बरागटा के खिलाफ जांच बंद, बिंदल पर चल रहा केस वापस होगा

शिमला।। मुख्य सचेतक नरेंद्र बरागटा पर चल एंटी हेल गन मामले की जांच बंद कर दी गई है। इसके साथ ही सरकार के अभियोजन विभाग ने विधानसभा अध्यक्ष डॉक्टर राजीब बिंदल और 25 अन्य के खिलाफ चल रहे भर्ती मामले को वापस लेने की इजाजत दे दी है।

बरागटा पर क्या था आरोप
हाल ही में सरकार द्वारा विधानसभा में मुख्य सचेतक बनाए गए नरेंद्र बरागटा के खिलाफ एंटी हेलगन मामले में जांच बंद हो गई है। खबर है कि विजिलेंस का कहना है कि इस मामले में उसे कुछ नहीं मिला है। एंटी हेल गनों की खरीद उस समय की गई थी जब भारतीय जनता पार्टी की पहले की सरकार में बरागटा बागवानी मंत्री थे।

कांग्रेस सरकार के दौरान सवाल उठे थे कि बेहद महंगी एंटी हेल गनों को किस आधार पर खरीदा गया और इन्हें खरीदने से पहले किस रिपोर्ट को आधार बनाया गया था कि ये ओले गिरने से रोकने में कारगर हैं। इसी आधार पर यह जांच शुरू की गई थी। मगर ‘अमर उजाला’ की रिपोर्ट के मुताबिक अब सबूत न मिलने के आधार पर जांच को बंद किया गया है।

एक साल में बदल गया मामला
हालांकि, एक साल पहले जून 2017 में मीडिया में खबरें आई थीं कि विजिलेंस ने जांच में पाया है कि इन गनों की खरीद में शर्तों का पालन नहीं किया गया। ‘दिव्य हिमाचल’ की रिपोर्ट में विजिलेंस की जांच के हवाले से कहा गया था, “बागबानी विभाग ने खरीद की शर्तों के विपरीत कंपनी को पूरी पेमेंट कर दी। इनके लिए लगाया गया राडार भी कुछ ही समय में खराब हो गया। इस मामले में विजिलेंस बागबानी विभाग के एक आलाधिकारी और फर्म के खिलाफ मामला दर्ज कर चुकी है।”

दरअसल भाजपा सरकार के वक्त साल 2011 में तीन एंटी हेलगनें खरीदी गई थीं। ये गनें खड़ा पत्थर के खटासू, देउरीघाट, ब्रूईंघाट में लगाई गई थीं। बागबानी विभाग ने एक निजी कंपनी के साथ इन गनों की खरीद को लेकर 2.35 करोड़ का सौदा किया था। इसके लिए एक राडार भी लगाया गया था।

विजिलेंस जांच के हवाले से अखबार ने प्रकाशित किया था, “एंटी हेलगनों की खरीद के लिए तय शर्तों का कंपनी ने पालन नहीं किया और बागबानी विभाग ने भी इनका पालन नहीं करवाया। कंपनी को इन गनों की एवज में किस्तों में पेमेंट होनी थी। यानी इन गनों की सही तरीके पर ही पूरी पेमेंट की जानी थी, लेकिन बताया जा रहा है कि बागबानी विभाग ने इन गनों के लिए पूरी पेमेंट कर दी, जबकि ये गन सही तरीके से काम नहीं कर पाईं।”

बिंदल पर क्या है केस
विधानसभा अध्यक्ष डॉक्टर राजीव बिंदल समेत अन्य 25 के खिलाफ भर्ती में गड़बड़ी के आरोप को मामला चल रहा था। दरअसल 1999 में डॉक्टर बिंदल जब सोलन नगर परिषद के अध्यक्ष थे, कांग्रेस का आरोप है कि उस दौरान उन्होंने नियमों के खिलाफ भर्ती की थी।

कांग्रेस सरकार ने साल 2006 में मामला दर्ज किया था और फिर अगली बार फिर वह सत्ता में आई तो साल 2013 में उसने अभियोजन चलाने की मंजूरी दी थी। इन आरोपों को डॉक्टर बिंदल राजनीति से प्रेरित बताते रहे हैं।

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