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आउटसोर्स्ड कर्मचारी रेग्युलर नहीं किए जा सकते: मुख्यमंत्री

शिमला।। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा है कि आउटसोर्स्ड कर्मचारियों को न तो रेग्युलर किया जा सकता है और न ही इन्हें कॉन्ट्रैक्ट पर रखा जा सकता है। सीएम ने कहा कि न तो नियमों में ऐसा प्रावधान है और न ही सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों में ऐसी कोई व्यवस्था है।

विधानसभा में शुक्रवार को मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार यह जरूर सुनिश्चित करेगी कि इन कर्मचारियों का शोषण न हो। जिन कंपनियों ने इन्हें रखा है, अगर उनके द्वारा शोषण की शिकायत मिलती है तो कार्रवाई होगी।

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि आउटसोर्स्ड कर्मचारियों की नियुक्ति में किसी तरह के आरक्षण की व्यवस्था भी सरकार नहीं कर सकती।

उन्होंने यह भी कहा कि पिछली सरकार ने इलेक्शन के दौरान जरूर आउटसोर्स्ड कर्मचारियों के लिए पॉलिसी बनाने का ऐलान किया था मगर यह चुनावी लाभ के लिए किया गया था जबकि कानूनी पेचीदगियों के चलते ऐसा नहीं किया जा सकता।

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर विधानसभा में (Image: FB/Jairam Thakur

क्या होते हैं आउटसोर्स्ड कर्मचारी
जब कभी किसी बाहरी सप्लायर के साथ कॉन्ट्रैक्ट करके कोई चीज या सेवा ली जाती है, उसे आउटसोर्स करना कहा जाता है। इस मामले में सरकार या सरकारी विभागों, बोर्डों और निगमों का अनुबंध निजी कंपनियों के साथ होता है और वे कंपनियां अपनी शर्तों पर कर्मचारियों को रखकर वहां भेजती हैं, जहां सरकार को जरूर होती है। यानी कर्मचारी कंपनी के कर्मचारी होते हैं न कि सरकार के।

अभी कितने कर्मचारी हैं
हिमाचल प्रदेश में इस समय विभिन्न विभागों, बोर्डों और निगमों में 8731 कर्मचारी हैं। 5048 कर्मचारी सरकार के विभिन्न विभागों, 2893 कर्मचारी बोर्डों में और 790 कर्मचारी निगमों में काम कर रहे हैं। इनको वेतन कंपनियां देती हैं और इन कंपनियों को कॉन्ट्रैक्ट के तहत सरकार से पैसा मिलता है।

‘कंपनियों ने शोषण किया तो होगी कार्रवाई’
मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर कंपनी अपने कर्मचारियों को समय पर वेतन नहीं देती है तो नियमों के तहत उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि कंपनियां नियमानुसार इनका ईपीएफ काटती हैं और सरकारी कर्मचारियों की ही तरह मेडिकल लीव और अन्य लाभ देती हैं।

मुख्यमंत्री ने जानकारी दी कि साल 2015 से 2017 के बीच सरकार ने आउटसोर्स्ड कर्मचारी मुहैया करवाने वाली इन कंपनियों को 225 करोड़ 88 लाख 26 हजार 495 रुपये का भुगतान किया है।

विधानसभा में यह मुद्दा सीपीएम विधायक राकेश सिंघा के प्रश्न के बाद उठा जिस पर मुख्यमंत्री ने विस्तार से जवाब दिया और अन्य सदस्यों ने भी चर्चा की। आउटसोर्स्ड कर्मचारियों के विषय में हुई इस चर्चा को विधानसभा की कार्यवाही के लिखित ब्यौरे की शुरुआत में पढ़ा जा सकता है। इसे पढ़ने के लिए यहां पर क्लिक करें, काफी कुछ जानने को मिलेगा।

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