राजीव बिंदल के धूमल से दूरियां बनाकर नड्डा कैंप में शामिल होने की चर्चा

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  • सुरेश चंबयाल
हिमाचल प्रदेश में चुनाव तो अभी काफी दूर है मगर माहौल पूरा चुनावी चल रहा है। सत्ताधारी कांग्रेस में तो गुटबाज़ी साफ दिख रही थी, मगर अब विपक्षी पार्टी बीजेपी में भी कुछ ऐसे ही समीकरण उभरते दिख रहे हैं। लम्बे अरसे तक धूमल और शांता गुटों में विभाजित रहने वाली हिमाचल बीजेपी अब  धूमल  बनाम नड्डा की राह पर चल दी है।
नड्डा के खेमे में वही नेता आने को आतुर हैं, जिन्हे धूमल सरकार के  समय  पार्टी  और सरकार में ज्यादा तवज्जो नहीं मिली थी। टिकट की इच्छा रखने वाले लोग भी नड्डा के साथ हैं, क्योंकि राजनीतिक पंडितों का मानना है कि सीएम कोई भी बने, टिकट आवंटन की चाबी नड्डा के हाथ ही रहने वाली है। कहा जा रहा है कि नड्डा का अपने खास सिपहलसार रहे राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी श्रीकांत शर्मा को हिमाचल बीजेपी का प्रदेश प्रभारी बनाना इसकी तरफ साफ संकेत दे रहा है। इस वजह से  प्रदेश के कई नेता छिटक-छिटककर नड्डा के साथ जा रही है।
यह राजनीति का उसूल है कि जिसके हाथ में पावर होती है, कार्यकर्ताओं की निष्ठा उसी की तरफ स्थानांतरित हो जाती है।  परन्तु प्रदेश में चर्चा का विषय बीजेपी  माइंडेड लोगों के बीच यह बना है कि धूमल सरकार में प्रमुख पोर्टफोलियो संभालने वाले और धूमल के दाएं हाथ कहे जाने वाले राजीव बिंदल ने आखिर नड्डा कैंप की तरफ क्यों छलांग लगा दी।
सोलन से लेकर नाहन तक यही चर्चा गर्म है कि राजीव बिंदल की अब धूमल से अनबन है। इस बात में कितनी सच्चाई है यह तो नहीं पता, मगर जनता और कार्यकर्ता चर्चा कर रहे हैं कि दोनों के राम-लक्ष्मण जैसे रिश्ते में कड़वाहट का ज़हर घुल गया हैं।  सुनने में आया है कि बिंदल के नड्डा प्रेम में भविष्य की राजनीति का  मानचित्र उभरा हुआ है। नड्डा का नाम अध्यक्ष पद की दौड़ में चलते ही और उनके केंद्र बीजेपी संगठन में रुतबे के बाद से डॉक्टर बिंदल हिमाचल में नड्डा के सब से बड़े समर्थक हो गए थे। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री बनने के बाद से नड्डा जब कभी हिमाचल आते हैं तो प्रदेश के मुख्य द्वार पर ही बिंदल  दल-बल के साथ नड्डा के स्वागत में  खड़े रहते हैं।
सूत्रों के मुताबिक यही सब धूमल गुट को संदेहास्पद लग रहा है। वे भी जानते हैं बिंदल मौके पर चौका मारने वाले बल्लेबाज़ हैं।  गली-मोहल्लों में हो रही इस तरह की गुफ्तगू से यह भी निकल कर आया है कि बिंदल नड्डा के आशीर्वाद से हिमाचल बीजेपी के अद्यक्ष तो बनना ही चाहते हैं, साथ ही साथ उनकी इच्छा यह भी है कि अगर पार्टी धूमल और नड्डा के अलावा किसी और सीएम बनाने की सोचे तो वह भी एक विकल्प के रूप में उभरें।
इसी कवायद में अगर याद किया जाए तो लगभग एक साल पहले सोलन में  बीजेपी के दो दिवसीय सम्मेलन में  एक रहस्यमयी पर्चा लोगों में बांटा गया था,  जिसमे बिंदल को हिमाचल का मुख्यमंत्री बनाने की वकालत की गई थी। तब से धूमल और बिंदल के रिश्ते  उलझ कर रह गए हैं।
ऐसा नहीं है कि बिंदल का ही एकतरफा लगाव नड्डा के लिए है।  नड्डा भी जानते हैं कि चुनावी रणनीति में माहिर बिंदल जैसे सेनापति की उन्हें भी जरूरत पड़ सकती है। सूत्रों का कहना है की  पहली बार बिंदल को विधायक का टिकट दिलवाने में नड्डा का ही योगदान रहा था।  सोलन में सोफत के साथ अनबन के चलते नड्डा ने बिंदल का नाम आगे कर दिया था।
खैर मामला कुछ भी हो, लेकिन डॉक्टर बिंदल का आजकल शिमला में धूमल के प्रोग्राम आदि में सक्रिय भागीदारी न दिखाना इन सब चर्चाओं को हवा दे ही रहा  है। ऊपर से 2 जुलाई हो नड्डा फिर सोलन में हैं, लिहाजा जनता के बीच कानाफूसी होना लाजिमी है।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं)

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