शिमला।। पहले हिमाचल प्रदेश में कोरोना वायरस महामारी को लेकर स्थिति थोड़ी नियंत्रण में दिख रही थी मगर अब हर रोज जानें जा रही हैं। हो सकता है कि इन मौतों को आप महज आंकड़ों के तौर पर देख रहे हों, मगर जिनके परिवार से कोई एक भी बिछड़ा है, उसका दर्द आप आसानी से समझ सकते हैं।
इसलिए, बेहद जरूरी हो जाता है कि आप इस वायरस से बचने की भरपूर कोशिश करें। क्योंकि अगर वायरस के कारण जान नहीं भी गई, तो भी आफ्टर इफेक्ट्स आपको परेशान कर सकते हैं। यह देखा जा रहा है कि कोरोना नेगेटिव हो जाने के बावजूद लोग वायरस के असर से पूरी तरह उबर नहीं पा रहे, उन्हें कमजोरी, सिरदर्द और अन्य अंगों में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
हिमाचल प्रदेश में शुक्रवार शाम तक 240 लोगों की जान जा चुकी है। अगर जान गंवाने वाले कोरोना संक्रमितों की मेडिकल हिस्ट्री का अध्ययन करें तो यह स्पष्ट हो जाता है कि आखिर ये वायरस किन लोगों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है। गुरुवार तक हिमाचल प्रदेश में 233 कोरोना संक्रमितों ने दम तोड़ा था। इनमें से 171 लोग ऐसे थे, जिन्हें डायबिटीज़ या हाइपरटेंशन जैसी समस्या थी।
समस्या | मौतें |
डायबिटीज़ (मधुमेह या शुगर) | 87 |
हाइपरटेंशन (ज्यादा बीपी) | 62 |
गुर्दे की बीमारी | 24 |
फेफड़ों में समस्या | 19 |
क्या समझा जाए इन आंकड़ों से?
यह बताता है कि जो लोग दवाइयों के दम पर सामान्य जिंदगी जी रहे हैं, कोरोना से संक्रमित होना उनके लिए जानलेवा बन सकता है। आपके परिवार में या परिचितों में कई लोग ऐसे होंगे जो मधुमेह यानी डायबिटीज (जिसे आम भाषा में शुगर कहते हैं) से जूझ रहे हैं।
कई ऐसे भी होंगे जो हाइपरटेंशन (बीपी या ब्लड प्रेशर हाई होना) की दवाइयां खा रहे हैं। तो उन्हें सावधान रहने को कहिए क्योंकि ये वायरस इन समस्याओं से जूझ रहे लोगों को बुरी तरह कमजोर कर रहा है। अगर उम्र 60 वर्ष से अधिक है तो खतरा और ज्यादा बढ़ जाता है।
सरकार चलाएगी अभियान
हिमाचल प्रदेश सरकार का अनुमान है कि प्रदेश में 11 लाख लोग ऐसे हैं, जिनकी सेहत ऐसी है जो कोरोना संक्रमण के हिसाब से उनके लिए खतरनाक बन सकती है। ऐसे में अब हिमाचल प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग ने एक अभियान चलाने की सोची है ताकि डायबिटीज और हाइपरेंशन जे जूझ रहे इन लगभग 11 लाख लोगों की सेहत पर नजर रखी जा सके।
स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि 12 अक्तूबर को एक विशेष अभियान चलाया जाएगा और यह जिम्मेदारी आशा वर्कर्स को दी जाएगी कि वह दिन में कम से कम 10-12 ऐसे लोगों की सेहत का हालचाल जानें।
मगर सावधानी जरूरी
हालांकि, सरकार उन्हीं लोगों तक पहुंच पाएगी जो उसके पास पंजीकृत हैं, जिनका मोबाइल आदि का पता उसके पास है। असल में मधुमेह, रक्तचाप जैसी समस्या ज्यादा कॉमन है और गांवों में बहुत सारे लोग तो इसकी परवाह तक नहीं करते। ऐसे में उन तक पहुंचना सरकार के लिए संभव नहीं होगा।
इसलिए, सही रास्ता यही होगा कि आप अपने आसपास जागरूकता फैलाएं, खुद भी सावधानी बरतें और दूसरों को भी सावधानी बरतने के लिए कहें। क्योंकि संक्रमित हो जाने के बाद अगर हालत बिगड़ी तो इसकी गारंटी नहीं है कि समय रहते आपको वेंटिलेटर की सुविधा मिल पाएगी। इसलिए, बचाव में ही बचाव है।