कर्म सिंह ठाकुर।। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने हाल ही में जर्मनी, नीदरलैंड और दुबई की यात्राएं की ताकि नवंबर 2019 में धर्मशाला में प्रस्तावित औद्योगिक निवेश सम्मेलन को सफल बनाया जा सके। मुख्यमंत्री के साथ उद्योग मंत्री और अन्य अधिकारी भी यात्राओं में शामिल रहे थे। कई तरह एमओयू साइन होना संकेत है कि कड़ी मेहनत से वे निवेशकों को आकर्षित करने में सफल हुए हैं।
हमारे प्रदेश को प्रकृति से अपार संपदाए उपहार स्वरूप मिली हैं। इनका प्रदेशवासियों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए वैज्ञानिक दृष्टि से दोहन करना प्रदेश का हक है। यह बाद ध्यान देने योग्य है कि प्रदेश में बेरोजगारों का आंकड़ा 9 लाख तक पहुंच गया है। ऐसे में इन्हें रोजगार मुहैया करवाने के लिए प्रदेश में विदेशी तथा स्वदेशी निवेश की अत्यंत आवश्यकता है। शायद इसी सोच को चरितार्थ करने के लिए प्रदेश का राजनीतिक नेतृत्व और अधिकारी विदेशों तथा देश के बड़े-बड़े औद्योगिक घरानों को प्रदेश में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।
निवेश बदल देगा हिमाचल की तस्वीर
पर्यटन, मैन्युफैक्चरिंग, शिक्षा, स्वास्थ्य तथा परिवहन के क्षेत्र में निवेश हुआ तो इससे प्रदेश के बाजारों में नई रौनक देखने को मिलेगी। अर्थशास्त्रियों का भी यह मानना है कि जब किसी राज्य में निवेश बढ़ता है तो वहां पर विभिन्न तरह के सामानों की जरूरतें भी बढ़ जाती है, जिससे मुद्रा का आवागमन शुरू हो जाता है तथा रोजगार के नवीन साधन भी सृजित होते हैं।
हिमाचल प्रदेश भौगोलिक दृष्टि से विविधताओं वाला राज्य है। गगनचुंबी पहाड़ी पर्वत मालाएं, समृद्ध तथा मनमोहक नदियों का प्रवाह, हरियाली, खुशहाली तथा प्रदेश की जनता का भोलापन विश्व विख्यात है। यही कारण है कि प्रदेश में विदेशी तथा स्वदेशी औद्योगिक घराने निवेश करने के इच्छुक है। वैश्विक पटल पर प्रदेश की छवि शांत, ईमानदार तथा तीव्र गति से विकसित हो रहे राज्य की है।
15 अप्रैल 1948 को प्रदेश महज चार जिलों महासू, सिरमौर, चंबा के रूप में अस्तित्व में आया था। उस समय प्रदेश में शैक्षणिक संस्थान, स्वास्थ्य सुविधाएं, आवागमन के साधन लगभग शून्य थे। पूरा भारत हिमाचल की तरफ इस दृष्टि से देखता था कि यह कब असफल होगा और कब इसका विलय पंजाब में होगा। प्रदेश के राजनीतिक नेतृत्व के सामने अनेक प्रकार की चुनौतियां भी पैदा हुई थीं। मगर प्रदेश की जनता ने ईमानदारी तथा मेहनत के मार्ग को चुना।
अनेकों मुसीबतों में भी घुटने नहीं टेके, कभी केंद्र से भीख नहीं मांगी सिर्फ अपने अधिकारों के लिए पैरवी की। इसी का नतीजा यह हुआ कि आज हिमाचल प्रदेश उत्तरी भारत में अनेकों भौगोलिक समस्याओं के कारण भी तीव्र गति से विकास तथा बेहतर जीवनशैली मुहैया करवाने वाला राज्य बन गया है।
सरकार के सामने कड़ी चुनौती
औद्योगिक निवेश से प्रदेश की अर्थव्यवस्था में नई ऊर्जा का संचार होगा लेकिन निवेशकों को बेहतर सुविधाएं मुहैया करवाना भी पहाड़ जैसी बड़ी जिम्मेदारी से कम नहीं है। निवेशकों को भूमि मुहैया करवाने में धारा 118 तथा अन्य कानूनी औपचारिकताओं से छेड़छाड़ प्रदेश की जनता को नहीं भाती है। विपक्ष भी जयराम सरकार के हर दांव-पेंच पर कड़ी नजरें गड़ाए हुए है। यदि निवेशकों को भूमि चयन, बिजली, पानी तथा सड़क मार्ग इत्यादि बुनियादी सुविधाओं में ही समस्याओं का सामना करना पड़ेगा तो कोई भी निवेशक प्रदेश में दिलचस्पी नहीं दिखाएगा।
इतिहास इसका गवाह है कि निवेशक प्रदेश में निवेश तो करना चाहते हैं लेकिन कानून के झमेले में पढ़ कर अपना समय बर्बाद नहीं करना चाहते। वर्तमान समय में प्रदेश के सड़कों की हालत भी अच्छी नहीं है और प्रदेश में आवागमन का मुख्य मार्ग सड़कें ही है, निवेशकों को भी सड़क मार्ग से गुजर कर ही अपने उद्योगों को स्थापित करना होगा। जयराम सरकार को सबसे पहले सड़कों के जाल को सुदृढ़ करना होगा तथा अधिकारी वर्ग से भी सचेत रहना होगा। अधिकारी वर्ग भी निवेशकों की फाइलों को टेबलो में इस तरह से घुमाता है कि निवेशक को नानी याद आ जाती है।
उसके बाद विपक्ष को प्रदेश के विकास में साझेदार बनाने का भरसक प्रयास करना होगा। वर्तमान समय में सोशल मीडिया पर भ्रामक खबरों की भी भरमार छाई हुई है। धारा 118 पर सोशल मीडिया पर फैली भ्रामक खबरों ने मुख्यमंत्री को भी चौंका दिया था। इससे भी जयराम सरकार को बचना होगा तभी औद्योगिक निवेश की धरातल तक पहुंच सुनिश्चित हो पाएगी।
जयराम से प्रदेश को हैं उम्मीदें
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि में देखें तो भाजपा के नेता शांता कुमार पानी के मुख्यमंत्री तथा प्रेम कुमार धूमल सड़क के मुख्यमंत्री के नाम से जाने जाते हैं। अब भाजपा के तीसरे मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को प्रदेश की जनता ने प्रचंड बहुमत देकर सत्तासीन किया हैl। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि जय राम किस मुख्यमंत्री की उपमा से प्रसिद्ध होते हैं।
वर्ष 2017 में जब जयराम सरकार बनी थी तो “रामराज्य” की स्थापना का सपना प्रदेश की जनता देख रही थी। लेकिन पिछले कुछ समय से प्रदेश में सड़क दुर्घटनाएं, नशाखोरी, हुड़दंग तथा गुंडागर्दी, मासूमों के साथ बलात्कार तथा निर्मम हत्याएं थमने का नाम नहीं ले रही है। इससे प्रदेश की छवि को वैश्विक पटल पर शर्मसार कर रही हैl। जयराम सरकार को कानून व्यवस्था को भी सुदृढ़ करना होगा ताकि प्रदेश की जनता यूपी, बिहार जैसे राज्यों की तरह बनने से बच जाएं।
निवेशकों से जिस तरह से मुख्यमंत्री को आश्वासन व प्रोत्साहन मिला है यह प्रदेश की भविष्य के लिए एक सकारात्मक दृष्टिकोण है। प्रदेश की जनता भी इस पुनीत कार्य में अपना भरपूर योगदान देने के लिए वचनबद्ध हो तो प्रदेश आने वाले समय में भारत में ही नहीं वैश्विक पटल पर एक समृद्ध तथा विकसित राज्य के रूप में अपनी भूमिका सुनिश्चित करने का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।
(लेखक कर्म सिंह ठाकुर हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के सुंदरनगर से हैं। उनसे 98053 71534 पर संपर्क किया जा सकता है।)