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बस खरीद: एक साल में अपनी ही बात से पलट गए परिवहन मंत्री गोविंद ठाकुर?

शिमला।। कुल्लू बस हादसे के बाद हरकत में आई सरकार प्रदेश को यह विश्वास दिलाने में जुटी है कि वह अपनी तरफ से पूरे इंतजाम करने की कोशिश कर रही है। इस बीच परिवहन मंत्री ने कहा है कि प्रदेश सरकार जल्द ही 200 नई बसें खरीदने जा रही है ताकि प्रदेश में बसों की कमी की समस्या को जल्द हल किया जा सके।

परिवहन मंत्री गोविंद ठाकुर ने कहा है कि ‘बसों में ओवरलोडिंग की समस्या का निपटारा करने के लिए हिमाचल सरकार पथ परिवहन निगम के बेड़े को और मजबूत करना की सोच रही है और इसके लिए जल्द ही कदम भी उठाए जाएंगे।’ मगर हैरानी की बात यह है कि कुछ समय पहले परिवहन मंत्री का मानना था कि हिमाचल में एचआरटीसी के पास पर्याप्त बसें हैं और बावजूद इसके कांग्रेस सरकार ने बिना मांग के ही अतिरिक्त बसें खरीद ली थीं और इसकी जरूरत नहीं थी।

अब ओवरलोडिंग के लिए 200 बसों को खरीदने की जरूरत बता रहे परिवहन मंत्री ने एक साल पहले बाकायदा विधानसभा में कहा था कि पर्याप्त बसें होने के बावजूद पिछली कांग्रेस सरकार ने कर्ज लेकर अतिरिक्त बसें खरीद लीं और वह भी बिना मांग के। 13 मार्च, 2018 को सदन की कार्रवाई के दौरान नगरोटा बगवां के विधायक अरुण कुमार के सवाल के जवाब में परिवहन मंत्री ने यह बात कही थी।

विधानसभा में दिए गए परिवहन मंत्री के उत्तर का एक अंश

क्या कहना था परिवहन मंत्री का
प्रश्न संख्या 65 के जवाब में परिवहन मंत्री ने कहा था कि 2012-13 तक 1800 बसों का बेड़ा था तो उसके बाद बसें खरीदने की जरूरत नहीं थी मगर कांग्रेस सरकार ने 2100 बसें अतिरिक्त खरीदीं और वह भी बिना डिमांड के। उनका कहना था कि वित्त विभाग के अनुसार 2500 बसों का बेड़ा उपयुक्त होगा उससे प्रॉडक्टिविटी चलाकर काम करेंगे।

परिवहन मंत्री ने कहा था- ‘माननीय सदस्यों ने इसी क्रम में अपना एक प्रश्न किया है कि कुल कितनी बसें खरीदी गईं? अध्यक्ष जी, मैं आपके माध्यम से माननी सदस्यों को जानकारी देना चाहता हूं कि वर्ष 2011-12 तक परंपरा थी कि कभी भी बसों को खरीदने के लिए अतिरिक्त लोन नहीं लिया जाता था। जो कैपिटल ग्रांट है, उसके अगेंस्ट ही बसें ली जाती थीं परंतु साल 2013-13 से लगातार बसों की खरीद के लिए सैकड़ों करोड़ रुपयों का लोन लिया जाता रहा। हैरानी तो यह है कि साल 2012-13 तक 1800 बसों का टोटल बेड़ा था तो उसक बाद इतनी बसें खरीदने की आवश्यकता ही नहीं थी। लगभग 2100 बसें और अतिरिक्त जो खरीदी गईं वे बिना किसी डिमांड के खरीदी गईं। अभी वर्ष 2017-2018 में 325 बसें और ली गई हैं। अभी वित्त विभाग की ऑब्जर्वेशन थी कि हिमाचल प्रदेश में बसों का बेड़ा 2500 बसों का होगा तो उपयुक्त उनकी प्रोडक्टिविटी चलाकर काम करेंगे।

पूरे सवाल और जवाब को यहां पर क्लिक करके विधानसभा की कार्यवाही के लेखे-जोखे में पढ़ा जा सकता है।

हालांकि उस समय भी बात उठी थी कि हिमाचल प्रदेश में हर जगह हर रूट को मुनाफे के हिसाब से नहीं देखा जा सकता क्योंकि यह जनता को दी जाने वाली सुविधाओं का मामला है। अगर किसी दूर-दरूज के गांव में 10 लोग रोज आते-जाते हैं और वहां के लिए और कोई बस नहीं तो क्या डीजल का खर्च भी पूरा नहीं हो रहा है, यह कहकर उस रूट को बंद कर दिया जाएगा?

अब खुद क्यों खरीद रहे बसें?
एक साल पहले तक बार-बार एचआरटीसी के पास अतिरिक्त और गैर जरूरी बसें होने और आवश्यकता न होने पर भी बसें खरीद लिए जाने की बात कहने वाले परिवहन मंत्री को अब अचानक 200 बसों की जरूरत कहां से महसूस हुई, यह चर्चा का विषय बन गया है। वह भी तब, जब डेढ़ साल बाद भी जेएनएनयूआरएम के तहत खरीदी गई बसों का मसला सुलझा पाने में वह नाकाम रहे हैं।

JNNURM की बसें सड़ती हुईं। (IMAGE: MUNISH DIXIT)

सवाल यह भी उठ रहा है कि राज्य में बसों की जरूरत कितनी है, इसे लेकर एक साल पहले उन्हें गलत आकलन की वजह से अधिकारियों ने गलत जानकारी तो नहीं दी थी।

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