हमीरपुर।। पिछले कुछ समय से इस बात को लेकर लगातार विरोध हो रहा था कि कैसे नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी (एनआईटी) हमीरपुर के निदेशक प्रो. विनोद यादव अपने संस्थान में कथित तौर पर अपने पैतृक राज्य के लोगों को भर्ती कर रहे हैं। इन आरोपों की प्रारंभिक जांच के बाद उन्हें पद से तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया गया है।
प्रोफेसर यादव पर आरोप है कि एनआईटी हमीरपुर का निदेशक रहते हुए उन्होंने असिस्टेंट प्रोफेसर ग्रेड दो के पदों पर होने वाली भर्तियां में चहेतों को लाभ दिया और संस्थान के स्टाफ को अनुचित वित्तीय लाभ भी दिया। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने प्रथम दृष्टया आरोप साबित होने पर यह कड़ी कार्रवाई की है। इससे पहले जुलाई में निदेशक यादव की वित्तीय और प्रशासनिक शक्तियां छीनकर मंत्रालय ने उन्हें लंबी छुट्टी पर भेज दिया था। साथ ही अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) के चेयरमैन प्रो. अनिल सहस्त्रबुद्धे को जांच का जिम्मा सौंपा था।
रिकॉर्ड गायब थे
संभवत: एनआईटी के निदेशक के खिलाफ पहली बार ऐसी कार्रवाई हुई है। जब प्रोफेसर सहस्त्रबुद्धे जांच के लिए हमीरपुर पहुंचे थे तो कई सरकारी रिकॉर्ड संस्थान से गायब मिले थे। आरोप है कि कुछ फाइलें प्रोफेसर यादव के घर से भी बरामद हुईं थीं। करीब 2 माह से भी अधिक समय तक चली जांच के बाद एआईसीटीई चेयरमैन ने जांच रिपोर्ट केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को सौंपी थी, जिसमें यादव पर लगे आरोप सही पाए गए हैं।
मंत्रालय ने जांच रिपोर्ट के आधार पर प्रो. यादव को निदेशक पद से निष्कासित कर दिया। मोतीलाल नेहरू नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी इलाहाबाद (यूपी) के मेकेनिकल विभाग के प्रो. यादव को मंत्रालय ने 20 मार्च, 2018 को 5 वर्ष के लिए एनआईटी हमीरपुर के निदेशक पद पर नियुक्ति किया था।