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जब पूरा प्रदेश ‘चरसीवाल’ बना है तो भांग की खेती लीगल क्यों न हो?

तरुण गोयल।। हिमाचल पुलिस की रिपोर्ट कहती है कि 2011 से लेकर 2017 तक हिमाचल में Narcotic Drugs and Psychotropic Substances Act (NDPS) में 4037 लोग पकड़े गए.

हर साल औसतन 576 बन्दे और हर रोज डेढ़ आदमी NDPS में अंदर जा रहा है.चंबा, कुल्लू, मनाली, पार्वती घाटी में तो छोटे-छोटे पाब्लो एस्कोबार घूम रहे हैं. नेशनल क्राइम ब्यूरो की रिपोर्ट कहती है कि अकेले 2016 में 7 अंडरएज लड़के (juveniles) और 5 फिरंगी NDPS में धरे गए.

2016 में NDPS में पूरे देश मे दर्ज हुए मामलों में हिमाचल ने 9th रैंक प्राप्त किया (930 मामले), और तो और 2016 में NDPS के मामलों में हिमाचल ने बिहार और गोआ जैसे महारथियों को भी पीछे छोड़ दिया.

अगर अखबारों पर नजर डालें, तो सिर्फ गूगल के पहले पेज से ये खबरें हमें मिलती हैं-

और इससे पहले कि कुल्लू और चुराह वाले मुझपर तलवार लेकर चढ़ जाएं, एक रिपोर्ट सुन्दरनगर से भी-

जब पूरा प्रदेश चरसीवाल बना घूम रहा है तो क्यों न चरस की खेती को ही लीगल कर दिया जाए? हाल ही के सालों में Hemp Business एक जबरदस्त business opportunity बन के उभरा है (मेरे पास Hemp से बना एक कुर्ता भी है)

कपड़ा बनाओ, दवाई बनाओ, और जब मन करे तो थोड़ा पी भी जाओ.

हिमाचल को मालामाल कर सकती हैं इंडस्ट्रियल भांग की खेती

I hope the state government finds a constructive, a way out at least for medicinal use of cannabis in the upcoming Rising Himachal Summit.

आपका क्या विचार है? (कृप्या सोच समझ कर जवाब लिखें, क्योंकि अकेले 2016 में 23 लोग IT act में भी पेले गए हैं, और एक आदमी पर देशद्रोह का चार्ज लगा है, फेसबुकिए विद्वान ध्यान देवें)

हिमाचल को मालामाल कर सकती हैं इंडस्ट्रियल भांग की खेती

(लेखक ट्रैवल ब्लॉगर हैं और हिमाचल प्रदेश से जुड़े मुद्दों पर भी चुटीली टिप्पणियां करते रहते हैं। यह लेख उनकी फेसबुक टाइमलाइन पर भी प्रकाशित हुआ है)

ये लेखक के निजी विचार हैं।

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