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फिर पलटी जयराम सरकार, शीर्ष नौकरशाहों के चहेतों को पुनर्नियुक्ति

शिमला।। हिमाचल प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में एक बार फिर यह चर्चा छिड़ गई है कि सरकार जयराम ठाकुर चला रहे हैं या नौकरशाह। दरअसल मुख्य सचिव विनीत चौधरी के निजी सचिव की और मुख्यमंत्री की प्रधान सचिव मनीषा नंदा के ड्राइवर की रिटायरमेंट के बाद दोबारा नियुक्ति होने जा ही है। बता दें कि ये दोनों 30 अप्रैल को रिटायर हो रहे हैं। ये नियुक्तियां जयराम ठाकुर के उस नारे के विपरीत हैं, जो उन्होंने पद संभालते ही दिया था।

जैसे ही नई सरकार का गठन हुआ था और जयराम छाकुर मुख्यमंत्री बने थे, उन्होंने ऐलान किया कि यह सरकार पिछली सरकारों की तरह नहीं चलेगी और ‘टायर्ड और रिटायर्ड’ लोगों को न तो सेवा विस्तार दिया जाएगा न ही उनकी कहीं और पुनर्नियुक्ति होगी। मगर उस समय सरकार ने कुछ कर्मचारियों और अधिकारियों को फिर से नियुक्ति दी थी। और अब दोबारा यही काम हुआ है। यानी सबकुछ पिछली वीरभद्र सिंह सरकार के साथ चल रहा है।

क्या हुआ इस बार
मुख्य सचिव विनीत चौधरी के निजी सचिव 30 अप्रैल को रिटायर हो रहे हैं। अब उन्हें सरकार हिमाचल प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन में अजस्ट कर रही है। उन्हें को-टर्मिनस आधार पर नियुक्ति दी जा रही है। यानी जब तक चीफ सेक्रेटरी विनीत चौधरी सरकारी सेवा में रहेंगे, उनके निजी सचिव भी नौकरी करते रहेंगे। बता दें कि विनीत चौधरी ही पावर कॉर्पोरेशन के मुखिया हैं।

मुख्यमंत्री की प्रधान सचिव मनीषा नंदा के ड्राइवर को भी रिटायर होने के बाद हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में एडजस्ट किया जा रहा है। ध्यान देने की बात यह है कि मनीषा नंदा खुद प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की चेयरपर्सन हैं।

बता दें कि इन नियुक्तियों के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय से इजाजत नहीं ली गई क्योंकि इसकी जरूरत नहीं होती। मगर इस तरह से अधिकारियों द्वारा अपने चहेतों को फिर से कहीं और नौकरी देना सवाल खड़े कर रहा है। भले ही यह कहा जा रहा है कि दोनों को अपने पदों पर रिटेन करने के बजाय कहीं और नियुक्त किया जा रहा है, मगर सरकारी सेवा में ही तो नियुक्ति दी जा रही है।

सवाल उठाए जा रहे हैं कि एक तरफ मुख्यमंत्री दावा करते हैं कि उनकी सरकार सख्ती से घोषणापत्र को नीतिगत पत्र बनाएगी और अपने हर वादे पर खरी उतरेगी, वहीं रिटायर्ड लोगों की पुनर्नियुक्तियां हो रही हैं। साफ है कि या तो मुख्यमंत्री एक बार फिर अपने बयान से पलट गए हैं या फिर अफसरशाही के लिए उनकी बातों का कोई मोल नहीं है।

 

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