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देश के साथ-साथ हिमाचल की भी लोकसभा सीटों से बीजेपी आलाकमान ने मांगे तीन-तीन नाम

इन हिमाचल डेस्क।। देश में चुनावी सरगर्मियां चरम पर हैं। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी संगठन ने तय किया है कि भाजपा शासित प्रदेशों में हो रहे विधानसभा चुनावों ही नहीं बल्कि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों में जीत हासिल करनी है तो जरूरी होगा कि ऐंटी इनकमबैंसी को रोका जाए।

लोकसभा चुनावों की बात करें तो मौजूदा सांसदों की परफॉर्मेंस और उनकी जनता में अगले चुनाव के लिए स्वीकार्यता मापने के लिए पार्टी दिवाली के बाद इंटरनल सर्वे करवाने की तैयारी में है। सूत्रों के मुताबिक इसके लिए एक इंटरनैशनल फर्म को हायर किए जाने की बात कही जा रही है।

सूत्रों के अनुसार बीजेपी आलाकमान ने प्रदेश संगठनों से कहा है कि हर सीट के लिए नाम भेजे जाएं जो उम्मीदवारी के लिए सूटेबल हों। इनमें एक नाम महिला का होना भी जरूरी किया गया है और साथ ही युवाओं को भी तरजीह देने के लिए कहा गया है।

सूत्रों की मानें तो आलाकमान ने स्पप्ष्ट शब्दों में कहा है कि इन उम्मीदवारों का नाम तय करते समय जीत की सम्भावना, व्यक्ति की पार्टी में भागीदारी, जातीय से लेकर क्षेत्रीय समीकरण और सामजिक स्वीकार्यता को ही पैमाना बनाया जाए, गुटबाज़ी या लॉबीइंग के आधार पर चयन न हो। हालांकि प्रदेश संगठन द्वारा भेजे गए नामों से बाहर भी फैसले लेने की शक्ति आलाकमान के पास ही रहेगी।

इस काम के लिए हायर की गई फर्म तीन नामों का विश्लेषण भी आलाकमान को करके देगी और अगर अन्य कोई संभावना हो तो उसका फीडबैक भी देगी। हिमाचल की बात करें तो यहाँ चारों सीटों पर भाजपा के सांसद है और इनके नाम जाना तो तय ही है मगर  ऊपर बताए गए पैमाने के आधार पर और दो नाम कौन होंगे, इसपर प्रदेश संगठन को माथापच्ची करनी होगी।

चर्चा यह भी है की कांगड़ा से शांता कुमार चुनाव नहीं लड़ेंगे और अपने बयानों में वो किसी युवा को आगे करने की बात कह रहे हैं। वहीँ शिमला सीट से वीरेंदर कश्यप भ्रस्टाचार के मामले में आरोपित हैं, उनकी जगह किसी और को उतारने की बात लगभग फाइनल होने की भी चर्चा है। इस तरह से देखा जाए तो सम्भावना यही कहती है कि कांगड़ा और शिमला सीट से प्रदेश भाजपा संग़ठन को तीनों नाम नए भेजने होंगे और मंडी हमीरपुर से दो दो।

हर सीट पर दावेदारों की लिस्ट लंबी है। मगर अब निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि आलाकमान और केंद्रीय चुनाव समिति के टेबल पर हर सीट से किन तीन भाग्यशाली लोगों का नाम पहुंचेगा और आखिर में किसके भाग में छींका फूटता है। हालांकि इन तीन नामों का चयन प्रदेश संगठन के लिए भी आसान नहीं है। गुटबाजी और धड़ों में विभाजित दिख रही भारतीय जनता पार्टी के लिए तीन नामों पर सर्वसम्मति बनाना चुनौतीपूर्ण होगा।

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