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पतरोड़े की सगरांद पर सीखें लजीज हिमाचली पतरोड़े बनाने की रेसिपी

इन हिमाचल डेस्क।। आज पतरोड़ू की सगरांद मनाई जा रही है। पतरोड़ा यानी पत्तों का रोल। दरअसल ये अरबी की एक किस्म कचालू (Taro) के पत्ते होते हैं जो बरसात में उगते हैं। पूरे देश में अलग-अलग तरीके से अरबी के पत्तों के पकौड़े बनाए जाते हैं। अधिकतर जगह बेसन का लेप लगाकर सीधे ही डीप फ्राई कर दिया जाता है और फिर इन्हें स्नैक्स की तरह खाया जाता है। मगर हिमाचल में तरीका थोड़ा अलग है।

अधिकतर जगह कच्चे पत्तों को बेसन लगाकर स्लाइस काटे जाते हैं और फिर डीप फ्राई करके स्नैक्स के तौर पर इन्हें खाते हैं। मगर हिमाचल में विधि अलग है।

इन्हें साफ करके बेसन वगैरह का लेप लगाकर पहले स्टीम किया जाता है, उसके बाद इन्हें बिना फ्राई किए भी घी या मक्खन के साथ खाया जा सकता है। इसे रोटी के साथ भी खाया जा सकता है। पहले लोग बिना रोटी के सिर्फ उबले हुए पतरोड़े भी खाया करते थे क्योंकि लेप में मक्की का आटा और बेसन लगा ही होता था। बरसात के दिनों में लोगों के लिए यह वरदान था क्योंकि और सब्जियां आदि उपलबध न होने पर यही पोषक तत्वों की जरूरत को पूरा करता था। इसलिए इसके लिए विशेष त्योहार भी समर्पित है- पतरोड़ों की सगरांद।

वैसे हिमाचली पतरोड़ों को खाने के लिए घी और मक्खन जरूरी है क्योंकि चिकनाई के बिना खाने में ये थोड़े रूखे लगते हैं। तो आगे जानें, कैसे बनाएं अरबी के पत्तों का लजीज हिमाचली व्यंजन।

हिमाचली पतरोड़े या पत्रोड़े बनाने की विधि स्टेप बाइ स्टेप सीखें। तस्वीरें क्रम से लगी हैं, देखें और कैप्शन पढ़ें।

अरबी या कचालू के हरे पत्ते लें और उन्हें बहते हुए पानी में अच्छी तरह से धोएं।
बेसन का ठीक वैसा घोल बनाएं, जैसा घोल पकौड़ों के लिए बनाया जाता है। नमक, प्याज, मक्की का आटा आदि स्वादनुसार डाल सकते हैं। भाभरी (एक तरह का खुशबूदार पौधा) डालना न भूलें।
अरबी के पत्तों को इस तरह से उल्टा करके रखें और उसमें अच्छे से बेसन का लेप लगाएं।
एक तरफ से आधा इस तरह से फोल्ड करें और फिर से बेसन लगाएं।
दूसरी तरफ से भी फोल्ड करें ताकि इस तरह की शेप बने। उसपर भी लेप लगाएं।
फिर इसे टाइट रोल करें (फोल्ड करें) ताकि बीच में जगह न बचे।
रोल होने जाने पर पतरोड़ू ऐसा दिखेगा।
इस तरह से उतने पतरोड़ू तैयार कर लें, जितने लोगों के लिए बनाए जाने हों।
आमतौर पर यह स्टैंड बर्तन रखने के काम आता है, मगर इसका पतरोड़ू बनाने में बहुत योगदान है। आगे देखें।
इसे बड़े से कुकर के बेस में डालें। ऐसा करने से पहले इसे साफ करना न भूलें। पहले लकड़ी के टुकड़ों का ऐसा बेस बनाया जाता था। ऐसा इसलिए ताकि पत्ते चिपकें न।
अब इसमें 2 गिलास पानी डालें। ध्यान रहे कि पानी ज्यादा न हो।
हल्की के पौधों के पत्ते लें। ये बरसात में उगे होते हैं।
इन पत्तों को कुकर में स्टैंड के ऊपर बिछाएं। इससे उबले हुए पानी की भाप हल्दी की खुशबू का फ्लेवर पतरोड़ू में आ जाता है।
अब पतरोड़ुओं को सलीके से रखें।
ऊपर से और हल्दी के पत्ते रखें और ढक दें।
कुकर को गैस पर रखकर करीब 20 से 30 मिनट तक पकाएं। पतरोड़े कच्चे रह गए तो लगेगी डिडरी। डिडरी यानी गले में कसैलापन महसूस होगा, इरिटेशन सी रह जाएगी।
जिस दौरान पतरोड़ू पक रहे हों, ताजा मक्खन (नौणी) निकाल लें।
आधे घंटे बाद पतरोड़ू पक गए होंगे। इस तरह से। ध्यान रहे, कच्चे रहे पतरोड़ू से डिडरी लगेगी, जैसा कि पहले बताया।
और इस तरह से पतरोड़ू ताजा नौणी (मक्खन) और फुल्कों के साथ खाने के लिए तैयार है। यह पतरोडू बनाने का बेसिक तरीका है। आप खाने से पहले इन पतरोड़ुओं को तवे पर थोड़ा फ्राइ कर सकते हैं या डीप फ्राई भी कर सकते हैं।
जो ऊपर उबले हुए पतरोड़े हैं, उनके पतले स्लाइस काटिए और तवे पर घी में या ताजा सरसों के तेल में फ्राई कीजिए। डीप फ्राई भी किया जा सकता है मगर उसमें वो वाली बात नहीं रहेगी।

वैसे पतरोड़े कई तरीकों से बनाए जा सकते हैं। यह तरीका सबसे आसान है। पसंद आए तो शेयर भी करें।

(यह आर्टिकल मंडी जिले से संबंध रखने वाले पत्रकार आदर्श राठौर की ओर से 2016 में भेजी गई तस्वीरों और विधि के आधार पर तैयार किया गया है।)

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