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जघन्य अपराधों के आरोपियों की मॉब लिंचिंग की बात करना मूर्खतापूर्ण

तरुण गोयल।। सांसद जया बच्चन कह रही हैं कि तेलंगाना कांड के सब अभियुक्तों को सरे राह जला दिया जाए, पब्लिक के हवाले कर दिया जाए। फेसबुकिए कह रहे कि किसी भी वकील को उन तीन बदमाशों का केस नहीं लड़ना चाहिए

प्रद्युम्न ठाकुर याद है आपको? Ryan International स्कूल में पढ़ने वाला वो 7 साल का बच्चा?

सितंबर 8, 2017 में स्कूल के बाथरूम में प्रद्युम्न ठाकुर का गला रेत दिया गया। लड़के की मौके पर मौत हो गई। गुडगाँव पुलिस, जो अब गुरुग्राम पुलिस हो गई थी पर हरकतें उनकी अब भी गुडगाँव लेवल की ही थी, ने एक SIT बनाई। 3-3 DCP ने केस देखा और रिकार्ड समय मे डिक्लेयर कर दिया कि स्कूल बस के कंडक्टर अशोक कुमार ने पहले लड़के का रेप किया और बाद में चाकू से गला रेत दिया।

अशोक कुमार को जेल हो गई, बकायदा पुलिस कमिश्नर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और अशोक कुमार को खूनी बताया। खट्टर सरकार ने ट्वीट कर खुद को बधाई दी।

तब भी जनता पागल हो गई थी। उस कंडक्टर को भी पब्लिक पीटना चाहती थी। उसके चक्कर मे कई ड्राइवर-कंडक्टर दिल्ली-गुडगाँव में पीटे भी गए।

और फिर CBI इन्क्वायरी हुई, गुडगाँव पुलिस का फैलाया हुआ गोबर साफ हुआ तो कंडक्टर अशोक कुमार निर्दोष निकला। प्रद्युम्न ठाकुर की मौत उसी के स्कूल के एक सहपाठी ने की थी। 7 साल के बच्चे को 16 साल के लड़के ने exam postpone करवाने के चक्कर मे मार दिया।

पर अशोक कुमार बच गया। उसे किसने बचाया? इस देश की न्यायिक प्रक्रिया ने, जो हर समय न सही, कभी-कभी तो सफल हो ही जाती है। इसीलिए कोर्ट कचहरी बनाई गई है, इसीलिए बड़े से बड़े आतंकी को भी वकील दिया जाता है। अगर उसे वकील न दिया जाए, तो वो न्यायिक प्रक्रिया पूरी न होने के कारण वैसे भी दोषी ही साबित नहीं होगा

Mob Lynching का किसी भी सभ्य समाज मे कोई स्थान नहीं है।

It’s not the severity of punishment but the surety of punishment that ‘can’ stop such ghastly crimes. And that has to come only through courts and not in open streets.

(लेखक ट्रैवल ब्लॉगर हैं और हिमाचल प्रदेश से जुड़े मुद्दों पर भी चुटीली टिप्पणियां करते रहते हैं। यह लेख उनकी फेसबुक टाइमलाइन पर भी प्रकाशित हुआ है)

ये लेखक के निजी विचार हैं।

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