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लेख: प्रधानमंत्री जी, प्लीज़ अनुराग जी को एम्स का क्रेडिट दे ही दीजिए

आई.एस. ठाकुर।। आज फेसबुक पर आया तो देखा कि हिमाचल प्रदेश में बीजेपी में खुशी ही लहर है। होनी भी चाहिए, आखिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिमाचल आकर उस एम्स का शिलान्यास करने जा रहे हैं, जिसके लिए करीब 3 साल पहले ऐलान हुआ था 2 साल पहले बजट मंजूर हो गया था। आखिर लटकते-लटकाते चुनाव से ठीक पहले इसका शिलान्यास हो ही जाएगी। वैसे मैं सोचता हूं कि अगर 2015 में जब बजट का ऐलान हुआ था और उसके कुछ महीनों मे ंही काम शुरू हो गया होता तो आज ज्यादा नहीं, कम से कमीन जमीन पर खुदाई होकर प्लेन करने का काम तो शुरू हो ही चुका होता। मगर क्या करें, जाने कहां पर मामला लटक गया। केंद्र बोलता कि राज्य ने जमीन नहीं दी है, राज्य बोलता रहा हमने दे दी है।

 

एम्स को लेकर वीरभद्र केंद्र को लपेटते रहे, केंद्र की तरफ से सिर्फ नड्डा बयान देते रहे मगर एक तीसरी शख्सियत भी थी जो बीच-बीच में तड़का डाल रही थी और बोल रही थी, अरे कहां उलझे हुए हो, एम्स लाने में मेरा योगदान है। वह कोई और नहीं बल्कि हमीरपुर से बीजेपी के सांसद अनुराग ठाकुर हैं। अब अगर उनके चुनाव क्षेत्र में एम्स बन रहा है और उन्हें कोई पूछ ही नहीं रहा, ये तो बड़ी नाइंसाफी है। मीडिया भी जाकर नड्डा जी के मुंह के आगे माइक लगा रहा है कि कब बनेगा, क्या होगा। अनुराग जी के पास तो कोई जा ही नहीं रहा। अनुराग जी को कभी संसद में भाषण के दौरान यह बोलना पड़ता है कि मैंने एम्स के लिए प्रयास किए और तब किए जब हर्षवर्धन स्वास्थ्य मत्री थे, नड्डा नहीं। मगर कोई ध्यान नहीं देता। (इस साल मार्च में दिया भाषण सुनें)

फिर अनुराग जी को फेसबुक पर कई बार लाइव या वीडियो के माध्यम से या पोस्टों के माध्यम से जताना पड़ता है कि भाई, इसमें मेरा योगदान है। फिर भी जब कोई नहीं पूछता तो वह नड्डा और सीएम को चिट्ठी भेजते हैं कि कहां फंसा है मामला (पढ़ें)। मगर एक दो दिन हवा बनती है और सब फुस्स। एक बार तो उन्होंने कहा था-  ‘एम्स को बिलासपुर लाने में नड्डा का कोई योगदान नहीं है और न ही इसे यहां से ले जाने में होगा।'(पढ़ें) जब नड्डा ने कहा कि अभी शिलान्यास का कोई कार्यक्रम तय नहीं है तो मामला फिर शांत हो गया। मगर रविवार सुबह ही नड्डा वीडियो डालते हैं कि 3 अक्टूबर को प्रधानमंत्री एम्स का शिलान्यास करेंगे।

 

यह तो बेचारे अनुराग जी के साथ नाइंसाफी है। यह ऐलान तो उन्हें ही करने देना चाहिए था भाई। पहले वीडियो डालने का हक उनका बनता था, क्योंकि वह कई मंचों से कह चुके हैं कि एम्स मेरे प्रयासों की देन है। खैर, अनुराग जी ने देर से ही सही, वीडियो डाला और उसमें हर बार की तरह यह याद दिलाना नहीं भूले कि ‘आपके आशीर्वाद और मेरे प्रयासों’ से एम्स आया है।

मगर सवाल उठता है कि आखिर अनुराग को बार-बार क्यों बोलना पड़ रहा है कि यह काम मेरे प्रयासों से हुआ है? कभी मोदी जी ने, वीरभद्र जी ने, कौल सिंह ने और यहां तक कि नड्डा जी ने भी नहीं कहा कि एम्स मेरे प्रयासों से हिमाचल आया है। फिर अनुराग जी को क्यों कहना पड़ रहा है?

 

इससे संकेत मिलते हैं कि अनुराग अपरिपक्व राजनेता हैं। उनके अंदर मेच्योरिटी की भारी कमी है। सिर्फ एम्स वाले मुद्दे को लेकर नहीं, बल्कि पिछले दिनों दिए गए उनके कई बयान उनकी अपरिपक्वता को दिखाते हैं। जैसे कि एम्स को लेकर अपनी ही सरकार के वरिष्ठ मंत्री को घेरना, टोपी को लेकर विवाद होने पर लाल टोपी पहनकर आ जाना, राहुल गांधी के भाषण पर यह कहना कि मैंने 13 साल की उम्र में धूमल टाइटल छोड़ दिया था… यह नासमझी नहीं तो और क्या है। शायद आप भूल गए होंगे कि पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान एक टीवी कार्यक्रम के दौरान हमीरपुर में उन्होंने वीरभद्र की तुलना बंदर के एक खिलौने से कर दी थी। उसका भी उन्हें राजनीतिक नुकसान झेलना पड़ा था।

शायद अनुराग क्रेडिट इसलिए भी लेना चाहते हैं क्योंकि उनके पास सांसद के तौर पर गिनाने के लिए कुछ खास नहीं है। अनुराग की उपलब्धियों की बात करें तो एकमात्र उपलब्धि धर्मशाला में क्रिकेट स्टेडियम बनाना है, मगर वह सांसद के तौर पर नहीं बल्कि क्रिकेट प्रशासक के तौर पर है। बाकी वह रेलवे ट्रैक को लेकर भी मांग करते रहे हैं और उसका श्रेय भी लेते हैं। हालांकि यह बड़ी पुरानी मांग है, फिर भी जितना काम हुआ है, उसका सांसद को श्रेय मिलना भी चाहिए। पिछले दिनों मैंने In Himachal पर ही पढ़ा था कि अनुराग ठाकुर हिमाचल से सबसे ज्यादा ऐक्टिव सांसद हैं। यानी न सिर्फ उनकी हाजिरी, बल्कि उनके द्वारा पूछे गए सवाल और प्रस्ताव हिमाचल के अन्य सांसदों से ज्यादा हैं।

 

इसका मतलब यह हुआ कि वह ऐक्टिव हैं, जुझारू हैं मगर साथ ही साथ उन्हें समझना चाहिए कि सिर्फ इससे काम नहीं चलेगा। राजनीति में परिपक्वता बहुत जरूरी है। समझ बहुत जरूरी है। विरोधियों पर वार करना जरूरी है राजनीति में। इसके बिना काम नहीं चलता। फिर वे विरोधी पार्टी के अंदर के हों या दूसरी पार्टी के। मगर वे वार गुपचुप होने चाहिए और ऐसे होने चाहिए कि किसी को पता न चले। और पता भी चले तो आपका कद बढ़े। मगर यूं हताशा में बचकाना व्यवहार करके बार-बार एम्स का जिक्र आने पर यह जताने की कोशिश करना कि यह मेरी वजह से हुआ, समझदारी नहीं है। जब मैं इस बात को नोटिस कर सकता हूं कि आप हताशा में बार-बार क्रेडिट लेने की कोशिश कर रहे हैं तो आम जनता भी कर सकती है। इससे आप लाचार साबित होते जा रहे हैं।

 

अनुराग को समझना चाहिए कि उनका क्रेडिट उनसे कोई नहीं छीन सकता। आप सांसद हैं, आपके रहते यह एम्स बिलासपुर में आया तो इसका श्रेय आपको मिलेगा और शिलान्यास पट्टिका पर आपका भी नाम होगा। कोई आपके योगदान को झुठला नहीं सकता। मगर यूं बार-बार हर मंच से इसे गाना अच्छा नहीं लगता। फिर भी अगर वह बचपना नहीं छोड़ते हैं तो मैं प्रधानमंत्री जी से गुजारिश करूंगा कि बाल मन की हठ का मान रखने के लिए उस दिन मंच से कह ही दें- हां, यह एम्स अनुराग ठाकुर जी और सिर्फ और सिर्फ अनुराग ठाकुर जी के प्रयासों से ही आया है और कोई अन्य व्यक्ति इसका श्रेय लेने की कोशिश न करे।


(लेखक मूलत: हिमाचल प्रदेश के हैं और पिछले कुछ वर्षों से आयरलैंड में रह रहे हैं। उनसे kalamkasipahi @ gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।)

DISCLAIMER: ये लेखक के निजी विचार हैं, उनके लिए वह स्वयं जिम्मेदार हैं

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