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हिमाचल प्रदेश में कैसी होनी चाहिए ट्रांसफर पॉलिसी, ये हैं सुझाव

मंडी।। प्रदेश की राजनीति में सबसे ज्यादा चर्चित विषय है तबादला कोई भी हो सरकार हो सत्ता परिवर्तन के साथ ही विभिन्न विभागों में तबादलों का होना स्वाभाविक बन जाता है। कई बार तो कर्मचारियों को इस प्रक्रिया के खिलाफ न्यायालय तक की शरण में जाना पड़ता है। बीते कई दशकों से प्रदेश में एक कारगर व उपयुक्त स्थानांतरण नीति की मांग तो उठती रही है परंतु यह धरातल पर नहीं उतर पाई।

प्रदेश में मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर के नेतृत्व में बनी सरकार ने आते ही घोषणा कर कहा की जल्द ही प्रदेश के कर्मचारियों के लिए एक उपयुक्त स्थानांतरण नीति बनाई जाएगी जिसके लिए उन्होंने आमजन व कर्मचारियों से भी इस दिशा में सुझाव आमंत्रित किए हैं। इसी कड़ी में मंडी जिला के बलद्वाडा क्षेत्र से संबंधित लेखक व पेशे से शिक्षक राजेश वर्मा ने मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री, मुख्य सचिव, शिक्षा सचिव व शिक्षा निदेशालय के दोनों निदेशकों को स्थानांतरण नीति पर सुझाव पत्र भेजा है। जिसपर इन्होनें कई बिंदुओं पर अपने सुझाव रखें हैं।

ऑनलाइन आवेदन मंगवाए जाएं
इनका कहना है कि सर्वप्रथम सामान्य तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा कर चुके कर्मचारी से आनलाइन आवेदन आमंत्रित किए जाएं जिसमें पिछले स्टेशनों की जानकारी भी मांगी जाए जैसे की क्या वह दुर्गम क्षेत्र में अपना कार्यकाल पूरा कर चुका है और क्या वह शहर या नगरों में या अपने गृह क्षेत्र में भी सेवा कर चुका है या नहीं? वहीं किसी कर्मचारी ने अपना दुर्गम क्षेत्र का कार्यकाल पूरा नहीं किया तो दुर्गम क्षेत्र में अपना कार्यकाल पूरा कर चुके कार्यरत कर्मचारी से उसे स्थानांतरित कर दिया जाए। यह सुनिश्चित हो की प्रत्येक कर्मचारी को अपने पसंद के स्टेशन पर अपने सेवाकाल में कम से कम एक बार तैनाती मिली या नहीं।

तीन ऑप्शन मांगे जाएं
तबादलों के इच्छुक कर्मचारियों से तीन स्टेशन की आप्शन मांगी जाए, प्रत्येक कर्मचारी को एक यूनिक कोड आवंटित किया जाए किसी भी कर्मचारी का स्थानांतरण उसके नाम से न हो बल्कि उसी यूनिक कोड के आधार पर हो जो उसे दिया गया है। यह इतने गोपनीय तरीके से हो की किसी भी संबंधित कर्मचारी या अधिकारी को इसकी जानकारी न मिल पाए की फंला कर्मचारी का स्थांतरण साफ्टवेयर द्वारा उस यूनीक नंबर के आधार पर किया गया है। वह साफ्टवेयर ही संबंधित विभाग व कर्मचारी को मेल या अन्य किसी साधन द्वारा सूचित करे।

साल में एक महीने ही हो प्रक्रिया
स्थांतरण करने की प्रक्रिया साल में केवल विशेष माह में ही शुरू व संपन्न हो जैसे शिक्षा विभाग में शैक्षणिक सत्र की शुरूआत होने से पहले संपन्न हो जाए। यह नियम पूरी तरह खत्म किया जाए की प्रथम नियुक्ति दुर्गम व जन जातिया क्षेत्र में हो क्योंकि कहीं सिफारिश तो कहीं रिक्तियां न होने के कारण यह नियम आधा अधूरा ही लागू हो पाता है। यदि कोई कर्मचारी या उसका पारिवारिक सदस्य जैसे बूढ़े माता-पिता किसी गंभीर बीमारी से लंबे समय से ग्रसित है तो उस हालात के अनुसार स्थांतरण करते समय इन सामजिक पहलुओं को भी ध्यान में रखा जाए। बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल के लिए कर्मचारियों को इस नीति में रियायत दी जाए।

महिलाओं के लिए यह हो व्यवस्था
विवाहित महिला कर्मचारियों के मामले में यदि पति कर्मचारी हो तो दोनों को एक ही मंडल या उपमंडल पर तैनात किया जाए। अविवाहित महिला कर्मचारियों को कोशिश की जाए की उनको उनके गृह क्षेत्र में ही तैनाती मिले, गृह क्षेत्र की परिधि की सीमा तय कर ली जाए वह 15 से 20 किलोमीटर के दायरे में हो, यदि किसी विद्यालय से संबंधित स्थानीय लोग या स्कूल प्रबंधन समिति के ज्यादातर सदस्य किसी शिक्षक को उसके कार्य की वजह से उसी विद्यालय में लंबे समय तक रखना चाहते हैं तो जनहित को देखते हुए उस शिक्षक की तैनाती ज्यादा से ज्यादा एक वर्ष तक बढाई जाए। सेवानिवृत्त के अंतिम 5 वर्ष रहे कर्मचारियों को गृह क्षेत्र या पसंद के किन्हीं दो स्टेशनों पर समायोजित किया जाना चाहिए जो गृह क्षेत्र से 15-20 किलोमीटर की परिधि में हो।

राजेश वर्मा का कहना है उपरोक्त सुझावों के अलावा बहुत से बिंदु और भी हो सकते हैं जो एक बेहतर स्थानांतरण नीति में उपयोगी साबित हो सकते हैं तथा इन सुझावों पर तकनीकी व सामाजिक पहलुओं को ध्यान में रखते हुए विचार किया जाना चाहिए। यह सारी प्रक्रिया तकनीक व साफ्टवेयर के माध्यम से पूरी की जानी जिसमें मानवीय हस्तक्षेप बिल्कुल न हो। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के नेतृत्व में बनी इस युवा सरकार से कर्मचारियों को स्थांतरण नीति को लेकर बहुत उम्मीदें हैं। हम उम्मीद करते हैं की वह इस पर जल्द ही धरातल पर काम करेगी।

(स्वतंत्र लेखक और शिक्षक राजेश वर्मा बलद्वाड़ा, मंडी के रहने वाले हैं और उनसे 7018329898 पर संपर्क किया जा सकता है।)

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