इन हिमाचल डेस्क।। भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेता और पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया है। उनका 67 साल की उम्र में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। मंगलवार शाम को उन्हें बेचैनी की शिकायत के बाद दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
पिछले ही साल सुषमा स्वराज ने ये ऐलान किया था कि वो साल 2019 का चुनाव नहीं लड़ेंगी। इसके बाद वह मंत्री भी नहीं बनी थीं। इसके बाद कई बार उनके निधन की अफवाहें फैलीं जिनका उन्होंने खुद ट्वीट करके खंडन किया। इस बार भी सबको लग रहा था कि वह खुद कहेंगी कि अफवाहें न फैलाएं। मगर अफसोस, होनी को कुछ और ही मंजूर था।
राजनीति की शुरुआत
4 फरवरी 1952 को हरियाणा के अंबाला शहर में जन्मीं सुषमा स्वराज मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में विदेश मंत्री थी। वह 7 बार सांसद और 3 बार एमएलए रह चुकी हैं। 1977 में जब वह 25 साल की थीं तब वह भारत की सबसे कम उम्र की कैबिनेट मंत्री बनी थीं। 1998 में वह दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनी थीं।
सुषमा स्वराज ने 1970 में छात्र नेता के रूप में राजनीति में प्रवेश किया। 1975 में देश में आपातकाल लगाए जाने के बाद उनकी सक्रियता बहुत बढ़ गई। उन्होंने इंदिरा गांधी की सरकार के खिलाफ कई विरोध प्रदर्शन आयोजित किए। इसके बाद राजनीति में उनका कद तेजी से बढ़ा। महज 27 साल की उम्र में उन्होंने जनता पार्टी का हरियाणा में अध्यक्षा का पद संभाला था। सुषमा स्वराज स्कूल के दिनों में एनसीसी से भी जुड़ी रहीं।

पेशे से वकील सुषमा स्वराज ने अंबाला के एसडी कॉलेज और पंजाव विश्वविद्यालय के कानून विभाग से पढ़ाई की थी। अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत इन्होंने 1970 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से की थी। वह 1977 में अंबाला छावनी विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुनी गईं। चौधरी देवी लाल की सरकार में वह श्रम मंत्री बनीं और 25 साल की उम्र में कैबिनेट मंत्री बनने का रेकॉर्ड बनाया था।
सन 1990 में सुषमा स्वराज राज्यसभा की सदस्य चुनी गईं और 1996 में लोकसभा चुनावों में वो दक्षिण दिल्ली से 11वीं लोकसभा के लिए सांसद बनीं। उन्होंने संसद में कई मौकों पर जोरदार भाषण दिए, जिन्हें आज भी याद किया जाता है।
सुषमा स्वराज को 1996 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में सूचना और प्रसारण मंत्रालय दिया गया और कैबिनेट में शामिल हुईं। सन 1998 में सुषमा स्वराज 12वीं लोकसभा के लिए दोबारा दक्षिणी दिल्ली से चुनी गईं। 2014 में 16वीं लोकसभा में सुषमा स्वराज विदिशा से जीतकर आईं। यूपीए दो सरकार में सुषमा स्वराज विपक्ष की नेता थीं।
इसके बाद नरेंद्र मोदी सरकार में विदेश मंत्री बनने के बाद वह ट्विटर पर तुरंत लोगों की सहायता करने वालीं मंत्री के तौर पर लोकप्रिय हुईं। उनका संयुक्त राष्ट्र में दिया गया भाषण आने वाले कई सालों तक याद किया जाता रहेगा।
‘एक रुपया ले लो’
सुषमा स्वराज ने मंगलवार को अपने निधन से महज चंद मिनट पहले ही इंटरनैशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में कुलभूषण जाधव का केस जीतने वाले वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे से बातचीत की थी। उनसे आखिरी बातचीत को याद कर साल्वे काफी भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि सुषमा जी ने उन्हें कल यानी बुधवार को मिलने के लिए बुलाया था और कहा था कि अपनी 1 रुपये की फीस आकर ले लो।
बता दें कि पूर्व सॉलिसिटर जनरल साल्वे ने जासूसी के आरोप में पाकिस्तान में मौत की सजा का सामना कर रहे कुलभूषण जाधव केस को ICJ में लड़ने के लिए महज रुपये की प्रतीकात्मक फी ली थी, जबकि पाकिस्तान ने 20 करोड़ रुपये खर्च किए थे। ICJ में साल्वे की दलीलों से भारत के पक्ष में फैसला आया तो पाकिस्तान को जाधव तक कंसुलर ऐक्सेस देने का आदेश पारित हुआ।
न्यूज चैनल टाइम्स नाउ के साथ बातचीत में हरीश साल्वे ने कहा कि उनकी मंगलवार को ही रात 8 बजकर 50 मिनट पर सुषमा स्वराज से बातचीत हुई थी। उन्होंने याद किया, ‘आज (सोमवार) 8:50 पर मैंने उन्हें फोन किया था। अब जब यह खबर सुना तो मैं सन्न रह गया। बहुत ही भावुक बातचीत हुई। उन्होंने मुझे कहा कि तुम कल 6 बजे आओ अपना एक रुपये का फीस लेने के लिए।’
टीम इन हिमाचल की ओर से सुषमा स्वराज को श्रद्धांजलि।