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शिमला: नागरिकता कानून, NRC के विरोध में उतरे माकपा और अन्य संगठन

शिमला।। नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में सीपीएम ने हिमाचल प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में प्रदर्शन किया। पार्टी के नेताओं ने केंद्र सरकार पर देश के सांप्रदायिक सौहार्द को जानबूझकर बिगाड़ने का आरोप लगाया। इस दौरान पिछले दिनों जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में छात्रों पर हुए लाठीचार्ज का भी विरोध किया।

प्रदेश की राजधानी शिमला में उपायुक्त कार्यालय के पास माकपा की ओर से राज्यस्तरीय प्रदर्शन किया गया। इसमें माकपा के अलावा भाकपा-माले, जमीयत-ए-उलेमा-ए-हिंद और मुस्लिम सुधार समिति के सदस्य भी शामिल हुए।

माकपा के राज्य सचिव डॉ. ओंकार शाद ने प्रदर्शन में जुटे लोगों से कहा कि केंद्र सरकार देश को धर्म के नाम पर बांटने की साजिश रच रही है। उन्होंने कहा, “मोदी सरकार देश में सांप्रदायिकता का जहर घोल रही है। नागरिक संशोधन कानून को धर्म के आधार पर पारित व लागू करने से स्पष्ट हो गया है कि यह सरकार देश के संविधान को नहीं मानती है।”

Image: Amar Ujala

इस दौरान माकपा विधायक राकेश सिंघा ने कहा, “देश के संविधान की प्रस्तावना में साफ लिखा है कि देश के लोग संप्रभु, धर्मनिरपेक्ष, समाजवादी, लोकतांत्रिक गणराज्य की स्थापना के प्रति कटिबद्ध हैं। देश के संविधान की प्रस्तावना पूरी तरह से देश में धर्म के नाम पर किसी भी भेदभाव का विरोध करती है।”

सिंघा ने कहा, “संविधान का अनुच्छेद 14 सभी नागरिकों को बिना धार्मिक और जातीय भेदभाव के समानता का अधिकार देता है। इसके बावजूद नागरिकता संसोधन अधिनियम को धर्म के आधार पर स्थापित करने व उसमें एक विशेष समुदाय को बाहर धकेलने से स्पष्ट है कि केंद्र सरकार आरएसएस के साथ मिलकर देश के धर्मनिरपेक्ष ढांचे को खत्म करके हिंदू राष्ट्र के निर्माण के कार्य में लगी हुई है।”

इस प्रदर्शन में हिस्सा लेने वाले शिमला के पूर्व महापौर संजय चौहान ने कहा कि एक तरफ नागरिकता संशोधन कानून के जरिये धार्मिक भेदभाव व सांप्रदायिकता को बढ़ावा दिया जा रहा है। उनका कहना था, “दूसरी ओर राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर के जरिये देश में सभी धर्मों से ताल्लुक रखने वाले गरीबों व वंचितों को देश से बाहर करने की साजिश रच रही है।”

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