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सेंट्रल यूनिवर्सिटी को बर्बाद कर गई धर्मशाला से देहरा शिफ्ट करने की जिद?

इन हिमाचल डेस्क।। हिमाचल प्रदेश में सेंट्रल यूनिवर्सिटी की मांग लंबे समय से उठ रही थी। कई नेताओं ने कोशिश की मगर इसका सपना पूरा होने की आस जगी साल 2007 में। उस समय के वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने शिमला के ऐतिहासिक रिज मैदान में भाषण के दौरान हिमाचल प्रदेश को ‘वर्ल्ड क्लास सेंट्रल यूनिवर्सिटी’ और एक आईआईटी देने का एलान किया था। आज 13 साल हो गए, आईआईटी का कैंपस पूरा हो चुका है, कई होनहार छात्र देश-विदेश में अच्छा काम कर रहे हैं मगर सेंट्रल यूनिवर्सिटी राजनीतिक रस्साकशी के बीच फंसी हुई है।

जब इस यूनिवर्सिटी का एलान हुआ था, तब पूरे प्रदेश में उत्साह था। मगर आज जो छात्र सेंट्रल यूनिवर्सिटी हिमाचल प्रदेश के छात्र हैं, वे अपनी किस्मत को कोसते हैं। किराये की इमारतों पर चल रही यूनिवर्सिटी, जिसका एक कैंपस धर्मशाला तो दूसरा देहरा में है। न तो टीचिंग स्टाफ पूरा है, न हॉस्टल हैं, न क्लासरूम में सही व्यवस्था है। लाइब्रेरी के नाम पर मजाक है, वाई-फाई की व्यवस्था नहीं और देहरा के कथित कैंपस में बच्चों को फोटोकॉपी करवानी हो तो भी पापड़ बेलने पड़ते हैं।

कस्बे के किसी सुदूर इलाके के उपेक्षित सरकारी स्कूल से भी गई गुजरी है। हालत तब खराब होती है जब इसे ‘वर्ल्ड क्लास’ सेंट्रल यूनिवर्सिटी समझ अन्य राज्यों के छात्र एडमिशन लेते हैं औऱ यहां आते हैं तो पाते हैं कि इस यूनिवर्सिटी का तो अपना कैंपस तक नहीं। लेकिन यह नौबत आई कैसे? हाल ही में एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने केद्रीय वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर को घेरकर अपनी मांगों को लेकर कड़े सवाल किए। अनुराग असहज हुए और बाद में पुलिस ने छात्रों को हटा दिया।

इससे एक दिन पहले अनुराग से पत्रकारों ने एस प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी यह सवाल पूछे थे। तब उन्होंने पहले कांग्रेस सरकार को दोष दिया कि उसने इसे लटकाया। मगर छात्रों ने पूछा कि आज जब केंद्र और राज्य में आपकी ही सरकारें हैं तो फिर दिक्कत कहां है? पिछले साल तत्कालीन केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर ने देहरा कैंपस की आधारशिला रखी थी और तीन साल में काम पूरा होने की बात कही थी। मगर आज की हालत- वही ढाक के तीन पात।

अनुराग से क्यों गुस्सा हैं छात्र?
हर बार सेंट्रल यूनिवर्सिटी को लेकर हंगामा होता है, अनुराग ठाकुर सक्रिय भूमिका में रहते हैं और वे इसे लेकर काफी बयान देते हैं। इसकी एक वजह है। दरअसल यह यूनिवर्सिटी वीरभद्र-धूमल की आपकी खींचतान की भेंट चढ़ गई है। और इसकी शुरुआत होती है साल 2007 से ही।

जब 2007 में आईआईटी और सेंट्रल यूनिवर्सिटी बनाने का एलान किया गया तो उस समय के सीएम वीरभद्र सिंह ने कहा कि आईआईटी को मंडी में बनाया जाएगा और सेंट्रल यूनिवर्सिटी को धर्मशाला में। उसके दो साल के अंदर, साल 2009 तक आईआईटी कैंपस की आधारशिला रखी जा चुकी थी और आईआईटी की कक्षाएं अस्थायी तौर पर रुड़की कैंपस में चलने लग गई थीं। मगर तब सेंट्रल यूनिवर्सिटी को लेकर कोई अता पता नहीं था। कारण- सरकार बदल गई थी- हिमाचल में बीजेपी की सरकार थी और केंद्र में कांग्रेस की।

सेंट्रल यूनिवर्सिटी के लिए धूमल सरकार ने जो जगह चुनी, उसका हिमाचल के कांग्रेस नेता विरोध करते रहे। चूंकि केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए की सरकार थी तो मामला अड़ गया। धूमल सरकार ने इस यूनिवर्सिटी को धर्मशाला की जगह देहरा में बनाना चाहा। मगर कांग्रेस इसका विरोध करती रही। उसका कहना था कि यूनिवर्सिटी धर्मशाला में ही बननी चाहिए।

बड़ा मुद्दा उठा। आरोप लगा कि प्रेम कुमार धूमल इस यूनिवर्सिटी को धर्मशाला से देहरा इसलिए शिफ्ट करना चाहते हैं क्योंकि अंब से लगता देहरा भले ही कांगड़ा का उपमंडल हो, मगर वह हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र में पड़ता था जहां से धूमल खुद सांसद रह चुके थे और उसके बाद से अनुराग ठाकुर लगातार सांसद हैं।

अब हालत यह हो गई कि विरोध को देखते हुए इस यूनिवर्सिटी के दो कैंपस बनाने का फैसला कर लिया गया- एक धर्मशाला में, एक देहरा में। इस राजनीति के चक्कर में आज तक न एक कैंपस बना है, न दूसरा। हां, पिछले लोकसभा चुनाव से पहले जावडेकर शिलान्यास जरूर कर गए थे ताकि राजनीतिक स्थिति थोड़ी ठीक हो सके। मगर इस खेल में छात्रों का भविष्य खराब हो रहा है।

एबीवीपी समेत अन्य छात्र संगठन लगातार स्थायी कैंपस की मांग कर रहे हैं। छात्रों की यह भी मांग है कि हिमाचल कोई दिल्ली जैसा मैदानी शहर नहीं कि एक विश्वविद्यालय के कई कैंपस हों और अच्छी कनेक्टिविटी के कारण छात्र कहीं भी जा सकें। ऐसे में स्थायी और एकीकृत कैंपस जरूरी है ताकि एक ही जगह पर सभी सुविधाएं हों औऱ प्रशासनिक कार्यों के लिए छात्रों को इधर से उधर न भागना पड़े।

मगर अफसोस, हर बार सीयू को राजनीतिक बयानबाजी के अलावा कुछ नहीं मिलता। आईआईटी औऱ सीयू का एलान एकसाथ हुआ था। आज आईआईटी मंडी लगातार आगे बढ़ रहा है जबकि सीयू की हालत बद से बदतर होती जा रही है। देहरा कैंपस के छात्रों का अनुराग से सवाल पूछना जायज है क्योंकि वह सांसद हैं और केंद्रीय मंत्री भी। कथित तौर पर जब उनकी जिद के कारण देहरा में कैंपस शिफ्ट हुआ तो क्या यह जिम्मेदारी उनकी नहीं बनती कि इसे तुरंत पूरा करवाएं?

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