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IPS सौम्या पर गवाही बदलने का दबाव डालने पर जहूर ज़ैदी के PSO पर जांच

शिमला।। कोटखाई रेप एंड मर्डर केस में पुलिस द्वारा शुरू में गिरफ्तार किए गए नेपाली मूल के युवक सूरज की लॉकअप में हत्या के मामले में तत्कालीन आईजी जहूर जैदी को लेकर नई-नई बातें सामने आ रही हैं। आईपीएस अधिकारी सौम्या सांबशिवन पर कोर्ट में गवाही से पहले दबाव बनाने की कोशिश में अब ज़ैदी के तत्कालीन पीएसओ पर भी विभागीय जाँच बैठ गई है।

जब गुड़िया मामले के हाइलाइट होने के बाद प्रदेश सरकार ने शिमला के एसपी रहे डीडब्ल्यू नेगी को हटाया था तो उनकी जगह सौम्या सांबशिवन की नियुक्ति हुई थी। ऐसे में चंडीगढ़ स्थित सीबीआई कोर्ट में सौम्या की गवाही काफ़ी अहम थी। लेकिन इस साल की शुरुआत में जब सौम्या सांबशिवन को अदालत में पेश होना था, तब उनपर भारी दबाव डाला गया था।

सौम्या ने कोर्ट को बताया था कि सुनवाई से पहले उनके ऊपर इतना दबाव डाला गया था कि वह मानसिक रूप से परेशान हो गई थीं और काम करना मुश्किल हो गया था। जनवरी में सौम्या ने कोर्ट में कहा था कि उनके पीएसओ और स्टेनो तक ने फोन बंद कर दिया है। मगर सौम्या ने कहा था कि जहूर जैदी को यह नहीं सोचना चाहिए कि ऐसा करके वह मामले से दूर हो सकते हैं।

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‘लोकेशन जानने की कोशिश’
सौम्या ने कोर्ट को बताया था, “सितंबर 2019 से जहूर जैदी मेरे मोबाइल और ऑफिशियल लैंडलाइन नंबर पर लगातार बात करने की कोशिश कर रहे हैं। लगातार फोन कर मुझ पर बयान बदलने के लिए दबाव डाला गया।” आईपीएस अधिकारी का कहना था, “इससे मैं मानसिक रूप से इतनी परेशान हो गई कि मुझे धर्मशाला में 10 दिसंबर 2019 को डीजीपी को तत्काल मामले की सूचना देनी पड़ी। सूचना के बाद उनका फोन आना बंद हो गया, लेकिन मेरे पीएसओ से मेरी लोकेशन रोजाना जानने की कोशिश की गई।”

इसके बाद सीबीआई कोर्ट ने नोटिस जारी करके जैदी के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए थे। अब जैदी के पीएसओ के खिलाफ भी जांच शुरू हुई है क्योंकि उनके ऊपर भी सौम्या सांबशिवन पर दबाव बनाने का आरोप है। इस जांच से पहले पुलिस मुख्यालय ने मार्च में सरकार को एक रिपोर्ट भेजी थी। इसी रिपोर्ट के अध्ययन में सरकार ने पाया कि जैदी के अलावा सौम्या पर पीएसओ ने भी बयान को लेकर दबाव बनाया था।

सौम्या ने बताया था कि कोर्ट में बयान देने से पहले तक उन्हें पंजाब कैडर के एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी से भी फोन कराया गया था। इस बयान के बाद कोर्ट ने प्रदेश के डीजीपी को जैदी के खिलाफ कार्रवाई के लिए निर्देश दिए थे। पुलिस मुख्यालय ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी और उसके बाद प्रदेश सरकार ने जैदी को निलंबित कर विभागीय जांच के आदेश दे दिए थे। विभागीय जांच पूरी होने के बाद पुलिस मुख्यालय इस पर अंतिम फैसला करेगा।

ज़हूर ज़ैदी वीरभद्र सरकार के चहेते रहे हैं और शिमला मामले से पहले सोलन के विवादित बाबा अमरदेव के मामले में भी चर्चा में रहे है। आरोप है कि जब अमरदेव फँसने लगे तो वीरभद्र सरकार ने ज़ैदी को जाँच सौंपी और उसके बाद मामला ही बदल गया। सूरज हत्याकांड मामले में ज़मानत मिलने के बाद ज़ैदी सीधे अमरदेव से मिलने गए थे। वीरभद्र भी इसी साल अमरदेव के दरबार में हाज़िरी लगा चुके हैं। पूरा मामला क्या है, पढ़ने के लिए नीचे दिया गया लिंक पढ़ें-

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