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विजिलेंस जांच में मंत्री के पास मिली अनुमति से कई गुना ज्यादा जमीन: मीडिया रिपोर्ट

शिमला।। नियमों को ताक पर रखकर बड़े पैमाने पर जमीन खरीदने के आरोपों में घिरीं कैबिनेट मंत्री सरवीण चौधरी को लेकर चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। मेजर विजय सिंह मनकोटिया ने हिमाचल सरकार में मंत्री पर परिवार के सदस्यों के नाम पर अचल संपत्ति जुटाने के आरोप लगाए थे। इसके बाद सरवीण चौधरी ने मनकोटिया को मानहानि का नोटिस भी भेजा था। अब जानकारी सामने आ रही है कि इस मामले की विजिलेंस जांच मे ंपता चला है कि कई नियमों को तोड़ा गया है।

अमर उजाला की रिपोर्ट के मुताबिक़, प्रारंभिक जांच पूरी हो गई है और इसमें कई अनियमितताएं पाई गई हैं। इसमें पता चल रहा है कि सरकार के सारे नियमों को धता बताते हुए जमीन खरीदी गई है। इसमें न सिर्फ लैंड होल्डिंग को लेकर बने सीलिंग एक्ट की धज्जियां उड़ाई गई हैं बल्कि अलग-अलग तरह से लैंड होल्डिंग की अनुमति दी गई।

रिपोर्ट कहती है, “प्रदेश में लैंड होल्डिंग को लेकर बने 1971 के हिमाचल प्रदेश सीलिंग ऑन लैंड होल्डिंग एक्ट के अनुसार एक परिवार के पास सामान्य क्षेत्र में 150 बीघा से ज्यादा जमीन नहीं हो सकती। इसमें कई मानकों को आधार बनाकर अलग-अलग लैंड होल्डिंग की अनुमति दी गई है। विजिलेंस ने जांच पूरी कर सरकार को सौंप दी है, अब कार्रवाई के लिए गेंद सरकार के पाले में है।”

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि मंत्री के पास अनुमति से कई गुना ज्यादा जमीन होने की पुष्टि हुई है। लिखा गया है,”करोड़ों की जमीन को रिश्तेदारों के नाम दर्ज कराने में भी सरकार को भारी वित्तीय नुकसान पहुंचाया गया है। जमीन का कई गुना कम दाम पर सौदा किया। इससे सरकार को सेल डीड के लिए स्टांप एक्ट के तहत लगने वाले स्टांप ड्यूटी और पंजीकरण फीस से मिलने वाले राजस्व का नुकसान हुआ है।”

हैरानी की बात यह है कि इस मामले में मीडिया में विस्तृत रिपोर्टें आ रही हैं मगर न तो अभी किसी तरह की एफआईआर होने की सूचना है और न ही और कोई जानकारी सरकार की ओर से दी जा रही है। यही नहीं, जब मामला इतना हाई प्रोफाइल हो चुका है तो हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने भी इसमें स्वत: संज्ञान नहीं लिया। दरअसल, राजनीति के इस तरह के मामलों में जब राजनेता खुलकर कोई कदम नहीं उठाते तो जनता की उम्मीदें न्यायपालिका से बढ़ जाती हैं।

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