जिम्मेदारी सौंपी है। रविवार को हुई बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं की बैठक में यह फैसला लिया गया है। मौजूदा विधानसभा में लगातार छह बार जीत कर पहुंचने वाले जयराम ठाकुर एकमात्र नेता हैं। हालांकि मौजूदा विधानसभा में छह या इससे अधिक बार जीतने का रिकॉर्ड अन्य नेताओं के नाम भी है लेकिन लगातार कोई भी नेता जीत हासिल नहीं कर पाया है।
साल 1998 में पहली बार चच्योट विधानसभा सीट चुनकर आए जयराम ठाकुर ने जीत का यह सिलसिला 2022 तक बरकरार रखा है। वहीं इस बार जयराम ने जीत के अंतर का भी रिकॉर्ड (38 हजार से अधिक) बनाया है। ऐसा रिकॉर्ड जो प्रदेश के कई बड़े दिग्गज नेता नहीं बना पाए। साथ ही इस बार के चुनावों में पार्टी में अपने काम की बदौलत अपने कद को और मजबूती देने का काम किया है। इस बार बीजेपी बेशक चुनाव हार गई हो लेकिन जयराम ठाकुर के गृह जिला मंडी में पार्टी ने बेहतर प्रदर्शन किया है। मंडी जिले के अंतर्गत आने वाली 10 में से 9 सीटों पर पार्टी को जीत मिली है। अपने काम की बदौलत ही जयराम ठाकुर ने पार्टी और संगठन दोनों में अच्छी पकड़ बनाई हुई है। यही वजह है कि उनकी मृदुभाषी-स्वच्छ छवि और काम के दम पर बीजेपी ने नेता प्रतिपक्ष के तौर पर उन्हें चुना है।
जयराम ठाकुर का राजनीतिक सफर
पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का जन्म 6 जनवरी 1965 को मंडी जिले की थुनाग तहसील के तांदी गांव में एक किसान परिवार में हुआ। जयराम ठाकुर के पिता राजमिस्त्री का काम करते थे, उनके परिवार में तीन भाई और दो बहनें हैं। जयराम ठाकुर की प्रारंभिक शिक्षा गांव से ही हुई है। जबकि स्नातक की पढ़ाई उन्होंने मंडी के बल्लभ कॉलेज से पूरी की। वहीं उन्होंने अपनी एमए की पढ़ाई चंडीगढ़ में रहते हुए पंजाब विश्वविद्यालय से पूरी की है। छात्र जीवन में ही उन्होंने एबीवीपी का दामन थाम लिया और छात्र राजनीति में अपने करियर की शुरुआत की। साल 1995 में जयराम ठाकुर ने जयपुर की डॉ. साधना सिंह से शादी की। जयराम ठाकुर की दो बेटियां हैं।
छात्र जीवन में जयराम ठाकुर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद समर्पित कार्यकर्ता रहे और छात्र संगठन में काम करते हुए अलग-अलग दायित्व निभाए। 1984 में एबीवीपी से छात्र राजनीति में आए और कला संकाय में पढ़कर सीआर जीते। 1986 में एबीवीपी की प्रदेश इकाई में संयुक्त सचिव बने। 1989 से 1993 तक एबीवीपी की जम्मू-कश्मीर इकाई में संगठन सचिव रहे। यहां से संगठन में इन्हें काफी अच्छी पकड़ मिली।
जब 1993 में घरवालों ने किया विरोध और चुनाव हारे जयराम
जयराम ठाकुर का राजनीति से दूर-दूर तक का कोई नाता नहीं था। जयराम ठाकुर के राजनीति में जाने को लेकर उनके परिवार में कोई खुश नहीं था। पहले तो छात्र जीवन में घर परिवार से दूर जम्मू-कश्मीर जाकर एबीवीपी का प्रचार किया। जब 1992 में घर लौटे तो साल 1993 में जयराम ठाकुर को बीजेपी ने चच्योट (सराज) विधानसभा क्षेत्र से टिकट देकर चुनाव मैदान में उतार दिया।
घरवालों को इसका पता चला तो उन्होंने विरोध किया। चुनाव लड़ने के लिए परिवार की आर्थिक स्थिति भी मजबूत नहीं थी तो घरवालों की ओर से चुनाव नहीं लड़ने की सलाह दी गई। लेकिन जयराम ठाकुर ने अपने दम पर राजनीति में डटे रहने का निर्णय लिया और विधानसभा चुनाव लड़ा। वे यह चुनाव हार गए। 1998 में बीजेपी ने फिर जयराम ठाकुर पर भरोसा जताया और उन्हें टिकट दी। इस बार इन्होंने जीत हासिल की और उसके बाद विधानसभा चुनाव में कभी हार का मुंह नहीं देखा।
राजनीतिक सफर के पड़ाव
– 1998 में जयराम पहली बार चच्योट सीट से जीते और हिमाचल प्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए।
– 2000 से 2003 तक वह मंडी जिला भाजपा अध्यक्ष रहे।
– 2003 में दूसरी बार जीतकर विधानसभा पहुंचे।
– 2003 से 2005 तक भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष रहे।
– 2006 में उन्हें प्रदेशाध्यक्ष का पद मिला।
– 2007 में तीसरी बार चुनाव जीते और धूमल सरकार में पंचायतीराज मंत्री भी रहे। वहीं उन्होंने भाजपा के अध्यक्ष के तौर पर चुनावों में जीत दर्ज न करने के मिथक को भी तोड़ा
– डीलिमिटेशन के बाद उन्होंने 2012 में सराज से चुनाव लड़ा और लगातार चौथी बार विधानसभा पहुंचे।
– 2017 में हिमाचल प्रदेश विधानसभा के लिए पांचवीं बार निर्वाचित हुए और 27 दिसंबर को उन्होंने हिमाचल प्रदेश के 14 वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथग्रहण की।
– 2022 में लगातार छह बार जीत के रिकॉर्ड के साथ-साथ सबसे अधिक जीत के अंतर (38 हजार से अधिक) का भी रिकॉर्ड बनाया।
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