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हिमाचल विरोधी है ‘इन हिमाचल’ पोर्टल और ये बातें हैं सबूत

आई.एस. ठाकुर।। ‘इन हिमाचल’ हिमाचल विरोधी पोर्टल है। इसकी वेबसाइट और फेसबुक पेज पर हमेशा हिमाचल विरोधी खबरें होती है। हमेशा नेगेटिव खबरें, नेगेटिव बातें पोस्ट होती हैं। कभी सरकार की आलोचना, कभी मुख्यमंत्री की बात पर सवाल तो कभी मंत्रियों के बयानों पर नुक्ताचीनी। यही नहीं, कई बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक पर सवाल उठा देता है ये पोर्टल। पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान वीरभद्र सिंह पर निशाना साधता था। उसके मंत्रियों की योजनाओं की चीरफाड़ करता था और अब मौजूदा सरकार की भी टांग खींच रहा है। यह पोर्टल विपक्ष के नेता प्रेम कुमार धूमल पर सवाल उठाता था। हिमाचल के सांसदों रामस्वरूप शर्मा, अनुराग ठाकुर, शांता कुमार और वीरेंद्र कश्यप की नेगेटिव खबरें छापता था। क्या इसे राजनीति के अलावा और कुछ खबर या मुद्दा नहीं सूझता?

‘इन हिमाचल’ ने हमेशा हिमाचल का विरोध किया है। कितना शांत प्रदेश है ये और हमेशा इसकी छवि बिगाड़ने की कोशिश करता है। हाल ही में जब हिमाचल के अलग-अलग हिस्सों से टूरिस्टों और स्थानीय लोगों की मारपीट के वीडियो आ रहे हैं तो ये पोर्टल हिमाचल के लोगों का पक्ष नहीं ले रहा और टूरिस्टों का हिमायती बन रहा है। हिमाचल का पोर्टल है तो इसे हिमाचल के लोगों की बात करनी चाहिए। हिमाचल वाले गलत हों या सही, ये बात मायने नहीं रखती। अगर ये काम ये पोर्टल नहीं कर सकता तो अपना नाम बदल ले, अपने नाम में हिमाचल न लगाए।

अब हाल ही का मामला देखिए, जब कुल्लू में टिप्पर वाले ने पास को लेकर बहस होने पर टूरिस्ट को पीटने के लिए रॉड निकाली थी और टूरिस्टों ने उसी रॉड को छीनकर टिप्पर वाले का सिर फोड़ दिया था। बाद में टिप्पर वाले के साथियों ने टूरिस्टों को पीटा था। उस समय इन हिमाचल ने स्थानीय लोगों के रवैये पर सवाल उठाए और कहा कि मामले में पुलिस और कानून की मदद लेने के बजाय मारपीट क्यों की गई। जबकि इन हिमाचल को इस वीडियो पर कॉमेंट करने वाले अधिकतर लोगों की तरह कहना चाहिए था- ये हिमाचल है, बाहर के लोग सबक ले लें, हम शरीफ हैं मगर मौका मिलने पर टांग देते हैं। मगर हिमाचल विरोधी पोर्टल ने टूरिस्ट और स्थानीय लोगों दोनों पर बराबर सवाल उठाकर गलत किया।

ऐसा ही इसने एचआरटीसी के ड्राइवरों पर सवाल उठाकर किया जब वे शराबी युवकों को बुरी तरह पीट रहे थे। अब हाल ही में जाम को लेकर जब टूरिस्टों ने स्थानीय जीप चालक को कुल्लू में पीटा तो भी उसने हिमाचल का पक्ष नहीं लिया बल्कि तथ्यों को रिपोर्ट कर दिया। उसे पोस्ट से यह बात छिपा देनी चाहिए थी कि स्थानीय व्यक्ति पर लाइन तोड़कर गाड़ी घुसाने का आरोप है। उसे स्थानीय व्यक्ति द्वारा दी जा रही गालियों और आगे भुंतर में देख लेने वाला हिस्सा भी छिपा देना चाहिए था। और मेरा तो कहना है कि उसे ये वीडियो पब्लिश ही नहीं करना चाहिए था क्योंकि इससे हिमाचल की छवि खराब होती है। और छापना था तो लिखना था- टूरिस्ट पंगें न लें, वरना धुने जाओगे।

और बात मारपीट वाले वीडियो की ही नहीं है। जब नगरोटा बगवां में, पालमपुर में या अन्य हिस्सों पर कुछ लोगों को धर्म के नाम पर पीट दिया जाता है, उसकी साजिश रचने वालों को लेकर भी ये रिपोर्ट छापता है और हिमाचल जैसे शांत प्रदेश का माहौल खराब करता है। यही नहीं, दलित और शोषित वर्ग के खिलाफ होने वाले अन्याय, छुआछूत, मारपीट, भेदभाव और बच्चों तक के साथ गलत व्यवहार की खबरें भी ये छापता है जबकि अन्य अखबार इन्हें तवज्जो नहीं देते। ऐसी खबरें बाहर आती हैं तो हिमाचल की बदनामी ही होती है। हिमाचल में छुआछूत है ही नहीं, इन हिमाचल तो मामूली बातों को उठाकर बदनाम करता है।

इन हिमाचल ने वनरक्षक होशियार सिंह की मौत को लेकर लगातार खबरें छाप, लगातार लेख छापकर गलत किया। गुड़िया मामले में स्थानीय पत्रकारों की रिपोर्टों को प्रकाशित करके और सरकार में बैठे लोगों द्वारा की जा रही लीपापोती को एक्सपोज करके भी गलत किया क्योंकि उससे लोग भड़क गए थे और मजबूरन सीबीआई जांच करवानी पड़ी थी। सोचिए, इस जांच के कारण हिमाचल के काबिल पुलिस अफसर जेल चले गए। इन हिमाचल को पिछली सरकार के दौरान वन मंत्री को लेकर लेख नहीं छापने चाहिए थी। अच्छा ही हुआ था जो इसे ऐसा करने के लिए लीगल नोटिस मिला था। हिमाचल विरोधी पोर्टल के साथ ऐसा ही होना चाहिए।

सोचिए, ये कितना खराब पोर्टल है जिसे कोई पसंद नहीं करता। न राजनेता, न अफसरशाही। और तो और, इसे तो किसी भी राजनीतिक पार्टी के समर्थक पसंद नहीं करते। कांग्रेस वालों ने खूब गालियां दी थीं, अब बीजेपी की सरकार है तो बीजेपी वाले देते हैं। सोचिए, यह कैसे पोर्टल है जो ऐसा कोई कार्यक्रम नहीं करवाता जिसमें कोई मंत्री शिरकत कर रहा हो। ये किसी को इनाम नहीं देता, कोई कॉन्टेस्ट नहीं करवाता, नेताओं को नहीं बुलाता। क्या फायदा इसका? और पोर्टलों और अखबारों को देखिए, पहले पेज पर हेडिंग ही यह होती है कि सीएम या मंत्री कहां जाएंगे। इसमें ऐसी कोई खबर नहीं होती। उल्टा लेख छपते हैं और वह भी सरकारी योजनाओं की लूपहोल्स वाले।

मैं पिछले कुछ सालों से राष्ट्रीय और हिमाचल के स्थानीय अखबारों और पोर्टलों के लिए लिखता रहा हूं मगर ऐसा पोर्टल कोई नहीं देखा। मेरा अनुभव कहता है कि ये पोर्टल हिमाचल विरोधी ही है। कमबख्त तटस्थ रहता है। हिमाचल के लोगों से लड़ता-भिड़ता है, उन्हें उकसाता है। और तो और, विधानसभा से जब बीजेपी बतौर विपक्ष वॉकआउट करती थी तब उसकी आलोचना करता था और अब वैसी ही आलोचना कांग्रेस के वॉकआउट की करता है। क्या हुआ जो हिमाचल में विपक्ष में सोया है। विपक्ष का काम यह ‘इन हिमाचल’ क्यों करता है? इसे अपने काम से काम रखना चाहिए, नेताओं की प्रेस कॉन्फ्रेंस कवर करनी चाहिए, सरकारी प्रेस रिलीज छापनी चाहिए, दो चार पेड न्यूज करनी चाहिए, सरकारी विज्ञापन लेने चाहिए और अपनी दुकान चलानी चाहिए। हम हिमाचली अपना खुद देख लेंगे, इन हिमाचल हमारी चिंता न करे।

(लेखक देश और हिमाचल प्रदेश से जुड़े विषयों पर लंबे समय से लिख रहे हैं, उनसे kalamkasipahi @ gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है)

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