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हिमाचल प्रदेश में बसों का किराया बढ़ाने की टाइमिंग पर उठते सवाल

HRTC toon, bus

Grok से तैयार तस्वीर

इन हिमाचल डेस्क।। सुख की सरकार ने हिमाचल की जनता पर ऐसे वक्त वक्त महंगे किराये का बम फोड़ा, जब पाकिस्तान से संघर्ष चल रहा था और सबकी निगाह सीमा पर थी। क्या यह कोशिश थी सवालों से बचने की? मगर सवाल खत्म नहीं हुए।

हमने तब इसलिए सवाल नहीं उठाया क्योंकि हमें लगा वक्त सही नहीं हैं। लेकिन क्या सरकार के पास जवाब है कि जब चंद रोज़ पहले बसों का न्यूनतम किराया बढ़ाया था, तभी सामान्य किराया क्यों नहीं बढ़ाया गया? तब क्यों प्रचारित किया गया कि न्यूनतम किराया ही बढ़ाया जाएगा।

और फिर किराया बढ़ाना ही था तो ऐसी कौन सी आफत आन पड़ी थी जो चंद दिनों का इंतजार नहीं हुआ? ऐसी बेकरारी क्या थी कि जब सीमाओं पर तनाव था और हो सकता था कि छुट्टी पर आए फौजी भाइयों को आनन-फानन में ड्यूटी जॉइन करनी पड़ती या उन्हें कैंट इलाकों से अपने परिजनों को सुरक्षा के लिए घर भेजना पड़ता, तभी यह कदम उठाया गया।

फिर कुछ कहते हैं कि “हमारी छवि खराब की जा रही है” और कुछ लिखते हैं “साज़िशों का दौर” चला हुआ है। हकीकत ये है कि वाकई “झूठ के पैर नहीं होते” और जनता जानती है कि कोई एक नहीं, बल्कि एक पूरा ग्रुप है जो सच छिपाने और झूठ बोलने की आदत से मजबूर है। आपकी छवि कोई और नहीं, आप खुद खराब कर रहे हैं।

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