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अटल टनल रोहतांग: कैसे धरे रह गए इंतजामों के बड़े-बड़े दावे

इन हिमाचल डेस्क।। अटल टनल रोहतांग हिमाचल प्रदेश ही नहीं, देश के लोगों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। जब इसका लोकार्पण किया गया था, तब प्रशासन और पुलिस ने बड़े-बड़े दावे किए थे कि इसमें निगरानी के लिए कैमरे लगे हैं, सुरक्षा के लिए पर्याप्त पुलिसकर्मी तैनात होंगे, कोई नियम नहीं तोड़ पाएगा, नियम तोड़ेगा तो तुरंत कार्रवाई होगी, आदि। लेकिन जैसे ही टनल पर टूरिस्ट सीजन में लोड पड़ा, सारे इंतजाम और दावे धरे के धरे रह गए।

पिछले कुछ दिनों में ही टनल के अंदर पर्यटकों द्वारा हुड़दंग मचाने की कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं। पुलिस ने हुड़दंगियों को हिरासत में लिया, वाहन भी जब्त किए मगर ये सब घटना हो जाने के बाद की गई कार्रवाई है। जबकि दावा तो यह किया गया था कि ऐसी नौबत ही नहीं आएगी। अव्यवस्था का आलम यह रहा कि कई बार सुरंग के अंदर जाम लग चुका है। ऐसे वीडियो भी सामने आए जिनमें सुरंग के अंदर फंसे पर्यटक वहीं पर पेशाब करते दिखे।

जाम लगने की एक वजह यह भी बताई जा रही है कि ढंग से तालमेल बिठाने की कोई योजना नहीं बनाई गई है। आरोप है कि पुलिसकर्मी टनल के अंदर ओवरस्पीडिंग का चालन काटने लग जाते हैं जिससे जाम जैसी स्थिति बन जाती है। कई बार ऐसा भी देखने को मिला है कि सुरंग के दूसरे सिरे पर हिमपात के कारण ट्रैफिक थमता है, तब भी दूसरी ओर से वाहनों को सुरंग में दाखिल होने दिया जाता है। इससे अंदर वाहनों की लंबी कतारें लग जाती हैं।

इस अव्यवस्था के परेशान पुलिसकर्मी भी खीझे हुए नजर आते हैं और नियमों का उल्लंघन करने वालों पर नियमों के अनुसार कार्रवाई करने के बजाय हिंसा का रास्ता अख्तियार कर लेते हैं। एक वीडियो ऐसा भी सामने आया जिसमें पुलिसकर्मी किसी शख्स को टनल के अंदर मुर्गा बनाकर सिर पर लात मार रहे थे। अगर किसी चोट से उस व्यक्ति की मौत हो जाती हिमाचल प्रदेश की भारी बदनामी हो सकती थी। जिस पर्यटन उद्योग पर हिमाचल के हजारों लोगों की रोजी-रोटी टिकी है, वहां पर इस तरह की घटना अच्छा संदेश नहीं देती।

दरअसल इस सुरंग में सेना, बीआरओ और हिमाचल प्रदेश पुलिस की अलग-अलग जिम्मेदारियां है। अगर इसके संचालन में किसी तरह की दिक्कत आती है तो ये सभी की साझी जिम्मेदारी बनती है कि उसे दूर करे। जब तब आपस सही तालमेल नहीं बिठाया जाएगा, तब तक जाम लगने, हुड़दंग मचाने और दुर्घटनाओं आदि का खतरा बना रहेगा। यह काम जल्द से जल्द हो जाना चाहिए वरना जिस निर्माण को इंजीनियरिंग की मिसाल बताया जा रहा है, उसे कुप्रबंधन की मिसाल बनते देर नहीं लगेगी।

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