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विक्रमादित्य सिंह की संपत्ति को लेकर आक्रामक हुई बीजेपी

शिमला।। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने साल 2012 विधानसभा चुनाव के दौरान नामांकन के वक्त जो हलफनामा दिया था, उसमें अपने साथ-साथ परिजनों की संपत्ति का जिक्र भी किया था। उस हलफनामे में वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह की संपत्ति 1.19 करोड़ रुपये बताई गई थी। मगर ठीक पांच साल बाद होने जा रहे चुनावों में संपत्ति बढ़ गई है। बीजेपी ने इसे मुद्दा बना लिया है।

 

विक्रमादित्य सिंह ने शिमला रूरल से कांग्रेस के उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाखिल किया है। उन्होंने इस बार अपनी संपत्ति 84 करोड़ रुपये बताई है। चल संपत्ति 4.50 करोड़ है जबकि अचल संपत्ति 79.82 करोड़ रुपये है। उनके बैंक खातों में 10.94 लाख रुपये जमान हैं।

 

इसके अलावा उन्होंने शेयरों में 38 लाख रुपये, गहनों में 10.26 लाख रुपये और अन्य वाहनों का जिक्र हलफनामे में किया है। इस तरह से वीरभद्र के 2012 में दिए हलफनामे में बताई गई संपत्ति की तुलना इस साल विक्रमादित्य के हलफनामे में बताई गई संपत्ति से की जाए तो यह उछाल 70 प्रतिशत का है। यानी पांच सालों में विक्रमादित्य की संपत्ति 70 गुना बढ़ी है।

 

इस मामले को लेकर बीजेपी भी आक्रमाक हो गई है। बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने वीरभद्र पर प्रदेश में विक्रमादित्य मॉडल ऑफ डिवेलपमेंट लागू करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि 2012 में वीरभद्र सिंह के डिपेंडेंट रहे विक्रमादित्य की तब की 1.19 करोड़ की संपत्ति पांच साल में बढ़कर 84 करोड़ तक पहुंच गई। उन्होंने कहा कि वीरभद्र प्रदेश का नहीं बल्कि विक्रमादित्य का विकास करवा रहे हैं।

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