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आसान शब्दों मे जानें, आखिर ‘बादल फटना’ होता क्या है

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बादल फटने की प्रतीकात्मक तस्वीर (Meta AI)

इन हिमाचल डेस्क।। ‘बादल फटना’ शब्द अखबारों, टीवी और सोशल मीडिया पर बहुत ज्यादा इस्तेमाल होने लगा है। कहीं भी बारिश के बाद अगर तुरंत तेज बहाव वाला पानी आता है या कहीं बारिश के बाद भूस्खलन होता है तो उसे भी अखबार और पोर्टल आदि ‘बादल फटने’ का नाम दे देते हैं। क्या वाकई बादल फटा होता है? जानें, बादल फटने की घटना के पीछे के कारण।

बादल कभी नहीं फट सकता
जी हां, इस घटना को बेशक बादल फटना कहा जाता है मगर बादल वास्तविकता में कभी ‘फट’ नहीं सकता क्योंकि यह कोई गुब्बारा नहीं होता। हालांकि यह बात सच है कि बादल फटना, जिसे क्लाउडबर्स्ट (Cloudburst) कहा जाता है, उसका नामकरण गुब्बारों के कारण ही हुआ था।

जहां कहीं यह घटना होती है, वहां पर बेतहाशा बारिश होती है। इतनी कि आप देखकर ही डर जाएं। तो शुरू में लोगों का मानना था कि जिस तरह से पानी से भरा गुब्बारा फटे तो पानी तुरंत नीचे गिरता है, वैसे ही बादल फट जाता है और उसका पानी तुरंत नीचे गिरकर भारी तबाही मचाता है।

चूंकि अब विज्ञान ने तरक्की की है और हमें पता है कि बादलों में दरअसल पानी की अति सूक्ष्म बूंदें होती हैं जिनके संघनन (Condensation) के कारण बूंदें बनती हैं और बारिश होती है। लेकिन फिर भी अचानक भारी बारिश होने को आज भी क्लाउडबर्स्ट या बादल फटना ही कहा जाता है।

बादल फटने की घटना में होता क्या है?
बादल फटने का मतलब है बहुत कम समय में बहुत ज्यादा बारिश हो जाना। कई बार बारिश के साथ ओले भी गिरते हैं और तेज गड़गड़ाहट व बिजली चमकने की घटनाएं भी होती हैं। अगर किसी जगह पर 100 मिलीमीटर प्रतिघंटे के बराबर या इससे ज्यादा बारिश हो तो उसे ‘बादल फटना’ कहा जाता है।

ऊपर जो मानक बताया, वह स्टैंडर्ड माना जाता है। हालांकि अलग-अलग देशों में इसके लिए अलग-अलग पैमाने तय किए गए हैं। उदाहरण के लिए स्वीडन में अगर एक मिनट में एक मिलीमीटर बारिश हो या एक घंटे में पचास मिलीमीटर या ज्यादा बारिश हो तो उसे ‘स्काइफॉल’ का नाम दिया जाता है जो कि ‘क्लाउडबर्स्ट’ के समान अर्थ में इस्तेमाल किया जाता है।

इस बारिश से क्या होता है?
जब कभी बादल फटने की घटना होती है, तब कुछ ही देर में 25 मिलीमीटर तक बारिश हो जाती है। इस घटना में कुछ ही देर में एक वर्ग किलोमीटर इलाके में 25 हजार मीट्रिक टन पानी बरस जाता है।

अचानक एक ही इलाके में इतनी भारी बारिश होने के कारण पानी को जमीन के अंदर जाने या नदी-नालों तक धीमी रफ्तार से पहुंचने का समय नहीं मिलता। इस कारण होता यह है कि बाढ़ जैसे हालात पैदा हो जाते हैं। नदी-नालों में अचानक ही पानी बढ़ जाता है जिसे फ्लैशफ्ल़ड कहा जाता है। जमीन का क्षरण होता है और तुरंत बहने लगती है। वनस्पति तक उखड़ जाती है और ढीली जमीन में स्खलन हो जाता है। नतीजा- भारी तबाही। उदाहरण के लिए नीचे का वीडियो देखिए। ऊपर इलाके में हुई भारी बारिश के कारण यह फ्लैश फ्लड आया है।

हिमाचल में कुछ लोग यह भी मानते हैं कि जब बादल फटता है तब जमीन के नीचे से भी पानी निकलने लगता है। वास्तव में ऐसा नहीं होता। हां, भारी बारिश के कारण ऐसा स्थिति पैदा हो जाती है कि ज़मीन पानी को सोख नहीं पाती। इसका नतीजा यह होता है कि भारी बारिश के कारण जमीन पर जमा पानी पर जब बारिश की मोटी बूंदें गिरती हैं तो ठहरा पानी कई इंच तक उछलने लगता है। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि जमीन से भी पानी निकल रहा हो। इलके अलावा, कई बार लगातार बारिश होने के कारण जमीन से पानी रिसने लगता है जिसे पहाड़ी भाषाओं में पानी कुडणा भी कहा जाता है। मगर बादल फटने पर हमेशा जमीन से पानी निकले, ऐसा संभव नहीं है।

अचानक इतनी बारिश कैसे होती है?
अचानक भारी बारिश तभी होती है जब कभी गर्म हवा का हिस्सा ठंडी हवा के संपर्क में आता है। जब थोड़े गरम वाष्पकण अपेक्षाकृत ठंडे वाष्पकणों से मिलते हैं तो संघनन (Condensation) की रफ्तार तेज हो जाती है और तेजी से पानी की बूंदें बड़ा आकार लेकर बरसने लगती हैं।

भारत और आसपास के देशों में बादल फटने की घटनाएं अक्सर मॉनसून में होती हैं। जब बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से उठे बादल हिमालय में आकर बरसते हैं, एक घंटे में 75 एमएम तक बारिश होती है। हालांकि यह भी एक मिथक है कि बादल फटने की घटनाएं तभी होती हैं जब बादल अचानक पहाड़ या किसी भूभाग से टकरा जाएं। मैदानी इलाकों में भी खूब ऐसी घटनाएं होती हैं।

हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के कई गांवों में भारी बारिश के कारण तबाही होती है और संभव है कि वह बादल फटने के कारण होती हों। मगर चूंकि गांवों में बारिश मापने के उपकरण नहीं लगे होते, इसलिए पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता कि वहां मची तबाही ‘बादल फटने’ की परिभाषा के अनुरूप हुई बारिश के कारण हुई है या नहीं। इसीलिए आमतौर पर बारी बारिश के कारण मची तबाही को अखबार आदि बादल फटना कह देते हैं।

बहरहाल, नीचे देखें बादल फटने की घटनाओं में कम समय में हुई रिकॉर्ड बारिश के आंकड़े-

अवधि बारिश जगह तिथि
1 minute 1.5 inches (38.10 mm) Basse-Terre, Guadeloupe 26 November 1970
5.5 minutes 2.43 inches (61.72 mm) Port Bell, Panama 29 November 1911
15 minutes 7.8 inches (198.12 mm) Plumb Point, Jamaica 12 May 1916
20 minutes 8.1 inches (205.74 mm) Curtea de Argeș, Romania 7 July 1947
40 minutes 9.25 inches (234.95 mm) Guinea, Virginia, United States 24 August 1906
1 hour 9.84 inches (250 mm) Leh, Jammu and Kashmir, India August 5, 2010
1 hour 5.67 inches (144 mm) Pune, Maharashtra, India September 29, 2010
1.5 hours 7.15 inches (182 mm) Pune, Maharashtra, India October 4, 2010
5 hours 15.35 inches (390 mm) La Plata, Buenos Aires, Argentina April 2, 2013
10 hours 57.00 inches (1,448 mm) Mumbai, Maharashtra, India July 26, 2005
24 hours 54.00 inches (1,372 mm) Pithoragarh, Uttarakhand, India July 1, 2016
13 hours 45.03 inches (1,144 mm) Foc-Foc, La Réunion January 8, 1966
20 hours 91.69 inches (2,329 mm) Ganges Delta, Bangladesh/India January 8, 1966

टेबल- विकिपीडिया से साभार.

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