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दृष्टिहीनों पर विक्रमादित्य सिंह की ‘सहानुभूति’ पर उठे सवाल

27 सितंबर, 2016 की तस्वीर

शिमला।। शिमला ग्रामीण से विधायक विक्रमादित्य सिंह ने फेसबुक पोस्ट डालकर बीजेपी सरकार पर संवेदनहीनता का आरोप लगाया है। उन्होंने लिखा है कि ‘दृष्टिहीन और विकलांग विधानसभा में मुख्यमंत्री से मिलने आए थे मगर उन्हें पुलिस फोर्स के माध्यम से ऐसे रोका गया जैसे वे आतंकवादी हों।’

विक्रमादित्य लिखते हैं कि ये लोग अपने अधिकारों की लड़ाई के लिए वहां पहुंचे थे तो इन्हें मुख्यमंत्री से मिलने की इजाजत दी जानी चाहिए थी। हालांकि, उनकी इस पोस्ट को लेकर कुछ लोगों ने सोशल मीडिया पर कॉमेंट और पोस्ट डालकर सवाल उठाए हैं।

कुछ यूजर्स ने अपनी पोस्ट्स में उस समय की घटनाओं का जिक्र किया है जब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी और दिवंगत वीरभद्र सिंह मुख्यमंत्री थे। इन घटनाओं के दौरान पुलिस को दृष्टिहीनों को हटाने के लिए हल्का बलप्रयोग करना पड़ा था। ऐसी ही एक घटना में विधानसभा के बाहर आए दृष्टिहीनों को सुरक्षाकर्मियों ने हटा दिया था।

दरअसल, 29 मार्च 2017 को दृष्टिहीन कुछ मांगों को लेकर विधानसभा पहुंचे मगर उन्हें यहां से हटा दिया गया। इसके बाद वे परेशान होकर सड़क पर बैठ गए। पुलिस ने उन्हें उठाया, जीप में भरा और पुलिस स्टेशन ले गई। इसके बाद वे जमानत पर छोड़े गए।

इससे पहले 27 सितंबर 2016 को दृष्टिहीन छोटा शिमला में सचिवालय के बाहर सड़क पर लेट गए थे। उनका कहना था कि वीरभद्र सरकार उनकी सुनवाई नहीं कर रही। बाद में पुलिस ने किसी तरह उन्हें हटाया।

सभी सरकारों पर अनदेखी का आरोप
विकलांग कर्मचारी और आम नागरिक अपनी मांगों को लेकर मौजूदा बीजेपी सरकार के कार्यकाल के दौरान भी कई बार प्रदर्शन कर चुके हैं। दरअसल, प्रदेश में विकलांगों और दृष्टिहीनों की पुरानी शिकायत है कि सरकार कोई भी हो, वह उन्हें नजरअंदाज करती है। उनका कहना है कि सरकारें और नेता आश्वासन तो देते हैं मगर उन्हें पूरा नहीं करते।

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