इस बात का कोई सबूत नहीं कि शिमला को ‘श्यामला’ कहा जाता था

इन हिमाचल डेस्क।। हिमाचल प्रदेश में राजधानी शिमला का नाम ‘श्यामला’ करने की मांग हो रही है। हैरानी की बात यह है कि सोलन का नाम ‘शूलिनी’, मनाली का नाम ‘मनु’ और कुल्लू का नाम ‘कुलांत पीठ’ करने मांग क्यों नहीं हो रही। अब आप सोच रहे होंगे कि यह कैसी बात की जा रही है। दरअसल जिस तरह से ये कहा जाता है कि शिमला का नाम श्यामला देवी के मंदिर के काऱण पहले श्यामला था,  उसी तरह से माना जाता है कि सोलन का नाम वहां के शूलिनी देवी के नाम पर, मनाली का नाम मनु के नाम पर और कुल्लू का ‘कुलांत पीठ’ के कारण पड़ा था।

लेकिन मांग सिर्फ शिमला का नाम बदलने की ही हो रही है। इसलिए, क्योंकि कुछ लोगों के जहन में यह बात बैठ गई है कि शिमला का नाम अंग्रेजों ने बदला वह भी इसिलए कि वे ‘श्यामला’ नहीं बोल पाते थे। मगर वे अपनी बात को मजबूत तरीके से रखने के लिए कोई ऐतिसाहिक तथ्य या दस्तावेज सामने नहीं रख पा रहे। अंग्रेज द्वापर या त्रेता युग में तो आए नहीं थे कि उन्होंने क्या किया था, क्या नहीं, यह कहा नहीं जा सके। शिमला में पहले अंग्रेज के आने से लेकर उनके जाने तक की घटनाओं का विस्तृत ब्योरा उपलब्ध है। मगर कहीं पर भी यह सबूत नहीं है कि उन्होंने श्यामला को शिमला कर दिया था। कम से कम बुजुर्गों को तो पीढ़ी दर पीढ़ी याद रहता कि ऐसा नाम था जो ऐसा कर दिया गया था। शिमला हमेशा से शिमला था और पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने भी इसकी पुष्टि की है।

कालांतर में बदल जाते हैं कई नाम
अगर किसी जगह पर किसी देवी का मंदिर हो तो क्या जगह का नाम उसी नाम से हो जाता है? मान लिया जाए कि शिमला में श्यामला देवी के मंदिर के कारण उसका नाम श्यामला था, तो क्या अंग्रेजों को ही इस नाम को बोलने में दिक्कत होती है? क्या स्थानीय लोगों की बोलचाल में अपभ्रंश नहीं बना करते?

हो सकता है कि इसका नाम बहुत पहले श्यामला रहा हो, लेकिन क्या स्थानीय लोगों की बोलचाल इसे शिमला नहीं बना सकती?  जैसे कि कहा जाता है कि सोलन का नाम शूलिनी देवी के मंदिर के नाम पर पड़ा। क्या इसका नाम भी अंग्रेजों ने शूलिनी से सोलन कर दिया? कहा जाता है कि मनु के नाम पर मनाली का नाम था। तो क्या यह कालांतर में मनाली अपने आप बना या नहीं? या अंग्रेज इसे मनाली बना गए? तथाकथित मांडव नगर को क्या अंग्रेजों ने मंडी बना दिया था? माना जाता है कि कुल्लू का नाम कुलांत पीठ के कारण ऐसा पड़ा है। फिर ये कुल्लू क्या अंग्रेजों ने किया?

जाहिर सी बात है, जगहों के नाम किसी मंदिर या अन्य स्थानों के नाम पर आधारित हो सकते हैं, लेकिन उनका स्वरूप कालांतर में खुद भी बदलता है। मान लिया जाए कि अगर श्यामला देवी के नाम पर इस जगह का नाम था तो वह अंग्रेजों के आने से पहले अपने आप भी शिमला हो सकती है। बोलचाल में ऐसी ही तो रूप बदलते हैं। इसे ही तो अपभ्रंश कहा जाता है। जो शब्द कठिन होते हैं, वे समय के साथ बोलचाल में रूप बदलकर कुछ और हो जाया करते हैं।

मगर जरूरी नहीं कि हर जगह का नाम किसी मंदिर या किसी अन्य स्थान के ऊपर ही आधारित हो। कई जगहें ऐसी हैं जिनके नाम का ओर-छोर नहीं मिलेगा। ऊना किस नाम पर आधारित है? यह संभव है कि शिमला को लेकर लोगों ने लॉजिक लगाना शुरू किया कि आखिर शिमला का नाम ऐसा कैसे पड़ा होगा। तो उन्हें लगा कि बगल में काली बाड़ी है, काली माता का मंदिर यानी श्याम रंग की माता का मंदिर यानी श्यामला माता का मंदिर है ये और इस कारण शिमला पड़ गया होगा। फिर अगला लॉजिक आया कि अंग्रेज बोल नहीं पाते श्यामला तो नाम शिमला कर दिया।

इन लोगों को अति प्राचीन जाखू मंदिर और शिमला के नाम में  कोई सामीप्य नहीं मिला। अगर शिमला का नाम संयोग से जाखवपुर होता तो यही लोग जाखू मंदिर से इसका इतिहास जोड़ रहे होते। अगर शिमला का नाम पहले कलबैड़ी होता और अंग्रेज इसे शिमला नाम देते तब विरोध समझ आता कि काली बाड़ी नाम का पहले यहां मंदिर था, जिसके कारण जगह का नाम कलबैड़ी था मगर अंग्रेजों ने इसे बदलकर शिमला दिया था।

श्यामला देवी का मंदिर कहां है?
हिमाचल में कहीं और तो श्यामला देवी का मंदिर है नहीं, न ही शिमला में प्रचलित नाम से ऐसा मंदिर है, फिर वह मंदिर कहां है जिसके नाम पर शिमला का नाम श्यामला बताया जा रहा है? यह जानकारी कहां से आई, इस बारे में कोई ठीक से नहीं बता रहा और न ही इसका उल्लेख है। कुछ लोग कह रहे हैं कि शिमला में काली माता का मंदिर है, और श्यामला काली माता का नाम है, इसलिए इसका नाम श्यामला था और अंग्रेज श्यामला बोल नहीं पाए तो उन्होंने इसे सिमला बना दिया।

लेकिन जिस काली बाड़ी को देवी श्यामला का मंदिर कहा जा रहा है, उसे कोई श्यामला माता का मंदिर नहीं कहता। किसी आधिकारिक पत्र में उसे श्यामला मंदिर कभी कहा नहीं गया और न ही स्थानीय लोग उसे श्यामला माता का मंदिर करते हैं। सभी काली बाड़ी ही कहते हैं। इस मंदिर के बारे में रोचक बात यह है कि इसका निर्माण अंग्रेजों ने ही करवाया था। इतिहासकारों का स्पष्ट मत है कि काली बाड़ी मंदिर को 19वीं सदी की शुरुआत में स्थापित किया गया था। इस संबंध में शिमला काली बाड़ी की आधिकारिक वेबसाइट में जानकारी दी गई है। इसमें कहा गया है कि मौजूद मंदिर को 1845 में अंग्रेजों ने बनाया था। लेकिन मूल मंदिर बंगाली भक्तों ने बनाया था।

अब ये न कहना कि इसे भी अंग्रेजों ने श्यामला से काली बाड़ी बना दिया था। दरअसल बंगाल में मां दुर्गा पर बहुत लोग आस्था रखते हैं। लेकिन वहां पर कोई भी मंदिर मां श्यामला के नाम से नहीं है। हां, पश्चिम बंगाल के बर्धमान जिले में श्यामला नाम का गांव जरूर है। लेकिन काली के मंदिर को काली बाड़ी ही वहां कहा जाता है। शिमला के इस काली मंदिर का निर्माण चूंकि शुरू में बंगाली कम्युनिटी ने करवाया था, इसलिए यह तभी से काली बाड़ी ही था। श्यामला मंदिर नहीं। अब इस भ्रम के कारण ही काली बाड़ी वेबसाइट और अन्य वेबसाइटों में काली बाड़ी को श्यामला मंदिर कहा जाने लगा है। विकीपीडिया में हिमाचल सरकार के ही एक पुराने वेबपेज पर लिखी जानकारी के आधार पर इसका नाम श्यामला होने की बात कही गई है मगर हिमाचल सरकार के पास यह जानकारी कहां से आई, इसका जिक्र नहीं।

कौन हैं देवी श्यामला
काली मां के 1008 नामों की सूची में भी आपको ‘श्यामला’ नाम नहीं मिलेगा। यह बात अलग है कि अभी ‘श्यामल’ यानी सांवले रंग वाले के स्त्रीलिंग के तौर पर श्यामला को ‘सांवले रंग वाली’ देवी काली के रूप में इस्तेमाल करना शुरू कर दिया गया है, मगर श्यामला देवी का ग्रंथों में अलग से जिक्र है और वह काली मां नहीं हैं।

ब्राह्मण पुराण में उन्हें अलग देवी (मंत्रिणी) बताया गया है जो अन्य देवी-देवताओं की प्रमुख हैं, भक्तिवेदांताश्रम उन्हें दुर्गा देवी का वह रूप बताता है जो कृष्ण के श्याम रूप में अवतार लेने पर भौतिक संसार से संवाद करने में मदद करती थीं तो कहीं उन्हें राजा मतांगी बताया गया है। इंडोनेशिया में रहने वाले तमिल भी अलग श्यामला देवी की पूजा करते हैं।

बेमतलब की बहस
वैसे ये बहस इलाहाबाद को प्रयागराज करने के बाद उठी है। अकबर ने इस शहर को इलाहाबाद के नाम से बसाया था तो प्रयाग कर दिया उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने। लेकिन इतिहास कहता है कि प्रयाग सिर्फ नदी के संगम वाले हिस्से को कहा जाता था, यहां शहर के रूप में बसावट की अकबर के दौर में हुई थी और वह भी एक तटबंध बनाने के बाद।

कुछ जानकारों का तो यह भी कहना है कि यह इलाहाबाद दरअसल इलावास का अपभ्रंश यानी बिगड़ा हुआ रूप है। इला उन्हीं मनु की कन्या थीं, जिनके बारे में कहा जाता है कि प्रलय के बाद जिनकी नाव कुलांत पीठ (आज के कुल्लू) में टिकी थी और जिन मनु के नाम पर आज की मनाली का नामकरण बताया जाता है।

या तो सरकार कोई ऐतिहासिक दस्तावेज लाए जो बताता हो कि शिमला का नाम पहले श्यामला था और अंग्रेजों ने इस कारण इसका नाम इस साल बदला था तो बात बने। वरना नाम के बजाय हर किसी को काम पर ध्यान देना चाहिए। खासकर शिमला नगर निगम की मेयर को जो शिमला का नाम बदलने का प्रस्ताव लाने की बात कर रही हैं। उनका कहना है कि नई पीढ़ी को इतिहास पढ़ना चाहिए।

बेहतर होगा कि शिमला की मेयर पहले अपना इतिहास दुरुस्त करें या फिर कोई दस्तावेज सामने आएं जो बताता हो कि शिमला पहले श्यामला था। वरना सर्दियों से पहले ही इस बात की तैयारियां शुरू करें कि लोगों को बर्फबारी के दौरान असुविधा न हो। वरना शिमला के लोग भूले नहीं है कि जब वे गर्मियों में पानी की एक-एक बूंद के लिए तरस रहे थे, तब मेयर साहिबा चीन में एक कार्यक्रम में शिरकत करने चली गई थीं।

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