Site icon In Himachal | इन हिमाचल

अनिल शर्मा की विदाई के बाद अब किसे मिलेगा मंत्री पद

इन हिमाचल डेस्क।। एक पखवाड़े से जारी गतिरोध के बीच आखिर ऊर्जा मंत्री अनिल शर्मा ने जयराम कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया। गौरतलब है कि मंडी से अनिल शर्मा के पुत्र आश्रय शर्मा को कांग्रेस से टिकट मिलने के बाद से अनिल शर्मा पर मंत्री पद से इस्तीफा देने का दबाव बना हुआ था। हालाँकि अनिल शर्मा ने भाजपा की सदस्यता से इस्तीफा नहीं दिया है इसलिए फिलहाल वो विधायक के पद पर बने रहेंगे। भविष्य में अगर वो भाजपा की सदस्यता से इस्तीफा देते हैं तो मंडी सीट पर भी उपचुनाव सम्भव है।

अनिल शर्मा के इस्तीफे के बाद अब भाजपा विधायकों में भी रिक्त हुए मंत्रिपद को पाने के लिए खींचतान बढ़ने की सम्भावना है। कांगड़ा सीट से लोकसभा चुनाव लड़ रहे किशन कपूर अगर जीत जाते हैं तो जयराम ठाकुर को अपने मंत्रिमंडल में दो नए चेहरों को शमिल करना होगा।

भाजपा विधायक लोकसभा चुनाव में अपने अपने क्षेत्रों से लीड दिलवाने के लिए पूरी कोशिश कर रहे हैं ताकि मंत्रिमंडल में उनके नाम का परफॉर्मेंस के साथ नाम आने की सम्भावना बढ़े। मंत्रिमंडल में आने की चाह में कुछ विधायक पार्टी के बड़े नेताओं के पास भी अपने नाम की सिफारिश करने लगे हैं।

पार्टी के अंदरूनी सूत्रों की माने तो लोकसभा चुनाव की परफॉर्मेंस और नतीजे क्या रहते है इसपर तो बहुत कुछ निर्भर करेगा ही, इसके इतर भी यह लगभग तय किया जा चुका है कि किन क्षेत्रों से मंत्री बनाये जाएंगे।

नाम न बताए जाने की शर्त पर पार्टी संगठन से जुड़े एक नेता के अनुसार, हो सकता है कि मंडी से अब किसी और को मंत्री बनाया जाए। अनिल शर्मा कांग्रेस से भाजपा में आने की शर्त की वजह से उस समय मंत्रिमंडल में लिए गए थे। जब मंडी से पहले से ही मुख्यमंत्री खुद हैं और एक अन्य मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर हैं तो अब किसी और जिले को मौका दिया जाएगा।

यह भी कहा जा रहा है कि धूमल की हार और मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद हमीरपुर रीजन अपने आप को जयराम सरकार में उपेक्षित महसूस कर रहा है। धूमल काल में हमीरपुर-बिलासपुर से कभी सीएम को मिलाकर 4 मंत्री कैबिनेट में या अहम पदों पर बैठते रहे हैं। पिछली भाजपा सरकार में मुख्यमंत्री धूमल के साथ साथ शिक्षा मंत्री आईडी धीमान और बिलासपुर से जे पी नड्डा व रिखी राम कौंडल अहम् पदों पर रहे हैं। लेकिन इस बार दोनों जिलों से कैबिनेट में प्रतिनिधित्व नहीं हैं।

इसलिए माना जा रहा है इस कमी को पूरा करने के लिए हमीरपुर और बिलासपुर में से एक जिले को मंत्रिपद दिया जा सकता है। इस बारे में हमीरपुर के विधायक नरेंद्र ठाकुर का नाम प्रमुखता से विचारणीय बताया जा रहा है। नरेंद्र ठाकुर दूसरी बार विधायक बने है और वर्तमान में हमीरपुर बिलासपुर दोनों जिलों के विधायकों में सबसे सीनियर हैं।

बिलासपुर से तीनों विधायक पहली बार विधानसभा गए हैं। किसी कारणवश या धूमल गुट की आपत्ति नरेंद्र ठाकुर के नाम पर रहती है, जैसा कि मंत्रिमंडल गठन में पहले भी देखा गया था तो बिलासपुर जिले की घुमारवीं सीट से चुनकर आए राजेंद्र गर्ग के नाम पर मुहर लग सकती है।

गर्ग केंद्रीय मंत्री जे पि नड्डा के गुट से माने जाते हैं। वहीं मुख्यमंत्री जयराम भी उन्हें अपना बालसखा बताते रहे हैं। नड्डा गर्ग के नाम की पैरवी करते हैं तो गर्ग का नाम आना बड़ी बात नहीं होगी।

इसके अतिरिक्त कांगड़ा लोकसभा सीट के नतीजों पर भी सबकी नजरे टिकी हुई हैं। किशन कपूर के लोकसभा में जाने की स्थिति बनती है तो नूरपुर से विधायाक राकेश पठानिया की मंत्रिमंडल में एंट्री की राह खुल सकती है। हालाँकि अंदरखाते पठानिया को भी अपने ही जिले के मंत्रियों के मौन विरोध का सामना करना पड़ सकता है।

वहीं, जिला कांगड़ा से रमेश धवाला भी वाया शांता कुमार अपने नाम की दावेदारी जताने से पीछे नहीं हटेंगे। वह योजना बोर्ड के उपाध्यक्ष पद से संतुष्ट नहीं बताये जा रहे हैं। मुख्य सचेतक नरेंद्र बरागटा भी मंत्रीमंडल में जगह पाने के लिए पुरजोर कोशिश करेंगे, यह भी लगभग विदित है। पूर्व में मंत्री रहे बरागटा ऊपरी हिमाचल के प्रतनिधत्व पर अपनी दावेदारी बताते रहे हैं।

लोकसभा चुनाव के बाद मंत्रिमंडल में स्थान के लिए भाजपा में आपसी खींचतान देखने को मिल सकती है। वहीं मंत्रियों के पोर्टफोलियो भी बदले जा सकते हैं।

Exit mobile version