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नाग छतरी: बेशकीमती जड़ी-बूटी, प्रतिबंधित होने के बावजूद बढ़ रहा अवैध दोहन

चम्बा।। चम्बा से पठानकोट की ओर जा रहे एक ट्रक से डलहौजी पुलिस से साढ़े 7 क्विंटल नाग छतरी बरामद की। जानकारी के अनुसार पुलिस को ट्रक में नाग छतरी ले जाने की गुप्त सूचना मिली थी। जिसके आधार पर पुलिस ने लाहड़ गांव में ट्रक को रोका।

ट्रक में ड्राइवर सहित तीन व्यक्ति व्यक्ति सवार थे। पुलिस ने जब उनसे परमिट मांगा तो उन्होंने परमिट तो दिखाया, लेकिन ट्रक में परमिट से ज़्यादा संख्या में सामान पाया गया। ऐसे में पुलिस ट्रक को बनीखेत चौकी ले आई और ट्रक की तलाशी ली।

डीएसपी डलहौजी विशाल वर्मा ने बताया कि ट्रक की तलाशी लेने पर साढ़े 7 क्विंटल नाग छतरी बरामद हुई। 150 से ज़्यादा बोरियां बरामद हुई जिसकी कीमत 14 से 15 लाख है। उन्होंने बताया कि इसमें परमिट वाले माल की संख्या काफी कम है। सारे माल को अभी आंका जा रहा है। नाग छतरी को बिना परमिट बेचना कानूनन अपराध है।

क्या है नाग छतरी

नाग छतरी एक तरह की जड़ी-बूटी है जो पहाड़ों की ऊंचाइयों होती है। इसका पौधा चार हजार मीटर से अधिक की ऊंचाई वाले क्षेत्रों पर मिलता है। नाग छतरी का वैज्ञानिक नाम ट्राइलियम गोवानियनम (Trillium Govanianum) है। इसे सतुआ के नाम से भी जाना जाता है। ये तीन पत्तियों वाली बूटी है जिस पर गहरे लाल ब्राउन रंग का फूल खिलता है। अपनी अजीब सरंचना के कारण इसे आसानी से पहचाना जा सकता है।

क्या है नाग छतरी की कीमत

नाग छतरी अब विलुप्त होने की कगार पर है। इसे बहुत अधिक मात्रा में पहाड़ी चट्टानों से निकाला गया है। जंगलों से भी इसका अत्यधिक मात्रा में अवैध रूप से दोहन हुआ है। लोकल बाजार में नाग छतरी को दो से तीन हजार रुपये प्रति किलो में खरीदा जाता है। वहीं विदेशों में निर्यात करने वाले इसके दाम 15 से 20 हजार रुपये प्रति किलो बताते हैं। चीन इसका बड़ा आयात करने वाले देश माना जाता है।

किस काम आती है नाग छतरी

हिमालय में यह बूटी पायी जाती है। नाग छतरी का भारत में विशेष रूप से प्रयोग नहीं किया जाता है। दिल्ली से इसका सबसे अधिक निर्यात चीन को होता है। औषधि विशेषज्ञ बताते हैं कि इसका प्रयोग हर्बल टानिक, च्वनप्राश और यौवन शक्ति बढ़ाने वाली दवाइयों में किया जाता है। कैंसर रोधी भी इसे बताया जाता है।

इसकी जड़ दवा के रूप में काम आती है। इस जड़ी- बूटी में सूजन को घटाने के भी गुण हैं। ये कीटाणुओं को नष्ट करती है। इसमें फफूंदीनाशक गुण भी है। इसलिए इसकी मांग बढ़ती जा रही है।

बिना अनुमति नाग छतरी की खुदाई अपराध

नाग छतरी बेशकीमती जड़ी-बूटियों की श्रेणी में आती है। बिना अनुमति नाग छतरी की खुदाई करना भी अपराध है। वन विभाग द्वारा पांच साल बाद एक बीट या रेंज में स्थानीय लोगों को ही जड़ी बूटी खोदने की अनुमति दी जाती है। वहीं मजदूरों से खुदाई की भी कोई अनुमति नहीं होती।

स्थानीय लोगों के लिए जड़ी बूटी के खोदने का समय वन विभाग की ओर से अक्तूबर से दिसंबर के बीच निर्धारित होता है। वहीं इसको खोदने के वैज्ञानिक तरीके भी विभाग ही लोगों को समझाता है। लेकिन बेशकीमती जड़ी-बूटी के अवैध दोहन का कारोबार वन विभाग के नियमों को ठेंगा दिखा रहा है।

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