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‘खराब’ थर्ड अंपायरिंग को लेकर हिमाचल के वीरेंद्र शर्मा पर उठे सवाल

शिमला।। गुरुवार को भारत और इंग्लैंड के बीच खेले गए चौथे टी-20 मैच में दो फैसलों को लेकर विवाद हुए। एक तो सूर्यकुमार का कैच आउट, जिसमें रीप्ले में गेंद जमीन को छूती दिख रही थी, जबकि दूसरा रहा वॉशिंगटन सुंदर का कैच। इस मैच में खराब अंपायरिंग का आरोप लगा और कप्तान विराट कोहली समेत कई पूर्व क्रिकेटरों ने निराशा जताई। ज्यादा सवाल उठ रहे हैं थर्ड या टीवी अंपायर पर। इस मैच में थर्ड अंपायर थे- हिमाचल से संबंध रखने वाले वीरेंद्र शर्मा। शर्मा को घरेलू क्रिकेट में अच्छी अंपायरिंग के लिए बीसीसीआई ने 2018-19 सत्र का बेस्ट अंपायर घोषित किया था।

टीवी अंपायर की पहली गलती
सूर्यकुमार यादव फॉर्म में थे और उनका 14वें ओवर की पहली गेंद पर सैम करन को फाइन लेग पर लगाया गया छक्का उनके आत्मविश्वास का प्रतीक था। अगली गेंद पर डेविड मलान ने सीमा रेखा पर उनका कैच लिया जिसमें रीप्ले से साफ लग रहा था कि गेंद ने जमीन को छुआ है।

लेकिन कई ऐंगल्स से रीप्ले देखने के बाद तीसरे अंपायर ने मैदानी अंपायर का आउट का फैसला बने रहने दिया। इस फैसले के बाद दर्शकों और भारतीय खेमे में हताशा देखी गई।

टीवी अंपायर की दूसरी गलती
इसी मैच में कुछ ऐसा ही हुआ वॉशिंगटन सुंदर के साथ।19.4 ओवर में जब भारतीय बल्लेबाज सुंदर ने आर्चर की गेंद को हिट किया, तब ब्राउंड्री पर मौजूद फील्डर आदिल राशिद ने गेंद को लपक लिया। रीरिप्ले के दौरान बॉल को पकड़ते हुए राशिद का पैर रस्सी को छूता हुआ नजर आ रहा था। इसके बावजूद टीवी अंपायर ने सुंदर को आउट करार दिया।

सॉफ्ट सिगनल का रोल?
हालांकि, गुरुवार को खेले गए मैच में सॉफ्ट सिगनल की भूमिका अहम रही। अब आपमें से कुछ सोच रहे होंगे कि आखिर ये सॉफ्ट सिग्नल होता क्या है? दरअसल, जब भी किसी कैच के लिए फील्ड अंपायर तीसरे अंपायर का रुख करता है तो उसे सॉफ्ट सिग्नल के रूप में अपना फैसला भी बताना होता है। यही हुआ था सूर्यकुमार के मामले में। तो फील्ड अंपायर ने सूर्यकुमार को आउट दिया था और थर्ड अंपायर ने ‘पर्याप्त सबूत न होने के कारण’ फील्ड अंपायर के फैसले को बरकरार रखा।

इस पूरे मामले को लेकर विराट कोहली ने मैच के बाद कहा, “जब फील्डर खुद ही इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं था कि उसने कैच किया है या नहीं तो मैदानी अंपायर ने सॉफ्ट सिग्नल आउट क्यों दिया? ये बात मैं समझ नहीं पाया।”

उन्होंने कहा, “टेस्ट सीरीज में एक ऐसा वाकया हुआ था जब अजिंक्य रहाणे ने गेंद को कैच किया था लेकिन वह पूरी तरह आश्वस्त नहीं थे। जब बात करीबी हो तो सॉफ्ट सिग्नल काफी अहम बन जाता है। मुझे समझ नहीं आता कि अंपायर्स के लिए भी ‘मुझे पता नहीं’ जैसा कोई सिग्नल क्यों नहीं है। खेल के लिए ऐसा करना जरूरी है। लेकिन हम मैदान पर हर फैसले में स्पष्टता चाहते हैं।”

पूर्व क्रिकेटर वीरेंदर सहवाग ने तो एक तस्वीर ट्वीट की जिसमें बच्चे की आंख पर पट्टी बंधी है। उन्होंने लिखा है- थर्ड अंपयार फैसले लेते वक्त।

 

कौन हैं वीरेंद्र शर्मा
वीरेंद्र शर्मा ऐसे पहले हिमाचली हैं जिन्हें बतौर अंपायर बीसीसीआई के एलीट पैनल व आइसीसी के पैनल में शामिल होने का मौका मिला है। इससे पहले वह हिमाचल की ओर से 51 रणजी मैच खेल चुके हैं। फर्स्ट क्लास क्रिकेट में दो शतक और आठ अर्धशतक उनके नाम हैं। उन्होंने फर्स्ट क्लास और लिस्ट ए मैचों में 2000 के क़रीब रन बनाए हैं। बाद में उन्होंने अंपायरिंग में करियर शुरू किया।

पिछले दिनों जागरण को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, “बेशक मैदान पर अंपायरिंग बेहद चुनौतीपूर्ण काम है। हर किसी की नजर अंपायर पर होती है। ऐसे में कोई भी गलत निर्णय मैच का रुख पलट सकता है तो नए विवाद का भी कारण बन जाता है। ऐसे में खुद पर विश्वास जरूरी है।”

और अफसोस की बात है कि वह खुद विवाद में फंस गए हैं जबकि वह फील्ड अंपायरिंग की जगह टेक्नॉलजी का इस्तेमाल करने वाले थर्ड अंपायर की भूमिका में थे।

‘अनुराग ठाकुर हैं रोल मॉडल’
अनुराग ठाकुर को विरेंद्र शर्मा अपना रोल मॉडल मानते हैं। उन्होंने कहा था, “क्रिकेट के क्षेत्र में बहुत से लोगों ने उल्लेखनीय योगदान दिया है लेकिन अनुराग ठाकुर उन सबमें अग्रणी हैं। उन्होंने न केवल हिमाचल बल्कि देश के क्रिकेट को भी नई ऊंचाई देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वे हमेशा क्रिकेट और प्रतिभावान युवाओं को आगे बढऩे के लिए प्रेरित ही नहीं करते बल्कि अवसर भी उपलब्ध करवाते हैं। हिमाचल क्रिकेट के में उनका योगदान अविस्मरणीय है। वह अच्छे क्रिकेट प्रशासक होने के साथ उम्दा राजनीतिज्ञ भी हैं। इसके अलावा बीसीसीआइ के कोषाध्यक्ष अरुण ठाकुर भी प्रदेश व भारतीय क्रिकेट के लिए महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं।”

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