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छिड़काव किसका करें, कैसे करें और कहां पर करें, कहां नहीं

प्रतीकात्मक तस्वीर

इन हिमाचल डेस्क।। कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे को देखते हुए देश के अलग-अलग हिस्सों की तरह हिमाचल प्रदेश में भी लोग रोगाणुनाशक रसायनों का छिड़काव कर रहे हैं। मगर यह देखने को मिला है कि कुछ लोग जिन रसायनों का इस्तेमाल कर रहे हैं, वे कोरोना वायरस को मारने में बेअसर हैं। तो कुछ रसायनों की मात्रा और घनत्व सही नहीं रख रहे, जिससे छिड़काव करने पर चीजें ही खराब हो जा रही हैं।

इसके अलावा कुछ लोगों को यही मालूम नहीं कि कहां छिड़काव करना जरूरी है और कहां नहीं। कुछ लोग हवा में छिड़काव कर रहे हैं क्योंकि उन्हें लग रहा है कि वायरस हवा से फैलता है। लेकिन हवा में छिड़काव करना और भी घातक है क्योंकि वायरस हो न हो, खतरनाक रसायन की महीन बूंदें सांसों में अंदर जाकर गंभीर समस्या खड़ी कर सकती है।

देश भर में लोग घातक रसायनों को गलत ढंग से इस्तेमाल कर रहे हैं।

जरूरी है कि सही ढंग से, सही रसायन का और सही जगह पर छिड़काव किया जाए। इसीलिए ‘इन हिमाचल’ ने सवाल-जवाब के रूप में समझाने की कोशिश की है कि कोरोना वायरस के खतरे को कम करने का सही तरीका क्या है। आप इसे उन लोगों के साथ शेयर कर सकते हैं, जो मुश्किल की इस घड़ी में सैनिटाइजेशन जैसे काम में सेवाएं दे रहे हैं।

कोरोना वायरस को नष्ट करने के लिए किन जगहों को सैनिटाइज किया जाना चाहिए?

घर, दफ्तर, स्कूल, जिम, सरकारी इमारतों, धार्मिक स्थलों, बाजारों, परिवहन और कारोबारी प्रतिष्ठानों आदि को डिसइन्फेक्ट करना जरूरी है। कीटाणुनाशक इस्तेमाल करने से पहले उन जगहों की पहचान की जानी चाहिए जहां पर लोगों के हाथ ज्यादा लगते हैं। जैसे कि दरवाजों या खिड़कियों के हैंडल, किचन या खाना तैयार करने वाली जगह, काउंटर के ऊपरी हिस्से, बाथरूम, टॉइलट, नल, टचस्क्रीन वाले उपकरण, कीबोर्ड और टेबल के ऊपरी हिस्से आदि।

उन्हीं जगहों को रोगाणुमुक्त करने का फायदा है, जहां हाथ ज्यादा लगते हैं।

कीटाणुनाशन यानी डिसइन्फेक्ट करने के लिए क्या इस्तेमाल होना चाहिए?

अस्पतालों आदि से इतर बाकी जगहों पर सोडियम हाइपोक्लोराइट (जिसे ब्लीच या क्लोरीन भी कहते हैं) को इस्तेमाल किया जा सकता है, मगर उसकी मात्रा पानी में मात्र 0.1 प्रतिशत या 1,000ppm होनी चाहिए। ऐसे समझें कि छिड़काव करने के लिए तैयार किए जाने वाले तरल में एक हिस्सा होना चाहिए  पांच प्रतिशत स्ट्रेंग्थ वाले ब्लीच का और 49 हिस्से पानी होना चाहिए।

ब्लीच के इसके अलावा कीटाणुनाशन के लिए 70-90% एल्कॉहल को भी इस्तेमाल किया जा सकता है। किसी भी तरह का छिड़काव या पोछा लगाने से पहले सतहों को पानी और साबुन या डिटर्जेंट से साफ करना चाहिए ताकि धूल आदि हट जाए। ऐसा करते वक्त ध्यान रखें कि सफाई की शुरुआत ज्यादा साफ सतह से गंदी सतह की ओऱ करें ताकि ऐसा न हो कि ज्यादा गंदी सतह के कारण साफ सतह भी ज्यादा खराब हो जाए।

ध्यान दें- अंदरूनी जगहों (कमरों आदि) पर स्प्रे पम्प आदि इस्तेमाल करके डिसइन्फेक्ट करने की सलाह नहीं दी जाती है। कमरों आदि में कीटाणुनाशक में भिगाए कपड़े या वाइप को इस्तेमाल करना चाहिए।

कमरों आदि में स्प्रे न करें, रोगाणुनाशक से भीगा पोछा इस्तेमाल करें।

कीटाणुनाशक इस्तेमाल करते समय क्या सावधानी बरतें?

  • कीटाणुनाशक रसायन को सही मात्रा में इस्तेमाल करें वरना ज्यादा स्ट्रॉन्ग होने से सतहें खराब हो सकती हैं और लोगों को भी नुकसान पहुंच सकता है।
  • कभी भी दो तरह के कीटाणुनाशक न मिलाएं। जैसे कि ब्लीच और अमोनिया को मिलाने से लोगों को सांस लेने में दिक्कत हो सकती है क्योंकि इनके बीच रिएक्शन होने से जानलेवा गैसें निकलती हैं।
  • जब तक कीटाणुनाशक सूख न जाए, गंध खत्म न हो जाए, बच्चों और पालतू जानवरों को उस जगह से दूर रखें।
  • खिड़कियां खुली रखें, पंखे चलाकर रखें ताकि केमिकल जल्दी सूख जाए। गंध तेज हो तो सूखने तक दूर ही रहें।
  • छिड़काव आदि करने के बाद हाथों को अच्छे से धोएं। बच्चों से छिड़काव न करवाएं। छिड़काव के दौरान पहने गए मास्क और ग्लव्स फेंक दें, इन्हें दोबारा इस्तेमाल न करें।
  • यह सलाह दी जाती है कि रोगाणुनाशक रसायन इस्तेमाल करते समय रबर के ग्लव्स, वॉटरप्रूफ एप्रन और जूते पहनें। आंखों की सुरक्षा के लिए फेस शील्ड इस्तेमाल की जा सकती है।
आंखों और त्वचा को नुकसान पहुंचा सकते हैं रोगाणुनाशक केमिकल

खुली जगहों जैसे कि बाजारों और सड़कों पर क्या करना चाहिए?

खुली जगहों पर बड़े पैमाने पर कीटाणुनाशन की स्प्रे करना उचित नहीं है (जैसा कि एक व्यक्ति हिमाचल प्रदेश में ट्रैक्टर पर टैंकर लगाकर कर रहा था)। सड़कों, रास्तों और फुटपाथ को कोविड-19 के संक्रमण फैलाने की वजह नही ंमाना जाता। जिन जगहों पर धूल और कचरा होगा, वहां पर छिड़काव करने का कोई मतलब नही है। सड़कों, सीमेंट के रास्तों और कच्चे रास्तों भी छिड़काव का कोई मतलब नहीं क्योंकि अगर धूल या कचरा न भी हो, तो भी केमिकल के छिड़काव से आप पूरी सतह को कवर नहीं कर सकते।

यही नहीं, खुली जगहों पर बड़े स्तर पर छिड़काव करना लोगों की सेहत के लिए नुकसानदेह हो सकता है। लोगों की आंखों में जलन हो सकती है, सांस लेने में समस्या हो सकती है और त्वचा को भी नुकसान पहुंच सकता है।

रोगाणुनाशन का यह तरीका गलत है और चीजों के साथ लोगों के लिए भी खतरनाक हो सकता है।

बाहर से घर लौटने पर क्या करना चाहिए

यह तो आपको मालूम है कि बाहर मास्क पहनकर जाना है और बाकी लोगों से दूरी बनाकर रखनी है। फिर घर लौटने पर जूते बाहर ही उतारें, उन्हें कमरे में न ले जाएं। बाहर से लौटने के बाद कुछ भी छूने से पहले हाथ को साबुन के साथ धोएं या ऐल्कॉहल वाला हैंड जेल इस्तेमाल करें।

क्या ग्लव्स पहनकर जाने से सुरक्षा मिलती है?

नहीं, ग्लव्स पहन लेने से हाथों को साफ रखने के नियमों से छूट नहीं मिल जाती। क्योंकि ग्लव्स में मामूली डिफेक्ट हुआ तो भी वायरस हाथ की त्वचा में लग सकते हैं। ग्लव्स सही ढंग से न उतारें जाएं तो उसमें चिपके वायरस हाथ में लग सकते हैं। इसलिए ग्लव्स उतारने के बाद हाथों को अच्छे से साफ करें।

साथ ही, आप ग्लव्स पहनकर भले खुद को सुरक्षित मानें मगर आप उसके जरिये संक्रमण फैला सकते हैं। अगर एक सतह को छूने पर ग्लव्स में वायरस चिपक गए होंगे तो आप उससे जहां-जहां छूएंगे, वहां आप वायरस फैला रहे होंगे। इसलिए ग्लव्स पहनने के बाद भी नियमों का पालन करें।

ग्लव्स कहीं से फटे होंगे तो वायरस अंदर घुस सकता है। इसलिए ग्लव्स उतारने के बाद भी हाथ अच्छे से साफ करें।

सब्जियां, फल और पैकेज्ड चीजें कैसे साफ करें?

कोरोनावायरस सब्जियों या खाने में नहीं पनप सकता। उन्हें अगर पनपना है तो इंसान या जानवर चाहिए। जैसा कि स्पष्ट है, सांस लेने पर निकलने वाली महीन बूंदों से वायरस फैलता है। इसलिए सब्जियों और फलों को काटने से पहले साफ पानी से धोकर उनकी सतह सूखने दें, फिर अपने हाथ अच्छी तरह धोकर उन्हें खाएं। ऐसा ही पैकेज्ड आइटम्स के साथ करें। उन्हें खोलने से पहले उन्हें आप वाइप कर सकते हैं और फिर अपने हाथ अच्छे से धो लें।

(विश्व स्वास्थ्य संगठन के परामर्श पर आधारित)

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