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फेक न्यूज़ पर घिरे तो विक्रमादित्य ने गोलमोल बातें करके दी सफ़ाई

शिमला।। अख़बारों से कोरोना वायरस फैलने को लेकर WHO का सहारा लेकर भ्रामक पोस्ट डालने की आलोचना होने के बाद शिमला ग्रामीण से कांग्रेस विधायक विक्रमादित्य सिंह ने सफाई दी है। उनके इस दावे की वैधता को लेकर ‘इन हिमाचल’ ने सवाल उठाए थे। अब उन्होंने फेसबुक पेज पर अपनी मूल पोस्ट को तो नहीं हटाया है मगर एक फेसबुक वीडियो डाला है।

पिछले पोस्ट में जहां उन्होंने WHO की रिपोर्ट का हवाला देकर कहा था कि अखबारों से कोरोना फैल सकता है, अब इस वीडियो में उनका कहना है कि उन्होंने ‘मेडिकल एक्सपर्ट्स और डॉक्टर्स से बात की थी जिनका मानना था कि WHO का भी मानना है कि इससे वायरस फैल सकता है।” विक्रमादित्य ने कहा है, “हमने केवल प्रीकॉशनरी नोट पर जनता से निवेदन किया था कि जब इतनी सारी सावधानियां बरत रहे हैं तो यह भी बरतें।”

इस बार उन्होंने कहा है कि मेडिकल एक्पर्ट्स का मानना है कि WHO का भी मानना है। यानी उनके पास पुख्ता जानकारी नहीं थी और अभी भी नहीं है। अगर उन्होंने सिर्फ सावधानी बरतने का आग्रह किया होता तो बात अलग थी मगर उन्होंने निराधार जानकारी फैलाते हुए यह कह दिया था कि ‘अखबार अपने व्यावसायिक हितों के लिए लोगों की जान खतरे में डाल रहे हैं।’

विक्रमादित्य का वह पोस्ट जिसके आख़िर में उन्होंने लिखा है कि पब्लिशिंग हाउस अपने फ़ायदे के लिए लोगों की जान ख़तरे में डाल रहे हैं।

विक्रमादित्य का यह भी कहना है कि ‘पत्रकारों के उन्हें फ़ोन आए कि कुछ पत्रकारों में उनके बयान को लेकर ग़लत धारणा बनाई जा रही है।’ यानी वह नहीं मान रहे कि उन्होंने कुछ ग़लत कहा बल्कि कह रहे हैं कि कोई उनके बयान को ग़लत ढंग से पेश कर रहा है। जबकि ख़ुद उन्होंने साफ़ क्या लिखा था, वह ऊपर पोस्ट में स्पष्ट है।

आगे विक्रमादित्य कहते हैं, “हम कभी पत्रकार मित्रों की भूमिका को कमतर करने का प्रयास नहीं करेंगे, यह ग़लत धारणा बनाई गई है। ज़िम्मेदार होने के कारण मैंने स्थिति को स्पष्ट करना उचित समझा। मैं मेडिकल एक्सपर्ट नहीं हूँ, जो बात मेडिकल एक्सपर्ट्स ने हमसे की थी, वह आपसे शेयर की थी और मैं इसके साथ खड़ा हूँ कि जिससे लोगों का संपर्क होता है, उस चीज से बचने की ज़रूरत है।”

विक्रमादित्य ने क्या दावा किया था और उस दावे के संबंध में WHO का क्या कहना था, आप नीचे दी गई खबर पर टैप करके विस्तार से पढ़ सकते हैं।

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